फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सफलता के लिए अपनी कमजोरी को अपनी ताक़त बनाएँ
Aug 23, 2021
सफलता के लिए अपनी कमजोरी को अपनी ताक़त बनाएँ!!!
आज एक युवा तीसरी बार अपने वही पुराने सवाल कि ‘किस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहिए?’ का जवाब तलाशने के लिए मुझसे मिला। हालाँकि मेरा मानना है भ्रम या दुविधा आपको स्पष्टता की ओर ले जाती है। फिर भी उसका तीसरी बार उसी सवाल के साथ मिलना मेरे लिए थोड़ा चौकानें वाला था क्यूँकि पिछली मुलाक़ात के बाद मुझे लगा था कि शायद वो अपने निर्णय तक पहुँच गया है।
तीसरे दौर की बातचीत में मुझे एहसास हुआ कि उसकी दुविधा की मुख्य वजह अपनी शिक्षा, योग्यता और क्षमता को नज़रंदाज़ करते हुए दूसरों की कही-सुनी बातों के आधार पर अपने भविष्य को बनाने का प्रयास करना है। मेरी नज़र में यह उचित नहीं था। दूसरों की सफलता के प्रभाव में आकर लक्ष्य चुनना, एक ऐसी गलती है जो हममें से ज़्यादातर लोग, अपने जीवन में कभी ना कभी करते हैं और इसी वजह से अपनी ऊर्जा, समय और संसाधन तीनों बर्बाद करते हैं।
मैंने उस युवा को इस कहानी के माध्यम से एक बार फिर समझाने का प्रयास करा। बात कई वर्ष पूर्व की है, जापान में जन्में एक युवा ने जूडो में अपना भविष्य बनाने के उद्देश्य से बहुत सारी खेल अकादमियों में से खोजकर एक खेल अकादमी में प्रवेश लिया जिसके मास्टर काफ़ी बुजुर्ग थे। हालाँकि उस युवा का बायाँ हाथ नहीं था फिर भी उसकी ऊर्जा, लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति को देखते हुए जूडो मास्टर ने उसको ट्रेन करना शुरू कर दिया।
प्रशिक्षण के पहले सप्ताह में ही वह लड़का जूडो थ्रो सीख बड़ा उत्साहित और रोमांचित था। मास्टर की सलाह पर उस युवा ने अपनी पूरी क्षमता और लगन के साथ उस सप्ताह दिन-रात उस थ्रो की प्रैक्टिस करी। दूसरे सप्ताह मास्टर ने बाक़ी बच्चों को नया दांव सिखाया लेकिन उस युवा को उसी थ्रो की प्रैक्टिस करने के लिए कहा। तीन माह तक ऐसे ही चलता रहा, वह लड़का समझ नहीं पा रहा था कि मास्टर उसे जूडो के अन्य दांव क्यों नहीं सिखा रहे हैं।
एक दिन उस लड़के ने अपने गुरु से कहा, ‘सेन्सेई, क्या मुझे और दाँव नहीं सीखना चाहिए?” सेन्सेई ने पूरी गम्भीरता के साथ जवाब दिया, ‘तुम बस इस एक थ्रो पर ध्यान दो। यह एकमात्र दाँव है, जिसे तुम जानते हो। साथ ही यह भी याद रखना कि इसके सिवा तुम्हें कभी किसी अन्य दाँव को सीखने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी।’ वह लड़का ज़्यादा कुछ समझ नहीं पाया, पर सेन्सेई पर यक़ीन रखते हुए उनके निर्देशानुसार अपनी प्रैक्टिस जारी रखी।
लगभग 1 वर्ष बाद सेन्सेई ने उसे जूडो टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए भेजा। वह लड़का अन्य प्रशिक्षित और अनुभवी खिलाड़ियों को देख डर गया। लेकिन मास्टर ने उसे पूरे फ़ोकस के साथ सीखे हुए इकलौते दांव के साथ मैच खेलने के लिए कहा। उस लड़के ने वैसा ही करा और आसानी से शुरुआती मैच जीत कर फ़ाइनल में पहुँच गया।
फ़ाइनल मैच में प्रतिद्वंदी ने उसे कड़ी टक्कर दी, उसे चोट भी लगी। लेकिन रेफ़री के ‘टाइम आउट’ का इशारा करने पर उस लड़के और बूढ़े सेन्सेई ने मैच जारी रखने का निवेदन किया। मैच फिर शुरू हुआ और अंत में उस लड़के ने मैच और टूर्नामेंट जीत लिया। सभी दर्शक उस एक हाथ के विजेता को देख हैरान थे। वैसे दर्शकों के समान ही वह युवा भी एक हाथ और एक चाल के प्रयोग से विजेता बन हैरान था। वहाँ से लौटते समय उसने मास्टर से जीत का राज़ पूछा।
सेन्सेई ने पहले हर मैच की समीक्षा करी और उसके बाद बोले, ‘तुम दो कारणों से जीते। पहला, तुम कई महीनों तक पूर्ण समर्पण के साथ अभ्यास करते रहे और जूडो के सबसे कठिन दांवों में से एक इस दांव में महारत हासिल करी और दूसरा, इस दांव से बचने के लिए प्रतिद्वंदी के पास सिर्फ़ एक उपाय था, ‘आपके बाएँ हाथ को पकड़ना और वह तुम्हारे पास था नहीं।’
कहानी पूरी होते ही मैंने उस युवा से कहा, ‘उस एक हाथ वाले उस युवा को सफलता तीन प्रमुख कारणों से मिली। पहला, उसने गुरु चुनने में पूरा समय लगाया लेकिन चुनने के बाद उनके द्वारा बताई गई बात पर पूर्ण भरोसा कर, बिना प्रश्न किए लगातार कड़ी मेहनत करी और दूसरा गुरु अर्थात् सेन्सेई ने बड़ी दूरदर्शिता के साथ उस लड़के की सबसे बड़ी कमजोरी को उसकी सबसे बड़ी ताक़त में तब्दील कर दिया।
जी हाँ दोस्तों, अगर जीवन में सफल होना है तो क्या नहीं है के स्थान पर अपनी शिक्षा, योग्यता, क्षमता और दिल की आवाज़ पर भरोसा करें और अगर आप उसे नहीं पहचान पा रहे हैं तो एक अच्छे गुरु या मार्गदर्शक की मदद लें और उन पर पूर्ण विश्वास रखते हुए, अथक परिश्रम के साथ सफलता हासिल करें, जैसा उस एक हाथ वाले युवा ने किया था।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर