फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सफलता के लिए रखें विश्वास और करें प्रयास
July 16, 2021
सफलता के लिए रखें विश्वास और करें प्रयास…
जिस तरह सपने देखना और उन्हें हक़ीक़त में बदल देना, याने अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं है। ठीक उसी तरह व्यापार शुरू करना और उसमें सफल होना भी आसान नहीं है। इस बात का अंदाज़ा आप इस आँकड़े से लगा सकते है कि 90 प्रतिशत व्यापार प्रथम 5 वर्षों में बंद हो जाते हैं और बचे हुए 10 प्रतिशत व्यापार में से भी 70 प्रतिशत व्यापार दस वर्ष पूरे नहीं कर पाते हैं। इसे आसानी से समझने के लिए आप इन आँकड़ों पर गौर करें। प्रतिदिन एक लाख सेंतीस हज़ार व्यापार याने प्रतिवर्ष 50 मिलियन नए व्यापार शुरू होते हैं और इसी तरह प्रतिदिन एक लाख तेईस हज़ार व्यापार बंद भी हो जाते हैं। याने आज जब तक आप इस लेख को पढ़कर पूरा करेंगे तब तक 500 से ज़्यादा व्यापार बंद हो चुके होंगे।
इन आँकड़ों को देख आपके मन में एक ही सवाल आ रहा होगा, ‘क्या वाक़ई में व्यापार में सफल होना इतना मुश्किल है?’ जी हाँ दोस्तों, एक बार अगर व्यापार में घाटा होना शुरू हो जाए तो उस घाटे को बढ़ने देना तो बहुत आसान होता है लेकिन उसे सम्भालना और वापस मुनाफ़े में लाना वाक़ई बहुत मुश्किल होता है। यह आँकड़े डरावने ज़रूर हैं, पर याद रखिएगा दुनिया में उपलब्ध पूरे पैसे में से 90 प्रतिशत पैसा इन्हीं सफल व्यापारियों के पास है।
इसलिए दोस्तों व्यवसाय में किसी भी तरह की समस्या होने पर घबराए नहीं, व्यापार विशेषज्ञ लोगों की सलाह लें और कमर कस कर मेहनत से इसे फिर से उठाने में लग जाए। जी हाँ, यह वाक़ई सम्भव है, आज मैं आपको एक ऐसी प्रेरक कहानी सुनाता हूँ जो साबित करती हैं कि कभी ना हार मानने वाले सकारात्मक नज़रिए के साथ अगर थोड़ी सी मेहनत की जाए तो किसी भी व्यवसाय में सफलता पाई जा सकती है।
थोड़ा सा अपने आस-पास नज़र घुमाकर देखिए आपको कोई ना कोई रिटायर्ड अर्थात् 60 वर्ष से ज़्यादा का बुजुर्ग नज़र आ जाएगा जो अपने जीवन में की गई किसी गलती अथवा चूक की वजह से जीवन के इस मोड पर परेशानी में जी रहा होगा। ऐसा ही एक बूढ़ा आदमी जो अपने जीवन में लिए गए कुछ गलत निर्णयों की वजह से पूरी तरह टूट गया था। हालात ऐसे थे कि उसे एक बहुत ही छोटे से घर में रहना पड़ता था और उस वक्त उसके पास बीट अप कार थी। वैसे आगे बढ़ने से पहले आप को सिर्फ़ याद दिला दूँ कि अमेरिका में इस तरह की कार होना कोई बड़ी बात नहीं है। अपने जीवन को चलायमान रखने के लिए उसे अमेरिकी सरकार द्वारा दिए जाने वाले डॉलर 99 की सामाजिक सुरक्षा निधि पर निर्भर रहना पड़ता था।
रोज़-रोज़ के समझौतों से परेशान होकर 65 वर्ष की उम्र में एक दिन उन्होंने निर्णय लिया कि बस अब बहुत हो गया। मैं ऐसा मुफ़लिसी भरा जीवन नहीं जीना चाहता हूँ, मुझे एक बार फिर जीवन की बागडोर को अपने हाथों में लेना होगा और चीजों को बदलना होगा।
उसने निर्णय तो ले लिया लेकिन एक प्रश्न उसके सामने एक बड़ी समस्या के रूप में खड़ा था कि किस तरह यह बदलाव लाया जाए? क्यूँकि व्यापार करने के लिए संसाधन और बहुत सारी पूँजी तो उनके पास थी नहीं। तभी उनके एक मित्र ने उन्हें सुझाव दिया, ‘तुम्हारे पास जो हो उससे शुरुआत करो।’ पर वे अभी भी दुविधा में थे तो मित्र ने उन्हें उनके द्वारा बनाई जाने वाली चिकन रेसिपी के बारे में याद दिलाया।
मित्र द्वारा दी गई इस सलाह को सुन उनके मन में विश्वास जागा कि शायद यह आइडिया उनका जीवन बदल देगा। उन्होंने तुरंत इस विचार पर कार्य करने का निर्णय लिया और केंटकी छोड़ अपनी चिकन रेसिपी बेचने की कोशिश करने के लिए विभिन्न राज्यों की यात्रा करने लगे। जब कोई भी रेस्टोरेंट उस रेसिपी को ख़रीदने के लिए राज़ी नहीं हुआ तो उन्होंने उसे मुफ़्त में देने की पेशकश की, बस शर्त यह थी उनकी रेसिपी पर बेची गई सामग्री पर रेस्टोरेंट को मुनाफ़े का थोड़ा सा भाग उन्हें देना होगा। दुर्भाग्य से एक अच्छा विचार होने के बाद भी कोई भी रेस्टोरेंट उसे इस शर्त पर भी लेने को राज़ी नहीं हुआ और उन्होंने अलग-अलग शहरों और राज्यों में घूमकर 1009 बार लोगों की ना सुनी। लेकिन इतनी बार ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी रेसिपी पर विश्वास था, उन्हें लगता था कि इसमें कुछ ख़ास है। 1110 वें रेस्टोरेंट को उनका विचार पसंद आया और उसके हाँ कहते ही केएफसी के नाम से मशहूर केंटकी फ्राइड चिकन का जन्म हुआ और कर्नल हार्टलैंड सैंडर्स ने अमेरिकियों के चिकन खाने के तरीके को बदल दिया। आज वर्ष 2021 में केएफ़सी की दुनिया के 145 देशों में 25000 से ज़्यादा फ़्रैंचायज़ हैं।
याद रखिएगा दोस्तों कर्नल सैंडर्स की सफलता का राज लोगों की ना सुनने के बाद भी हार ना मानना था और यह ना सहने की यह ताक़त उन्हें चिकन बनाने की अपनी रेसिपी पर विश्वास रखने से आई। इसलिए अगर आपको अपनी योग्यता पर विश्वास हो तो जीवन में कभी हार न मानें और अस्वीकृति के बावजूद भी मैदान में डटे रहें एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर