फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सफलता चुराने वाली 10 विनाशकारी आदतें


Nov 27, 2021
सफलता चुराने वाली १० विनाशकारी आदतें!!!
दोस्तों, कल हमने अपनी ज़िंदगी को हसीन बनाने के लिए अपनी प्राथमिकताएँ, प्राथमिकताओं के आधार पर लक्ष्य, लक्ष्यों के आधार पर आदतें और आदतों के आधार पर दैनिक जीवन में कार्य कर अपने जीवन को ज़्यादा उपयोगी, ज़्यादा बेहतर बनाने के बारे में सीखा था। जैसा हमने कल निर्णय लिया था कि आज हम उन आदतों को पहचानने का प्रयास करेंगे, जो हमें अपनी प्राथमिकताओं से दूर कर सपनों का जीवन जीने से वंचित कर देती हैं।
जी हाँ साथियों, हमारी आदतें ही हमारा जीवन बना सकती है या बिगाड़ सकती हैं। इसीलिए तो कहते हैं, ‘मनुष्य अपनी आदतों का ग़ुलाम है’, आदतें ही हमारे जीवन को बेहतर बना सकती हैं और आदतें ही उसे बिगाड़ भी सकती हैं। अगर आप अपने जीवन में खुश, मस्त, स्वस्थ हैं और अच्छे रिश्तों के साथ जीवन जी रहे हैं, तो भी आप अपनी आदतों की वजह से ऐसा कर पा रहे हैं और अगर आपको इनमें से किसी में भी परेशानी या दिक़्क़त है तो वह भी आपकी अपनी आदतों की वजह से है।
आइए आज हम उन 10 विनाशकारी आदतों को पहचानने का प्रयास करते हैं जो सब-कुछ होने के बाद भी, जीवन में सुख से वंचित रखती हैं, अर्थात् इनसे मुक्ति के बिना सुखी जीवन की कल्पना करना बेमानी है। तो आइए शुरू करते हैं-
1) देर से सोना
देर रात खाना, देर तक जगना, टीवी देखना, मस्ती करना, यूँ तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन दोस्तों लम्बे समय में यह हमें बुरी तरह प्रभावित करता है। यह आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के साथ साथ आपकी प्रॉडक्टिविटी को भी प्रभावित करता है।
2) झूठ अथवा घुमा-फिराकर आधा-अधूरा बोलना
जब आप बार-बार उपरोक्त तरीक़े का इस्तेमाल अपनी बातचीत में करते हैं तो धीरे-धीरे आप अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं, आपके अपने लोग ही आपको शक की नज़रों से देखना शुरू कर देते हैं।
3) स्वास्थ्य को प्राथमिकता ना देना
अकसर आस-पास के माहौल को देखकर या सामान्य सामाजिक व्यवस्था मानकर कई लोग नशे जैसी गलत आदतों को अपना लेते हैं। लम्बे समय तक ऐसी चीजों का प्रयोग हमें शारीरिक, मानसिक और भौतिक रूप से कमजोर बना सकता है, साथ ही हमारे पारिवारिक संतुलन को गड़बड़ा सकता है।
4) ग़लत अथवा असभ्य व्यवहार करना
कहते हैं जैसा हम बोएँगे, वैसा ही हम काटेंगे, ठीक इसी तरह जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करेंगे वैसा ही व्यवहार लोग हमारे साथ करेंगे। वैसे भी दोस्तों जो लोग जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं उन सब के पास इन बातों के लिए समय भी नहीं होता है।
5) समय का सम्मान ना करना
कुछ लोग अपने पद, प्रतिष्ठा या तात्कालिक सफलता अथवा आलस के प्रभाव में आकर हर कार्य की अंतिम समय अथवा देर से करने को अपनी शान मान लेते हैं। लेकिन दोस्तों प्रोफेशनल व्यवहार ना करना किसी और का नहीं बल्कि आप ही का नुक़सान करता है। एक बात याद रखिएगा दोस्तों जिसने समय का सम्मान नहीं किया है वह अपने जीवन में कुछ भी बहुत बड़ा या अनूठा नहीं कर पाया है।
6) बिना सोचे समझे कार्य करना
कुछ लोग स्वयं को जमाने से तेज़ बताने के प्रयास में या सब कुछ एकदम से पाने के प्रयास में, बिना सोचे-समझे इतना तेज़ी से कार्य करने का प्रयास करते हैं कि वे खुद का ही नुक़सान कर लेते हैं। तेज़ काम करना अच्छी बात है लेकिन तब, जब आप योजनाबद्ध तरीक़े से कार्य कर रहे हों अन्यथा यह सिर्फ़ आपको ही नुक़सान पहुँचाएगा, कभी-कभी इतना ज़्यादा कि लौट कर आना भी मुश्किल होगा।
7) ज़रूरत से ज़्यादा खर्च करना
कई लोग दिखावे के चक्कर में कपड़ों, गेजेट्स, गाड़ी, घर आदि पर इतना ज़्यादा खर्च करने लगते हैं कि वे कभी भी विपरीत समय के लिए आर्थिक सुरक्षा निधि नहीं बना पाते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, जो उपरोक्त चीजों के आधार पर आपसे जुड़ते हैं या आपकी इज्जत करते हैं वे इनके जाते ही आपको बीच में अकेला छोड़ देंगे। दिखावे के स्थान पर ज़रूरत के आधार पर जीना सीखें।
8) अपराध बोध, घृणा और ईर्ष्या के साथ रहना
अपराध बोध, घृणा और ईर्ष्या तीन ऐसे नकारात्मक भाव हैं जो आपको कभी भी अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं देने देते हैं और जब तक आप ईश्वर प्रदत्त शक्तियों को पहचानकर अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं देते हैं अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते हैं। हर उस कार्य से बचें जो आपके अंदर उपरोक्त तीनों में से कोई सा भी भाव पैदा करता हो।
9) प्रौद्योगिकी अर्थात् टेक्नॉलजी का ग़ुलाम बनना
पहले लोग टेक्नॉलजी का उपयोग अपनी बेहतरी के लिए करते थे। लेकिन आजकल इसके अत्यधिक उपयोग के कारण हम इसके ग़ुलाम बनते जा रहे हैं। डिजिटल जॉम्बीज बनने के स्थान पर ह्यूमन टच को प्राथमिकता दें और सप्ताह में कम से कम एक बार 4 घंटे के लिए गेजेट्स से दूरी रखें, डिजिटल डिटॉक्स करें और इस अतिरिक्त मिले समय का उपयोग अपने परिवार के लिए करें।
10) जमाने को खुश रखने के प्रयास में, हमेशा अपनी प्राथमिकताओं का त्याग करना
कोई भी इंसान सबको खुश नहीं रख सकता है। यह जानने के बाद भी अगर आप सब लोगों को खुश रखने का प्रयास करेंगे तो अंततः आप खुद को ही मारेंगे और अपने जीवन में नीरसता बढ़ाते जाएँगे। याद रखिएगा दोस्तों बिना खुश रहे किसी को भी खुश नहीं रखा जा सकता है और दूसरी बात किसी के पास इतना समय नहीं है कि वे आपके बलिदानों पर ध्यान दे।
दोस्तों, अगर आप अपना जीवन बदलना चाहते हैं तो सर्वप्रथम अपने विचार बदलना शुरू कीजिए। प्यार, प्रार्थना और असाधारण शुभकामनाओं के साथ,
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर