फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सही चुनें और सुखी रहें


Nov 28, 2021
सही चुनें और सुखी रहें !!!
90 वर्षीय महिला हल्की आवाज़ में बजते गानों के साथ गुनगुनाते हुए पिछले 45 मिनिट से सजने संवरने में व्यस्त थी। उनके चेहरे की ख़ुशी को देख ऐसा लग रहा था, मानो वे किसी पारिवारिक उत्सव अथवा त्यौहार के लिए तैयार हो रही हों। तैयार होने के बाद धीमे कदमों से उन्होंने अपने घर का चक्कर लगाया, इस दौरान वे हर चीज़, हर कोने को ऐसे देख रही थी जैसे वे उसकी छवि को अपनी आँखों में क़ैद कर रही हों या उसकी फ़िल्म बना रही हों।
घर व सामान को निहारने के बाद उन्होंने अपना कुछ सामना साथ लिया और घर को ताला लगाकर वहाँ पहले से खड़ी टैक्सी में बैठ गई और ड्राइवर को चलने का इशारा किया। इधर टैक्सी अपनी मंज़िल की ओर चलती चली जा रही थी वहीं दूसरी ओर उन महिला की आँखों में अपना पूरा जीवन घूम रहा था। अनायास ही वे बोली ‘वाह! यह सफ़र कितना हसीन और आनंददायक था।’ अचानक उनके मुँह से यह शब्द सुन ड्राइवर बोला, ‘माताजी! अभी तो हमें काफ़ी दूर जाना है।’
ड्राइवर की बात सुनते ही वे मुस्कुराई और बोली, ‘तुम इस सफ़र की बात कर रहे हो और मैं अपने जीवन की।’ उनकी ख़ुशी और कहे शब्दों को सुन ड्राइवर थोड़ा उलझन में पड़ गया और बोला, ‘माँजी, वृद्धा आश्रम जाते वक्त पहली बार किसी को इतना खुश देख रहा हूँ।’ ड्राइवर की बात सुन वह महिला उसी ख़ुशी और उत्साह के साथ बोली, ‘पहले 20 वर्ष परिवार के साथ और उसके बाद 70 वर्ष की उम्र तक पति के साथ ख़ुशी-ख़ुशी जीवन जिया। 70 वर्ष की उम्र में पति का साथ छूटने के बाद इन ख़ुशी भरे पलों को याद करते हुए अगले बीस साल कब गुजर गए पता ही नहीं चला। अपनी उम्र और बच्चा अथवा कोई साथ ना होने की वजह से मैंने अपना बचा हुआ जीवन ख़ुशी-ख़ुशी वृद्धा आश्रम में गुज़ारने का निर्णय लिया है।’
कुछ पलों के लिए तो ड्राइवर को समझ ही नहीं आया कि क्या बोलूँ? वह तो यह देख हैरान था कि जीवन को इतना ख़ुशी के साथ भी जिया जा सकता है। ख़ैर इतनी देर में वृद्धा आश्रम आ गया और टैक्सी वाला उस महिला को वहाँ छोड़ वापस चला गया।
रिसेप्शन पर अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए इतनी ख़ूबसूरत, शांत और खुश महिला को देख वृद्धा आश्रम की सहायिका हैरान थी। नम्बर आने पर उसने उन महिला को बुलाया और उन्हें रहने के लिए जो एक छोटा सा कमरा दिया जाना था उसका विवरण बताना शुरू कर दिया। उसकी बात पूरी होने के पहले ही वह वृद्ध महिला बोली, ‘यह तो बहुत प्यारा है! मैं खुश हूँ इसे पाकर।’ एक छोटे से बच्चे के माफ़िक़ उस महिला का उत्साह और ख़ुशी देख सहायिका बोली, ‘आपने अभी तक अपना कमरा नहीं देखा है, पहले उसे तो देख लीजिए।’ उस वृद्ध महिला ने बीच में ही बात काटते हुए कहा, ‘उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है। मेरी ख़ुशी का कमरे से लेना-देना नहीं है। मुझे इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि कमरे में कैसा फ़र्निचर रखा है, वहाँ और कौन-कौन सा सामान है, आपने उसे कैसे जमाया है। फ़र्क़ तो सिर्फ़ इस बात से पड़ेगा कि मेरे मन में किस तरह के विचार हैं, मैंने अपने अंतर्मन को किस तरह प्रबंधित किया है।’
जी हाँ दोस्तों, ख़ुशी एक ऐसी चीज़ है जिसे हम पहले से तय कर सकते हैं। ठीक उसी तरह, जैसे उस वृद्ध महिला ने कमरे को बिना देखे ही उसे पसंद करने का निर्णय ले लिया था। हमें भी दोस्तों इस एक निर्णय को रोज़ लेना होगा कि आज मेरे जीवन में जो भी घटेगा, मैं उसे स्वीकार करूँगा। जो मेरे आस-पास होगा उसे और अपने जीवन को प्यार करूँगा। उस ईश्वर का आभारी रहूँगा जिसने मुझे एक नया दिन देखने का मौक़ा दिया है।
हमारी सबसे बड़ी सम्पत्ति यह चुनने की शक्ति है कि हम कैसा महसूस करें? वह वृद्ध महिला अपनी उम्र, उम्र के साथ लगी बीमारियों, अकेलेपन आदि को लेकर परेशान नहीं हुई। बल्कि अपने फ़ोकस को बचे हुए जीवन को ख़ुशी-ख़ुशी बिताने पर लगाया।
याद रखिएगा, हर नया दिन ईश्वर का हमें दिया एक नायाब तोहफ़ा है। इसे पूर्ण रूप से जीने के लिए, इसका पूरा लुत्फ़ उठाने के लिए हमें उन सभी सुखद पलों को याद रखना होगा जो हमने जिए हैं। ऐसा करना जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाए रखता है। जब भी आप खुद के अंदर झांकेंगे, असीम शांति की सुखद अनुभूति करेंगे और बाहरी चीजों अथवा कारणों पर ध्यान लगाएँगे तो स्वयं को समस्याओं और निराशा से घिरा पाएँगे।
वास्तव में समस्याएँ तो हैं, लेकिन इनके बीच ख़ुशी एक विकल्प है जिसे हम सब चुन सकते हैं। इस जहाँ में चारों ओर नफ़रत है, लेकिन प्यार एक विकल्प है, जिसे हम सब चुन सकते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक़ 83% समय हमारे चारों ओर नकारात्मकता रहती है लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण एक विकल्प है, जिसे हम सब चुन सकते हैं। ठीक इसी तरह साथियों, लोगों, जीवन अथवा ईश्वर से शिकायत तो हो सकती हैं लेकिन हमेशा कृतज्ञ रहना एक विकल्प है, जिसे हम सब चुन सकते हैं। आइए, आज से सही चुनाव करें और खुश रहते हुए जीवन जिएँ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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