फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सिर्फ़ उम्र में नहीं जीवन में भी करें ग्रो


Oct 23, 2021
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
सिर्फ़ उम्र में नहीं जीवन में भी करें ग्रो !!!
एक वरिष्ठ परिचित से लम्बे अरसे बाद मिलने का मौक़ा मिला, सौजन्यता वश मैंने उनसे उनका हाल-चाल पूछा तो वे बोले, ‘बस, कट रही है’ मैंने उनसे तुरंत पूछा, ‘कट रही है मतलब?’ तो वे बोले, ‘2 वर्ष पूर्व रिटायर हो गया था, उम्र भी अब 63 वर्ष की हो गई है, बुढ़ापा आ गया है इसलिए बस अब जो और जैसा चल रहा है उसके साथ आगे बढ़ रहा हूँ।
उनसे विदा लेने के बाद मैं सोच रहा था बढ़ती उम्र आपको बुढ़ा नहीं सिर्फ़ बुजुर्ग बनाती है। बूढ़े तो आप तब होते हैं, जब आप ज़िंदगी के रोमांच का मज़ा लेना बंद कर देते हैं। अपनी बात को मैं एक सच्ची घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ, जिसे मैंने इंटरनेट पर एक लेख में पढ़ा था। तो चलिए शुरू करते हैं-
बात कुछ वर्ष पूर्व की है, कॉलेज के पहले दिन प्रोफ़ेसर कक्षा में पहुंचे और अपना परिचय देने के बाद बोले आज आप लोगों को सिर्फ़ एक-दूसरे से परिचय करना है। हर उस व्यक्ति से मिलो जिससे जीवन में पहले कभी नहीं मिले हो। कक्षा में मौजूद छात्र एक-दूसरे से मिलने लगे, बातचीत करने लगे।
इन्हीं छात्रों मे रोज़ी भी थी वह एक युवा के कंधे पर हाथ रखते हुए मुस्कुराते हुए बोली, ‘हाय, मैं रोज़ी हूँ मैं भी आप ही की तरह इस विश्वविद्यालय से अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने आई हूँ।’ वह युवा उस 75 वर्षीय महिला की मुस्कान, चेहरे की झुर्रियों को देख हैरान था। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतनी बुजुर्ग महिला उसकी सहपाठी भी हो सकती है। उसने आश्चर्य मिश्रित स्वर में कहा, ‘आप इस उम्र में यहाँ क्या करने आयी हैं?’ महिला मुस्कुराते हुए बोली, ‘अपने लिए एक युवा पति खोज रही हूँ।’ इतना कहते ही वह जोर-जोर से हंसने लगी और बोली, ‘बात आगे बढ़ाने से पहले क्या मैं आपको हग कर सकती हूँ?’ युवा के हाँ कहते ही महिला ने उसे हग किया और बोली, ‘आपसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा। असल में हमेशा से मेरा एक सपना रहा है कि मैं कॉलेज की अपनी शिक्षा पूरी करूँ। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए मैं यहाँ आई हूँ।’
उस दिन की यह मुलाक़ात कब गहरी दोस्ती में बदल गई उस युवा को पता ही नहीं चला। वे क्लास ख़त्म होने के बाद घंटों तक नॉनस्टाप बातें किया करते थे। असल में रोज़ी एक ‘टाइम मशीन’ के माफ़िक़ थी। अपनी बातों से लोगों को मंत्रमुग्ध करना, ज़रूरत के मुताबिक़ मदद करना या फिर कैम्पस में किसी से भी दोस्ती करना उनके लिए बाएँ हाथ का खेल था। वह अपने जीवन के अनुभव और ज्ञान से सभी चीजों को आसान बना लिया करती थी।
कॉलेज की अपनी पूरी शिक्षा के दौरान वे कैम्पस में एक आइकन बन गई थी, वे कॉलेज किसी भी युवा की ही तरह सज धज कर आया करती थी और अपने जीवन को एक उत्सव की तरह जिया करती थी। कॉलेज के अंतिम दिन कॉन्वकेशन सेरेमोनी के बाद भोज के दौरान जब उन्हें स्टेज पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया तो उन्होंने अपने भाषण से सभी बच्चों को जो सिखाया वह अभूतपूर्व था।
स्टेज पर आकर उन्होंने बोलना शुरू ही किया था कि उनके हाथ से भाषण लिखे हुए पेज छूटकर नीचे गिर गये, वे शर्मा गई और माइक की ओर झुकते हुए बोली, ‘मुझे खेद है जो मुझे जिस क्रम में जो बोलने के लिए कहा गया था, वह मैं अब नहीं बोल पाऊँगी और ना ही क्रम को फ़ॉलो कर पाऊँगी।’ उनकी बात सुनते ही सभी लोग मुस्कुरा दिये पर उन्होंने इसे नज़रंदाज़ करते हुए अपना गला साफ़ करा और कहा, ’पर जो मैं जानती हूँ वह आपको ज़रूर बताऊँगी। हम जीवन में खेलना इसलिए नहीं छोड़ते हैं कि हम बूढ़े हो गए हैं बल्कि हम खेलना छोड़ देते हैं इसलिए बूढ़े हो जाते हैं। हमेशा खुश, जवाँ और सफल रहने के सिर्फ़ 4 राज हैं-
पहला - आपको हर दिन हंसना और हास्य खोजना है।
दूसरा - हमेशा जीवन में एक लक्ष्य रखो, सपना देखो। जिस दिन आप सपना देखना बंद कर देते हैं आप मर जाते हैं। हमारे आस-पास ऐसे बहुत से लोग हैं, जो मर चुके हैं और उन्हें पता भी नहीं है।
तीसरा - बड़े होने और बूढ़े होने में बहुत फर्क होता है। मान लीजिए आप 21 वर्ष के हैं और अब आप आने वाले पूरे एक वर्ष तक घर पर अपने बिस्तर पर लेते रहते हैं, एक भी उत्पादक काम नहीं करते हैं तो भी आप 22 वर्ष के हो जाएँगे। मैं अभी 75 वर्ष की हूँ। मैं पूरे एक साल अपने घर पर रहती हूँ तो मैं अगले वर्ष 76 वर्ष की हो जाऊँगी। कोई भी इस तरह बुढ़ा हो सकता है। इस तरह उम्र बढ़ाने में कोई प्रतिभा, क्षमता या योग्यता की ज़रूरत नहीं है।
चौथा - परिवर्तन में अवसर खोजें
दोस्तों बड़ा होने का सही तरीक़ा परिवर्तन में अवसर खोजना है। बढ़ती उम्र के साथ जीवन में कोई पछतावा या पश्चाताप नहीं होना चाहिए। उम्र के साथ ग्रो करने वाले बुजुर्गों को आमतौर पर अपने किए पर पछतावा नहीं होता, बल्कि वे उन चीजों के लिए जीते हैं जो उन्होंने नहीं की हैं। याद रखिएगा, मौत से वे ही डरते हैं जो पछतावे के साथ जीते हैं।’
रोज़ी ने अपना भाषण जीवन पर एक गीत गाकर समाप्त किया। ग्रेजुएशन के एक हफ्ते बाद रोज़ी की मौत, नींद में शांति के साथ हो गई।उनके अंतिम संस्कार में कॉलेज के दो हज़ार से ज़्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया और उस अद्भुत महिला को अपनी श्रद्धांजलि दी।
रोज़ी के जीवन से हम सफल जीवन के कई सूत्र सीख सकते हैं जैसे आप जीवन में जो पाना चाहते हैं पा सकते हैं फिर चाहे आपकी उम्र कुछ भी क्यूँ ना हो। दोस्तों हमें जो मिलता है उससे हम जीवन यापन करते हैं लेकिन हम जो देते हैं उससे हम जीवन बनाते हैं। याद रखें उम्र बढ़ना, बुढ़ा होना तो तय है लेकिन खुद से पूछिए क्या आप ग्रो कर रहे हैं?
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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