top of page

फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

'राष्ट्र प्रथम' का भाव ही हमें सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बना सकता है

'राष्ट्र प्रथम' का भाव ही हमें सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बना सकता है
global_herald_logo_1.png

Feb 13, 2022

'राष्ट्र प्रथम' का भाव ही हमें सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बना सकता है !!!


दोस्तों, आज हम मोटिवेशन नहीं एक गम्भीर विषय पर चर्चा करने वाले हैं। हमारा देश भारत विविधताओं से भरा बहु-धार्मिक और बहु-भाषी देश है अर्थात् ऐसा देश जहाँ अलग-अलग धर्मों को मानने वाले और अलग-अलग भाषाओं को बोलने वाले लोग एक साथ, मज़े में रहते हैं। अनेकता या विविधता में एकता इसे एक महान देश बनाती है। दोस्तों, पूरी दुनिया में मुझे ऐसा कोई देश नज़र नहीं आता है जहाँ विश्व के चार प्रमुख धर्मों या धार्मिक परम्पराओं हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख का जन्म हुआ हो और मज़े की बात तो यह है इन चारों धर्मों ने ही इंसानियत को सर्वोपरी मान आपसी एकता, भाईचारा, शांति का पाठ पढ़ाया है अर्थात् किसी ना किसी रूप में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात् ‘धरती ही परिवार है’, सिखाया जाता है। 


दोस्तों, इसके बाद भी कई मौक़ों पर अपने फ़ायदे के लिए कभी धार्मिक समूहों तो कभी राजनैतिक दलों या फिर अलग-अलग विचारधारा के समूहों या समुदायों द्वारा इसे भंग करने का प्रयास किया गया है। इसी वजह से यह समाज में कभी अस्पृश्यता तो कभी असहिष्णुता के रूप में हमारे बीच में नज़र आता है। लेकिन हर बार, सामान्य लोगों ने आपसी सहयोग और सामंजस्य से इस कुत्सित प्रयास को विफल किया है।


ऐसा ही एक प्रयास पिछले कुछ दिनों से फिर किया जा रहा है। जी हाँ साथियों, पिछले कुछ दिनों से ही। आपने निश्चित तौर पर विद्यालयों या अन्य शिक्षण संस्थानों में धार्मिक कपड़े पहनने को लेकर बहस या ज़िद्द या फिर आंदोलन छेड़ने के प्रयास के बारे में सुना होगा। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा ना करने देना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। यह बात बिल्कुल सही है कि हमारे संविधान ने हमें अर्थात् सभी नागरिकों को उनकी पसंद के किसी भी धर्म का अभ्यास करने, अपना धर्म बदलने की स्वतंत्रता दी है। इसी आधार पर तो हम अपने देश को धर्मनिरपेक्ष देश कहते हैं। 


लेकिन अब समय आ गया है दोस्तों जब हमें गम्भीरता से इस विषय पर सोचना होगा। पहले शायद अंग्रेजों और मुस्लिम आक्रांताओं के पास ‘फूट डालो और राज करो’ के अलावा हमारे ऊपर राज करने का और कोई तरीक़ा नहीं होगा, पर अब हम ग़ुलाम नहीं स्वतंत्र हैं। हमारे पास जीवन में आगे बढ़ने, अपने देश को आगे ले जाने के लिए और भी कई रास्ते हैं, हमें उन्हें पहचानना होगा। अन्यथा, अभी तो इस सोच के शुरुआती प्रभाव ही हमने सामाजिक स्तर पर देखे हैं। इसे नज़रंदाज़ करा तो जल्द ही आपसी सामंजस्य की कमी हमारे आपसी रिश्तों को भी प्रभावित करने लगेगी। जिस तरह अपने फ़ायदे के लिए कुछ लोगों ने समाज को धर्म, जाती, अमीर, गरीब आदि के नाम पर हमें अलग-अलग हिस्सों में बाँटा है, ठीक इसी तरह अपने फ़ायदे और ज़रूरतों के आधार पर अब वे रिश्तों को बाँटने लगेंगे।


अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो निर्णय ले कि आपके लिए राष्ट्र बड़ा है या धर्म या फिर खुद के हित। अगर आपको लगता है कि आपके लिए राष्ट्र सर्वप्रथम है, तो आपको गर्व आधारित राष्ट्रवाद की भावना को विकसित करना होगा और इसके लिए हमें अपनी शिक्षा की बेहतरी के लिए काम करते हुए उसे समाज के निचले स्तर तक ले जाना होगा। इसके लिए हमें शिक्षा में सही इतिहास का समावेश करते हुए बताना होगा कि हम कमजोरी नहीं बल्कि इंसानियत और कुछ लोगों के लालच की वजह से देश के कुछ हिस्सों में ग़ुलाम रहे। अन्यथा हमारा पूरा इतिहास गर्व से भरा हुआ है। उदाहरण के लिए मोर्य काल 550 वर्ष, गुप्त काल 400 वर्ष, चोल वंश लगभग 1000 वर्ष, सातवाहन लगभग 500 वर्ष, पण्ड्या लगभग 800 वर्ष, पल्लव लगभग 600 वर्ष और अहोम लगभग 650 वर्ष के मुक़ाबले अंग्रेजों का राज हमारे देश पर मात्र 98 वर्ष का था, जी हाँ 200 साल नहीं बल्कि सिर्फ़ 98 वर्ष और वह भी हमारे देश भारत के एक छोटे से हिस्से पर। ठीक इसी तरह मुग़ल आक्रांताओं का शासन भी देश के बहुत छोटे से भाग पर 250 वर्षों का ही था, जिसमें भी उन्होंने कई बार मुँह की खाई थी। 


सातवीं सदी तक हम अपने देश की मूल भावना, ज्ञान, चरित्र आदि की वजह से ही हम सामाजिक, आर्थिक, धर्म, विज्ञान, शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ थे। वैसे सातवीं सदी से लेकर आज तक हमने कई बार अलग-अलग क्षेत्रों में मुख्य भूमिका निभाकर इस दुनिया को बहुत कुछ दिया है। 


दोस्तों जब हम हमारा गौरवशाली इतिहास युवाओं को बताएँगे तभी तो वे इससे प्रेरणा ले पाएँगे और कतिपय लोगों के कुत्सित प्रयास का जवाब ज़ोरदार तरीके से दे पाएँगे। वैसे यही तो दोस्तों गीता में भगवान कृष्ण ने बताया है, ‘व्यक्ति अपने कर्मों एवं परस्पर सहयोग से ही श्रेष्ठ बनता है।’ परस्पर सहयोग की वृत्ति ही मानव का धर्म है। दोस्तों अगर हम इस मूल भाव को समझ गए तो सामुदायिक सौहार्द और शांतिपूर्ण जीवन मुश्किल नहीं होगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

1_edited_edited.jpg

Be the Best Student

Build rock solid attitude with other life skills.

05/09/21 - 11/09/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)

Duration - 14hrs (120m per day)

Investment -  Rs. 2500/-

DSC_5320_edited.jpg

MBA

( Maximize Business Achievement )

in 5 Days

30/08/21 - 03/09/21

Free Introductory briefing session

Batch 1 - For all adults

Duration - 7.5hrs (90m per day)

Investment - Rs. 7500/-

041_edited.jpg

Goal Setting

A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.

01/10/21 - 04/10/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)

Duration - 10hrs (60m per day)

Investment - Rs. 1300/-

bottom of page