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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

11 बहाने जो आपके सपनों को पूरा होने से रोकते हैं - भाग 2

11 बहाने जो आपके सपनों को पूरा होने से रोकते हैं - भाग 2
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July 11, 2021

11 बहाने जो आपके सपनों को पूरा होने से रोकते हैं - भाग 2


दोस्तों कल के लेख में हमने समझा था कि हम में से ज़्यादातर लोग क्षमता होने के बाद भी अपने जीवन में उन ऊँचाईयों को नहीं  छू पाते हैं जिन्हें छूने का सपना वे लम्बे समय से देख रहे होते हैं। बहाने हमारी प्रेरणा को खत्म कर हमारे सपनों की हत्या कर देते हैं और बिना प्रेरणा अर्थात् मोटिवेशन कुछ भी बड़ा कर पाना मेरी नज़र में असम्भव है।


कल हमने अपने सपनों को पूरा होने से रोकने वाले ग्यारह में से दो बहानों पर चर्चा करी थी, आईए अगले पाँच बहाने समझने से पहले एक बार संक्षेप में उन दो बहानों को दोहरा लेते हैं।


पहला बहाना - मैं बहुत थक गया हूँ 

मेरी नज़र में थकान का लेना देना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी स्वयं की इच्छा और अनिच्छा पर निर्भर रहता है क्यूंकि आज तक जो कार्य आप स्वयं करना चाहते हैं उसके लिए कभी नहीं कहा है कि ‘मैं बहुत थका हुआ हूँ इसलिए यह कार्य नहीं कर पाऊँगा।’ असल में हम यह बहाना सिर्फ़ और सिर्फ़ अनिच्छा की वजह से आए आलस और काम टालने की अपनी प्रवृति के कारण करते हैं। 


दूसरा बहाना - टाइम ही नहीं मिलता 

दोस्तों, ईश्वर ने सफल और असफल दोनों लोगों के लिए ही दिन 24 घंटे का बनाया है। समय पर कार्य करना या ना कर पाना दोनों ही, पहले बिंदु की तरह हमारी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता हैं। सही प्राथमिकताओं के साथ हम अपने माइंड को मैनेज कर, अपने टाइम को मैनज करना सीख सकते हैं।


चलिए दोस्तों अब चर्चा करते हैं अगले पाँच बहानों पर-


तीसरा बहाना - मैं यह नहीं कर सकता

असफल होने का डर कई बार हमें योग्यता और क्षमता होने के बाद भी काम शुरू करने से रोक देता है और मेरी नज़र में इससे बुरा कुछ और हो ही नहीं सकता क्यूंकि यह बहाना सीधे तौर पर हमें अपने सपनों से दूर कर देता है। नई चीज़ या कार्य को सही तरीक़े से पूरा कर पाने का डर हम सभी में होता है। इसलिए संदेह होना, डर लगना स्वभाविक है लेकिन जो डर के बाद भी अपनी सीमाओं को चैलेंज करते हैं, उससे आगे जाकर कार्य करते हैं वे ही अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं। इसलिए याद रखें आपको सपने पूरा करने के लिए केवल एक जीवन मिला है इसलिए खुद पर विश्वास करें और जो आप चाहते हैं उसे पाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें।


चौथा बहाना - लोग क्या कहेंगे 

सामान्यतः लोग अपने सपनों से ज़्यादा महत्व ‘लोग क्या कहेंगे’ को दे देते हैं। मैं स्वयं भी पूर्व में कई बार इस वजह से अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाया हूँ। हो सकता है हम जो कर रहे हैं वो लोगों के लिए अजीब हो, असामान्य हो लेकिन उस कार्य की महत्ता और अपने सपनों का मूल्य, उससे मिलने वाली ख़ुशी को हम जानते हैं।


याद रखें आपके जीवन को बेहतर बनाने, उसे पूर्ण तरीक़े से जीने की ज़िम्मेदारी आपकी है। आप ही अपना जीवन बेहतर बनाएँगे इसलिए दूसरे क्या कहेंगे, वे क्या सोचेंगे इसकी परवाह करने के स्थान पर उन कार्यों को प्राथमिकता दें जो आपको ख़ुशी और  आपके सपनों को पूरा करने में मदद करे। लोगों की ज़्यादा चिंता करने की जगह अपने सपनों के सच होने और उससे मिलने वाली ख़ुशी की कल्पना करें और उसे पूरा करने के लिए किए जाने वाले अपने प्रयासों पर गर्व करें। 



पाँचवाँ बहाना - इसे अफ़ॉर्ड अथवा पूरा करना मेरे बस में नहीं है 

मेरी नज़र में यह सबसे मज़ेदार और दिलचस्प बहाना है क्यूँकि जो काम या कार्य आपके जीवन को सपनों के जीवन के समान बनाएगा वह थोड़ा चैलेंज़िंग तो होगा ही, अन्यथा वह आपको इतना लुभाता ही नहीं। सपने देखने का मतलब है भविष्य में आप कैसा जीवन जीना चाहते हैं, उसे आज देखना। सम्भव ही नहीं निश्चित तौर पर ऐसा हो सकता है कि आज आपके लिए उसे अफ़ोर्ड अथवा पूरा करना सम्भव ना हो लेकिन उसके लिए प्रयास शुरू करना निश्चित तौर पर आपके बस में होगा। आप किसी भी पल, किसी भी स्थिति में, कहीं से भी शुरू कर सकते हैं बस सही योजना को होना और उस पर कार्य करना आवश्यक है।


छठा बहाना - मैं इसके लिए शिक्षित और योग्य नहीं हूँ 

मेरी नज़र में यह सबसे घटिया बहाना है क्यूँकि शिक्षा किसी भी उम्र और परिस्थिति में ली जा सकती है। हालाँकि ऐसा कहना कुछ विशेष परिस्थितियों में ग़लत भी होगा जैसे बिना उचित डिग्री के किसी का इलाज करना। लेकिन ज़्यादातर मामलों में मेरी धारणा इसलिए सही है क्यूँकि उद्यमी अथवा अपने क्षेत्र में सफल बनने, अपने सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक शिक्षा हम औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही शिक्षा पद्धति से ले सकते हैं। 


आमतौर पर असफलता का डर और सही जानकारी ना उपलब्ध होना हमारे आत्मविश्वास को डिगा देता है और इसीलिए हम उपरोक्त बहाना काम में लेते हैं। इसलिए 'मैं योग्य नहीं हूँ’ या ‘मैं शिक्षित नहीं हूँ’ कहने के स्थान पर, इस डर को दूर करने की दिशा में काम करें।


सातवाँ बहाना - मेरी तो उम्र हो गई है 

बहुत सारे लोग अपनी उम्र को सपनों के बीच का रोड़ा मानते हैं और सपने देखने, उसके लिए कार्य करने के स्थान पर वे समझौता करके बैठ जाते हैं और कहते हैं अब तो बहुत देर हो चुकी है। सच तो यह है दोस्तों कि आपकी उम्र, चाहे वह कितनी भी क्यों न हो, अपने पसंदीदा कार्य करने और सपनों को पूरा करने के लिए ज़्यादा नहीं होती। याद रखें उम्र सिर्फ एक संख्या है और आप संभावित रूप से क्या हासिल कर सकते हैं इसकी सीमा तय करने का पैमाना नहीं।


आजके लिए इतना ही दोस्तों, कल फिर मिलेंगे अंतिम चार बहानों के साथ। 


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

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