दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
अपना असली चेहरा हमेशा याद रखें


July 7, 2021
अपना असली चेहरा हमेशा याद रखें
मुंबई के एक जंबो कोविड-19 सेंटर में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे 150 डॉक्टरों और अन्य मेडीकल स्टाफ को पिछले शुक्रवार नगरीय निकाय से ईमेल मिला, जिसके मुताबिक उनकी नौकरी उसी दिन से खत्म कर दी गई थी। याद रहे, कोविड को संभालने के लिए मुंबई म्युनिसिपालिटी की काफी तारीफ हो रही है और इसका श्रेय इन लोगों को भी जाता है। निकाले गए इस स्टाफ ने इस हफ्ते बहाली के लिए प्रदर्शन किया। तकनीकी रूप से नगरीय निकाय सही था क्योंकि नौकरी अनुबंध पर थी। सोमवार को उनमें से कई को नारेबाजी करते देख मुझे दुख हुआ क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि नौकरी स्थायी हो जाएगी।
उनके उदास चेहरों को देख मुझे एक खूबसूरत कहानी याद आई, जिसमें बुद्धि के बल पर एक भिखारी, राजा का सलाहकार बन जाता है। जब भिखारी महल में आया तो उसे अपना अपना चोगा उतारकर सुंदर कपड़े और गहने पहनने कहा गया, जो सलाहकार के ओहदे के मुताबिक थे। वर्षों तक उस साम्राज्य में उसकी अनुमति के बिना पत्ता भी नहीं हिला क्योंकि वह वाकई भविष्य की नजर रखने वाला होशियार सलाहकार था।
एक दिन उसे एक कमरे में अकेले जाते देखा गया, जहां वह कुछ देर रुका। वह उस कमरे में किसी को जाने नहीं देता, जैसे वहां कोई खजाना हो। धीरे-धीरे बात फैली और लोगों की जिज्ञासा शक में बदली कि कमरे में ऐसा क्या है, जिसे वह छिपा रहा है और वहां रोज क्यों जाता है। बात राजा तक पहुंची और उन्हें विश्वास दिलाया गया कि सलाहकार कोई साजिश रच रहा है।
एक दिन राजा ने कहा, ‘मैं तुम्हारे निजी कक्ष में चलना चाहता हूं।’ सलाहकार ने कहा, ‘वहां कुछ नहीं है। आपकी आंखों के लायक तो बिल्कुल नहीं।’ शंका से घिरे राजा को खतरा महसूस हुआ और उसने कमरे में जाने पर जोर दिया। सलाहकार बोला, ‘अगर आपको मुझपर विश्वास नहीं है तो मैं ले चलता हूं। लेकिन फिर मेरी नौकरी यहीं खत्म समझिए। मेरा इस्तीफा लें और कमरे में आ जाएं। या मुझपर विश्वास करें और कभी कमरे की बात न करें।’ चूंकि शक और बढ़ गया, राजा ने इस्तीफा लिया और सभी दरबारियों के साथ कमरे में पहुंचा। कमरे में खूंटी पर टंगे चोगे के सिवा कुछ नहीं था। राजा ने पूछा, ‘तुम यहां क्यों आते हो?’ उसने कहा, ‘इस चोगे को देखने, जो मुझे याद दिलाता है कि मैं कभी भिखारी था और किसी भी दिन फिर भिखारी बन जाऊंगा। इससे मुझे याद रहता है कि सलाहकार के पद से लगाव नहीं रखना है।’
फिर सलाहकार ने पुराना चोगा पहना और वैसे ही चला गया जैसे 12 साल पहले आया था, जैसे ये साल कोई हादसा थे। राजा ने उसे मनाया लेकिन उसने कहा, ‘जब विश्वास ही न हो तो यहां रहने का कोई औचित्य नहीं है।’ और वह हमेशा के लिए चला गया।
इन मेडीकल स्टाफ को भी अस्थायी रूप से नौकरी दी गई थी क्योंकि उनमें जरूरी कौशल था। और अस्थायी स्थिति उनसे छिपी नहीं थी। यानी उनका असली चेहरा ‘अब भी बेरोजगार’ का है। इसका मतलब उन्हें कोविड से मिले अवसर में और मेहनत करनी होगी, जिससे सिस्टम में मौजूद लोग आकर्षित हों और उन्हें नए अवसर मिल सकें। साथ ही उन्हें जाने को कहा जाए, इससे पहले ही जम्बो कोविड सेंटर छोड़ देना चाहिए। इसीलिए ज़ेन संत कहते हैं, ‘अपना असली चेहरा खोजें।’
फंडा यह है कि असली चेहरे को याद करने का मतलब है अपने अंदरूनी रवैये को पहचानना जो अंतत: जिंदगी में खुश रहने में मदद करता है।

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-