दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
अपने बच्चों की तनाव में मदद कैसे करें


Sep 23, 2021
अपने बच्चों की तनाव में मदद कैसे करें?
मैं ऐसे कुछ टीनएजर्स से मिला हूं जो लगभग 19 महीने बाद, सोमवार को खुले होस्टलों में लौटे हैं। उनके लिए यह नए शहर में अलग सुविधाओं के साथ नई जीवनशैली है, जिससे उनका 19 महीने का लॉकडाउन शेड्यूल छिन गया है, जिसका आनंद उन्होंने माता-पिता की सुरक्षा में उठाया। अनजाने व्यक्ति के साथ कमरा साझा करना, यह पता न होना कि कपड़े धोकर कहां टांगने हैं, नए पार्टनर संग सामंजस्य बैठाना, निजी टीवी स्क्रीन की कमी के कारण आईपीएल मैच न देख पाना कुछ समस्याएं हैं जिनका सामना ये टीनएजर होस्टल में कर रहे थे, लेकिन तनाव व्यक्त नहीं कर पा रहे थे।
यह समझें कि बच्चों और टीनएजर्स का तनाव हमेशा वयस्कों के तनाव जैसा नहीं दिखता। यह व्यवहार के बदलावों में दिखता है, जो उम्र, शख्सियत और लचीली सोच के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। कुछ को सिरदर्द या पेट दर्द के साथ नींद की कमी हो सकती है। नया शेड्यूल, खाने का नया समय, बीच-बीच में कुछ खाने न मिलना, मनमर्जी के नूडल्स न पका पाना आदि उन्हें मूडी, अंतर्मुखी, चिढ़चिढ़ा और आक्रामक बना रहा है।
मैंने मंगलवार को उनके साथ कुछ समय बिताया, खाना खाया और उनके तनाव संबंधी मुद्दों के समाधान में मदद की। मैंने उनके लिए कुछ गतिविधियां कीं और बताया कि वे जिन बाहरी परिस्थितियों को नहीं बदल सकते, उन्हें स्वीकारें और फिजूल विचार नजरअंदाज करें। फिर उन्हें जरूरत से ज्यादा सोचने से ध्यान हटाकर वह करने में मदद की जिसमें उन्हें आनंद आता है। साथ ही नकारात्मक और सकारात्मक तनाव में भेद करना सिखाया।
सभी तनाव नुकसानदेह नहीं होते। इसलिए मैंने कहा कि तनाव से डरने की बजाय इसे लचीली सोच विकसित करने और ‘निजी कर्तव्यभाव’ बढ़ाने का अवसर बनाएं। यानी व्यक्ति को जीवन में बदलावों और चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। यहां टीनएजर्स में लचीली सोच विकसित करने के 10 तरीके दिए जा रहे हैं-
1. तनावपूर्ण स्थिति को तुरंत ठीक करने में न जुटें, बल्कि उन्हें सुनें और खुद समाधान निकालने में मदद करने के लिए सवाल पूछें।
2. उन्हें असहजता का अनुभव कर, उसे सहना सीखने दें।
3. उन्हें भावनाओं की अभिव्यक्ति सिखाएं ताकि वे उन्हें समझकर व्यक्त कर सकें।
4. मुश्किल अहसासों को सामान्य करें। उन्हें बताएं कि कभी-कभी तनाव महसूस करना जीवन का हिस्सा है। वे इन अहसासों को नियंत्रित कर सकते हैं और ये गुजर जाएंगे।
5. तनाव का शरीर पर असर समझने, ब्रीदिंग (सांस) एक्सरसाइज सीखने और तेज धड़कनें धीमी करने में उनकी मदद करें। उन्हें ज्यादा आउटडोर फिजिकल एक्टिविटी में शामिल करें।
6. उन्हें बताएं, गलतियां असफलताएं नहीं हैं, सबक हैं। आप खुद के उदाहरण दे सकते हैं।
7. उन्हें समाधान सोचना सिखाएं। उन्हें दिखाएं कि ध्यान, योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी गतिविधियां वैसा ही खुद का ध्यान रखना है जैसे हवाईजहाज में दूसरों की मदद करने से पहले खुद ऑक्सीजन मास्क लगाने को कहा जाता है।
8. उन्हें बताएं कि कैसे भावनाओं की बात कर परिस्थिति संभाल सकते हैं। उन्हें अपनी समस्या सुलझाने और फैसले लेने की रणनीतियां बताएं। खुद की देखभाल व अच्छी जीवनशैली चुनने के बारे में भी बताएं।
9. सकारात्मक जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
10. जब जीवन में उथल-पुथल महसूस हो तो कृतज्ञता और आशावाद उपयोगी होते हैं। उनकी रोजमर्रा की अच्छाई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करें, फिर वह कितनी ही छोटी हो।
फंडा यह है कि बच्चों को बताएं कि ऐसे सुरक्षित सकारात्मक तनाव होते हैं, जिनसे सोच में लचीलापन ला सकते हैं। फिर देखें कि वे कैसे खुद ही उड़ान भरकर एक बेहतरीन वयस्क बनेंगे।

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