दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
अब खुली जगह बनेंगी पहली पसंद


July 27, 2021
अब खुली जगह बनेंगी पहली पसंद
क्या आपने आस-पास बदलते माहौल पर ध्यान दिया? अगर नहीं, तो मैं आपको एक टूर देता हूं।
1. आस-पास देखें कि जब आप गले में कुछ खाना फंसने या खराश होने पर खांसते हैं तो लोग आपको कैस देखते हैं। हर नजर पलटकर जांचती है कि आपको कोविड तो नहीं! यकीन न हो तो किसी सार्वजनिक जगह पर ऐसा कर देखें। ऐसा तब और होता है जब आप मास्क हटाकर रेस्त्रां में खाना खाते हैं। अपने गले से जरा-सा गरारा कर देखें, सारी नजरें आपको खाक करना चाहेंगी।
2. काले बादलों से घिरे आसमान से बिन बताए बारिश होना हम भारतीयों को बहुत भाता है, जो आमतौर पर उष्णकटीबंधीय मौसम का सामना करते हैं। देशभर में बारिश हो रही है। कहीं ज्यादा, कहीं कम, लेकिन इससे गर्मी से राहत मिली है। पर इसका बुरा असर यह है कि खांसी, सर्दी और बुखार की शिकायतें बढ़ी हैं। ये मौसमी बीमारियां लोगों को पागल कर रही हैं। लोग यह पता करने डॉक्टर के पास भाग रहे हैं कि यह कोविड है या सामान्य फ्लू के लक्षण क्योंकि कोविड अब भी है और तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है।
3. हॉस्टल और बिना हॉस्टल वाली प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या बढ़ने के कारण जो शहर पेइंग गेस्ट (पीजी) सुविधाएं दे रहे थे, वहां धीरे-धीरे छात्र लौट रहे हैं। कक्षाएं शुरू होने की उम्मीद में छात्रावास भर रहे हैं। जहां क्लास अब भी ऑनलाइन हैं, वहां वे ग्रुप प्रोजेक्ट में साथ काम करने और कोचिंग के लिए यहां रह रहे हैं। साथ ही वे तथाकथित ‘कॉलेज लाइफ’ को उसके खत्म होने से पहले जीने के लिए उत्सुक हैं। करीब 17 महीने घर में रहने से उनकी वह ‘कॉलेज लाइफ’ छिन गई, जिसका सपना उन्होंने 2020 के पहले देखा था। अब वे घर पर रहना नहीं चाहते और ज्यादातर टीका लगवा चुके हैं क्योंकि वे 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं। तीसरे वर्ष के छात्र, जो पहले ही कॉलेज लाइफ चख चुके हैं, वे भी लौटने को उत्सुक हैं। कई छात्र खुद की जगह तलाशते हैं, लेकिन एक घर में कामकाजी और पढ़ाई वाले कई छात्र एक साथ हों तो यह संभव नहीं हो पाता। आश्चर्य नहीं कि पुणे जैसे शिक्षा के केंद्र माने जाने वाले शहरों में छात्रों के रहने की 50% जगहें भर चुकी हैं।
इन छात्रों के साथ स्थानीय लोग भी बदलाव के लिए सचेत रहकर रेस्त्रां, पब और मनोरंजन की अन्य सार्वजनिक जगहों पर जा रहे हैं। लेकिन सभी की एक ही पसंद है- खुली जगह।
मेहमान इस समय बिना एसी वाली जगहों पर सहज हैं। इससे उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का मानसिक सुकून मिलता है। गर्मी, धूल, बारिश और कीड़े, मुख्यत: बारिश से जुड़ी इन समस्याओं के लिए रेस्त्रां मालिक हर्बल छिड़काव और लेमनग्रास ऑयल स्पे जैसे प्राकृतिक रेपलेंट इस्तेमाल कर रहे हैं। रेस्त्रां और पब्लिक गेदरिंग की अन्य जगहें अपनी सेवाएं गार्डन, छत या पूलसाइड जैसी जगहों पर शिफ्ट कर रही हैं। वे मानते हैं कि आने वाले तीन-चार साल यही ट्रेंड रहेगा। इसका मतलब यह नहीं कि आप एसी वाले हिस्से खत्म कर दें। असहनीय गर्मी होने पर वे इसी जगह जाएंगे, जैसे धूम्रपान करने वाले स्मोकिंग चेंबर में जाते हैं। लेकिन वे फिर वापस खुली हवा में आकर बैठना पसंद करेंगे।
फंडा यह है कि रेस्त्रां मालिक या आनंद के लिए लोगों के इकट्ठा होने वाली अन्य जगहों के मालिकों को अगर ग्राहक संख्या बढ़ानी है, तो उन्हें बाहर खुली जगहें तलाशनी होंगी।

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