दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
आपका निकट भविष्य सरप्राइज से भरा हुआ है
Aug 30, 2021
आपका निकट भविष्य सरप्राइज से भरा हुआ है
नए हफ्ते की शुरुआत के साथ नए सरप्राइज आकार ले रहे हैं। चलिए इनके बारे में बताता हूं।
बच्चे आपको चौंका सकते हैं: अगले महीने बच्चे स्कूल लौट रहे हैं। कुछ अनजाने में या आदतन टीचर से कह सकते हैं, ‘एलेक्सा क्या सवाल दोहरा सकती हो?’ ऐसा हो तो कृपया उन्हें यह कहकर डांटें नहीं, ‘मैं एलेक्सा नहीं, टीचर हूं। दिमाग ठिकाने पर लाओ वरना क्लास से बाहर कर दूंगी’। उन्हें बाहर करने की जरूरत नहीं। हां, वे स्टडीइंग फ्रॉम होम (एसएफएच) का विकल्प चुनकर खुद ही क्लास से निकल सकते हैं। उनका कोई व्यवहार पसंद न आने पर सख्ती बरतेंगे, तो वे एसएफएच चुनकर आपसे पूरी तक अलग हो जाएंगे। याद रखें इतने दिन वे आपसे वर्चुअली बात करते रहे हैं। उनके पास सवालों के जवाब पाने के लिए ‘एलेक्सा’ नाम की वर्चुअल असिस्टेंट भी थी। इसलिए अगर वे आपको एलेक्सा कहें, तो बुरा मत मानिएगा। साथ ही महामारी ने उन्हें मौखिक साहस दिया है क्योंकि वे माइक और कैमरा म्यूट कर आपसे मीलों दूर बैठे थे। इस आदत को सुधारने में धैर्य से उनकी मदद करें।
युवा आपको चौंका सकते हैं: ऐसे युवाओं को देखकर चौंक जाएंगे, जो कंधे के नीचे हाथ (डोले) पर एक डिवाइस पहने हैं और ऐसे लगते हैं जैसे अस्पताल से कोई मरीज निकला हो? डिवाइस को ‘कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर (सीजीएम) कहते हैं। यह बिना चीर-फाड़ वाला पैच है जो बताता है कि विभिन्न भोजनों से ब्लड शुगर कितना प्रभावित हुआ और कौन-सी एक्सरसाइज से इनका असर कम कर सकते हैं। चूंकि युवा समझते हैं कि वे लगातार यात्रा करते हैं, एसी वाले माहौल में रहते, काम करते हैं और गुजरे जमाने की तरह पसीना नहीं बहाते, इसलिए वे ब्लड शुगर की मॉनीटरिंग को महत्व दे रहे हैं, जिससे उन्हें सही एक्सरसाइज भी पता चले, फिर डाइट कितनी ही अच्छी क्यों न हो। इसके अलावा जहां हम रात 10 बजे तक सो जाते हैं, आधुनिक पीढ़ी देर तक जागती है। सीजीएम मॉनीटर नींद में भी मदद करते हैं। यह इशारा है कि भविष्य में मशीन हमारी जिंदगी की निगरानी करेगी और आधी रात को आईसक्रीम या मिठाई चुराने की शिकायत सुबह हो जाएगी।
सरकार चौंका सकती है: सरकार भी पीछे नहीं है! कर्नाटक सरकार ने पिछले हफ्ते बेंगलुरु की आईटी कंपनियों को 2022 तक डब्ल्यूएफएच (वर्क फ्रॉम होम) की अनुमति देने कहा है, ताकि ट्रैफिक से बच सकें। जी हां, कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु के आउटर रिंग रोड स्थित सभी आईटी पार्क से आह्वान किया है कि वे मौजूदा डब्ल्यूएफएच को दिसंबर 2022 तक बढ़ा दें। सरकार ने कहा कि अगर यह संभव न हो तो ऑफिस आने वालों के समय को अलग-अलग बांट दें। इस सड़क के फैलाव में स्थित करीब 800 कंपनियां में 1.5 लाख आईटी पेशेवर हैं। सड़क भारी ट्रैफिक के लिए बदनाम है। यह अलग बात है कि आईटी कर्मचारियों की नाराजगी के बाद सरकार ने कहा कि पिछला निर्देश महज एडवाइजरी है और मेट्रो के काम के किसी भी देरी का संकेत नहीं है। क्या आपको कुछ गड़बड़ी दिख रही है? कल को विशेष परिस्थितियों में जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार कंपनियों से कह सकती है कि अपने सभी कर्मचारियों को डब्ल्यूएफएच कराएं। कर्मचारी भले इससे खुश हों लेकिन क्या कंपनी दूर से ही उनका प्रबंधन करने तैयार है? अगर नहीं, तो ‘कर्मचारी प्रबंधन’ के वैकल्पिक तरीकों के लिए तैयार हो जाइए।
फंडा यह है कि जीवनशैलियां तेजी से बदल रही हैं। अगर आप इसके साथ नहीं चलेंगे तो हमेशा चौंकते ही रहेंगे।