दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
आपके किचन में नया वायरस ‘श्रिंकफ्लेशन’


Oct 11, 2021
आपके किचन में नया वायरस ‘श्रिंकफ्लेशन’!
सब्जी के बढ़ते दामों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में अनियमित बारिश को दोष दे सकते हैं। लेकिन हम विक्रेता के तराजू पर गिद्ध दृष्टि रखना कभी नहीं छोड़ते, ताकि वे उसे अपनी ओर झुकाकर हमें ठग न लें। सब्जी मंडी में सबसे ज्यादा यही वाक्य बोला जाता है, ‘एक और डालो’। जब खरीदार कहता है, ‘सब्जी बहुत महंगी हो गई है’ तो विक्रेता कहता है, ‘क्या करें साहब/मेडम, पेट्रोल-डीजल भी महंगे हो गए हैं।’
लेकिन जब वही खरीदार किसी बड़े सुपर मार्केट में जाकर पैक सामग्री खरीदता है तो उसे बढ़ती कीमतों का दर्द महसूस नहीं होता। क्यों? क्या दूसरी कंपनियों के लिए डीजल-पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े? बिल्कुल बढ़े हैं। लेकिन उन्होंने आपके दिमाग के प्रबंधन में महारत हासिल कर ली है, जिससे आप बढ़ी कीमतों के बारे में न सोचें। किराने के आपूर्तिकर्ता नया तरीका अपना रहे हैं जिसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहते हैं, जो महामारी के बाद इन दिनों विदेश में दिख रहा है क्योंकि वहां ईंधन-ऊर्जा की कीमतें अचानक बढ़ गई हैं। यह नया शब्द ‘श्रिंक’ (सिकुड़ना) और ‘इंफ्लेशन’ (महंगाई) को मिलाकर बना है।
इसे और समझाता हूं। कमोटिडी, एनर्जी और लेबर की कीमतों का सामना करने के लिए सुपरमार्केट तक खाद्य सामग्री पहुंचाने वाले वैश्विक फूड ब्रांड पैकिंग का आकार छोटा कर रहे हैं, जबकि पैक पर छपी कीमत वही रख रहे हैं। कुछ मामलों में वे आकार छोटा कर रहे हैं और महंगाई को कारण बताकर थोड़ी कीमत बढ़ा रहे हैं। दोनों मामलों में महंगाई के दबाव की लहर आपकी रसोई से टकरा रही है। बड़ी फूड कंपनियां तेल तथा आटे जैसी सामग्रियों की बढ़ती कीमतें भी झेल रही हैं, इसलिए वे होशियारी से इस तरह पैक का आकार छोटा कर रही हैं कि सुपरमार्केट में जल्दबाजी में उन्हें उठाते समय आपको अंतर पता भी नहीं चलता।
मुझे याद है जब 20 वर्ष पहले सुपरमार्केट अस्तित्व में आए तब मेरे पिता सामान कार्ट में रखने से पहले हर पैक को देखते थे और वजन तथा कीमत की तुलना अन्य कंपनी के उत्पादों से करते थे। लेकिन हम अगली पीढ़ी ‘समय बचाने’ के नाम पर वजन देखे बिना पैकेट उठाकर कार्ट में रख लेते हैं। किराना पैक करने वाले इसी का फायदा उठा रहे हैं।
याद कीजिए, उन दिनों तेल किलोग्राम के हिसाब से मिलता था। हम एल्यूमिनियम का कनस्तर लेकर जाते थे और दुकान में तेल के सेक्शन में बैठा व्यक्ति पहले कनस्तर तौलता था, फिर उसमें तौलकर तेल देता था। वह बीता जमाना हो गया। आज तेल किग्रा में तौलकर नहीं, लीटर के हिसाब से नापकर दिया जाता है। यानी हमें ‘श्रिंकफ्लेशन’ से पहले ही 90 ग्राम तेल का नुकसान हो रहा है और समय-समय पर कीमतें बढीं सो अलग।
मैं यूके की कंपनी टेस्को का मॉज़रीला चीज़ खरीदता हूं, जो पैक में 270 ग्राम की जगह 240 ग्राम चीज़ देने लगी है, जिससे कीमत 12.5% बढ़ गई है। अगर आप स्नैक्स, क्रिस्प्स को ध्यान से देखेंगे, खासतौर पर पालतुओं का खाना, तो पाएंगे कि ज्यादातर देश में आयात होते हैं। उन्हें देख यह तरीका समझ जाएंगे। यह बढ़ी लागत की भरपाई के लिए कीमत बढ़ाने की तुलना में ज्यादा आसान तरीका है। निर्माताओं और विक्रेताओं के पास पैक का आकार बदलने के वैध कारण हैं लेकिन वे खुलकर ग्राहक को यह नहीं बताते। लेकिन जब वे पैक में सामान 10 ग्राम भी बढ़ाते हैं तो बड़ी घोषणा करते हैं, ‘अब नया पैक, एक्स्ट्रा 10 ग्राम के साथ।’
फंडा यह है कि सतर्क रहिए, आपकी रसोई धीरे-धीरे ‘श्रिंकफ्लेशन’ से संक्रमित हो रही है। किराने की खरीदारी सजगता के साथ करें।

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-