दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
आपके नियम बड़े वर्ग को ठेस पहुंचाने वाले नहीं होने चाहिए


April 1, 2021
आपके नियम बड़े वर्ग को ठेस पहुंचाने वाले नहीं होने चाहिए
कुछ साल पहले, न्यूयॉर्क के सबसे महंगे रेस्तरां में डिनर के बाद ऋषि कपूर और उनकी पत्नी नीतू सिंह देर रात अपने गंतव्य की ओर लौट रहे थे। वहां पहुंचने से तुरंत पहले अचानक नीतू को याद आया कि अगली सुबह कॉफी बनाने के लिए उन्हें दूध की जरूरत है। और जब उन्होंने ऋषि को कहा कि पड़ोस के स्टोर से वह थोड़ा दूध ले लेंगी, तो ऋषि ने उन्हें दो इमारत दूर चलने को कहा क्योंकि वहां दूध पांच पेंस (पैसे की तरह मुद्रा की सबसे छोटी इकाई) सस्ता था। नीतू ने इंकार कर दिया और ऋषि को उस दूध के लिए पांच पैसे ज्यादा चुकाने पड़े। इस रविवार को रिएलिटी शो इंडियन आइडल-12 में शामिल हुई नीतू ने कहा कि ‘मेरे पति कंजूस आदमी थे।’ उन्होंने ये भी कहा कि वह खुद खर्चीली नहीं है पर खरीदारी में मोलभाव करना बेहद पसंद है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे उनके घर रोज मछली बेचने आने वाले से वह हद से ज्यादा मोलभाव करती हैं।
यहां इस सुंदर किस्से के बारे में जिक्र करने का कारण आपको यह बताना है कि मोलभाव करना और बाजार भाव से कहीं कुछ सस्ता मिले तो उसके लिए आधा-एक किलोमीटर चलना हम सब भारतीयों के लिए सामान्य है। इसलिए भले ही शरीर को कुछ ज्यादा चलाना पड़े और अतिरिक्त पसीना बहाना पड़े, पैसा बचाने की हमारी मानसिकता है। इसलिए अगर आपकी पैसे बचाने की आदत है तो शर्माएं नहीं, क्योंकि यह भारतीय मानसिकता है।
अमीर और विख्यात लोगों के बीच भी इस सदियों पुरानी भारतीय मानसिकता से चकित मैं रविवार रात बिस्तर पर सोने के लिए गया और सोमवार सुबह नासिक से आ रही इस खबर के बीच सोकर उठा कि वहां के लोगों को शहर का कोई भी बाजार जाने पर हर बार प्रति व्यक्ति के हिसाब से पांच रुपए देने होंगे। जाहिर तौर पर प्रशासन में कुछ स्मार्ट लोगों के दिमाग से निकला यह आइडिया बाजार में भीड़ कम करने और संक्रमण के प्रसार को रोकने का प्रयास है! सिर्फ एक प्रवेश व निकासी द्वार चालू रखके प्रशासन ने बाजार सील करने की योजना बनाई है। लोगों को प्रवेश के समय पांच रु. का कूपन लेना होगा। दिलचस्प है कि हर टिकट से बाजार में सिर्फ एक घंटा घूमने की इजाजत देगी। एक घंटे की समयसीमा का उल्लंघन करने वाले पर 500 रु. का जुर्माना लगाया जाएगा!
1970-80 के दौरान मैं अपने घर से 600 मीटर दूर अगले बस स्टॉप पर जाता था, क्योंकि वहां से टिकट 20 पैसा थी और मैं अगर अपने घर के नीचे से बस पकड़ता, तो मुझे 25 पैसे देने होते। हर बार पैदल जाने से मेरे 5 पैसे बचते! इस तरह मेरा एक रुपया चार के बजाय पांच ट्रिप तक चलता।
आश्चर्यजनक रूप से नासिक के महापौर सतीश कुलकर्णी ने आधिकारिक बयान दिया कि ‘कठिन समय में कड़े कदम उठाने होंगे।’ व्यापारिक समुदाय ने इस पहल की कड़ी आलोचना की है। और याद रखें कि ऐसे तपिश भरे मौसम में सिर्फ गरीब लोग ही खरीदारी करने निकलते हैं और अपने बजट में कुछ खरीदने के लिए मीलों तक पैदल चलते हैं। यह आइडिया अगर सिर्फ शॉपिंग मॉल के लिए होता तो अलग बात थी, लेकिन सामान्य बाजार-हाट में भी इसे लागू किया गया है।
सोमवार और मंगलवार को कुछ अमीर लोग पांच रुपए देकर बाजार गए क्योंकि उन्हें भीड़भाड़ से दूर सड़कें दिखीं। हमेशा ही तंगी से जूझते नगरीय निकायों के लिए ये प्रयोग एक नया आइडिया हो सकता है, भुगतान और पार्किंग सुविधा की तरह टिकट खरीदारों के लिए खुशहाल शामें आरक्षित रखी जा सकती हैं। मेरे लिए ये संक्रमण की आड़ में पूरी तरह गरीबों के खिलाफ लिया गया निर्णय है।
फंडा यह है कि मूलरूप से बचत की आदत वाले भारतीयों के खिलाफ नीति बनाने से यह आपको अलोकप्रिय बना देगी।