दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
आप भी अमीरों की लाइफस्टाइल जी सकते हैं
Oct 22, 2021
आप भी अमीरों की लाइफस्टाइल जी सकते हैं!
मैं पिछले दो दिनों से रोज ही किसी न किसी पार्टी में शामिल हो रहा हूं क्योंकि यात्रा नहीं कर रहा। लेकिन वे अलग तरह की पार्टी हैं, जहां आपको खाने और ड्रिंक के लिए पैसे खुद चुकाने होते हैं। इन महफिलों को सोशलाइजिंग या पार्टिइंग भी कह सकते हैं। कल मैं एक कॉफी मीट में गया। ऐसी पार्टियों में अधिकतम 12 लोग ही आ सकते हैं। ये घरों में आमतौर पर बगीचों या फार्म हाउस में होती हैं। सभी कॉफी प्रेमी थे। आयोजक ने रोस्टिंग, ग्राइंडिंग और ब्रूइंग की विभन्न तकनीकें बताईं। फिर कॉफी बनाने की चार विधियां बताईं- फ्रेंच प्रेस, पोर-ओवर, एयरोप्रेस और मोका पॉट। वे हर दिन 10-12 लोगों के लिए सोशलाइजिंग पार्टी आयोजित करते हैं। कॉफी पर बात और खुशबू बुजुर्गों को भी आकर्षित करती है, जिन्हें ऐसे ड्रिंक के बारे में और जानने की जिज्ञासा है, जिसे वे दशकों से पी रहे हैं। मीट में इस पर भी चर्चा होती हुई कि किस देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को कैसी कॉफी पसंद है। साथ ही कॉफी या हाई-टी के शिष्टाचार भी बताए गए।
ऐसे क्यूरेटेड (पसंद के मुताबिक तैयार) इवेंट्स हमेशा महंगे नहीं होते। ये 199 से 999 रुपए तक के हैं। महामारी के बाद 2021 में सोशलाइजिंग और पार्टीइंग, क्यरेटेड मेन्यू, पसंदीदा क्राफ्ट और वर्कशॉप के साथ हो रही हैं। आप दोस्तों को बुलाकर ऐसी प्राइवेट पार्टी कर सकते हैं। जिन्हें छोटी गैदरिंग पसंद हैं, वे हाई-टी, वाइन, फोटोग्राफी, फ्रेश सूप से लेकर बिना पक्षियों के भी बर्ड वॉचिंग गेट-टुगेटर को सोशलाइजिंग के लिए चुन रहे हैं। बर्ड वॉचिंग पार्टी उत्तरी गोलार्ध से भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश के बाद आने वाले प्रवासी पक्षियों के बारे में थी। इसमें बताया गया कि कैसे लाखों मौसमी मेहमान भारत आते हैं। यह प्रकृति का अजूबा है, जब 29 देशों से पक्षी उड़कर हर साल इस समय भारत आते हैं, जो प्रवासन की शुरुआत बताता है। पक्षियों के शौकीन आयोजक ने बताया कि कैसे सिर्फ 20 ग्राम का पक्षी साइबेरिया से भारत के बीच 8000 किमी की हैरतअंगेज यात्रा करता है।
समान सोच वाले समूहों के लिए ऐसे क्यूरेटेड इवेंट अलग अनुभव हैं क्योंकि इन्हें इनकी खास तैयारी करनी होती है और आयोजक के पास रोचक किस्से भी होते हैं। क्यूरेटेड इवेंट क्लास की तरह नहीं होते। खाने के साथ चलने वाले ये सेशन खुलने और रोचक गतिविधियों में शामिल होने देते हैं, ताकि प्रतिभागी आपस में जुड़ें। महामारी और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ज्यादा समय बिताने के चलते, अब अमीरों में सोशलाइजिंग की यह नई आदत बनी है। फोटोग्राफी मीट में ‘सेल्फी लेना’ विषय ने सभी को बहुत देर व्यस्त रखा क्योंकि इसमें बेहतर सेल्फी लेने के लिए लाइट, कम्पोजिशन और एंगल जैसे विषय भी थे।
ऐसी ही एक पार्टी ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर आकर्षित किया। यह बुक रीडिंग सेशन था, जिसे ‘अपना शहर, अपनी कहानी’ थीम दी गई थी। इसमें प्रतिभागियों को उनके शहर के बारे में अपनी ऐसी प्रकाशित-अप्रकाशित कहानियां पढ़नी थीं, जो बताएं कि उनका शहर कैसे अलग है। मैं सेशन में तीन बार जा चुका हूं क्योंकि हर बार इसमें अलग-अलग लोग, बॉम्बे (अब मुंबई) के बारे में अलग कहानियां सुनाते हैं। वास्तव में लोग कहानी के समर्थन में ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें भी लाए और ऐसी कहानियां सुनाईं जो परिवार के अलावा किसी बाहरी ने नहीं सुनी थीं।
फंडा यह है कि अमीरों की जीवनशैली जीने का मतलब सिर्फ पैसे गिनना नहीं है, बल्कि उन पलों को गिनना है, जो आपने अपनी जैसी सोच वाले लोगों के साथ बिताए, जिनसे आपका ज्ञान और अनुभव बढ़ा।