दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
इंफ्रास्ट्रक्टर बनाना अगली पीढ़ी के लिए पेड़ लगाने जैसा है


May 4, 2021
इंफ्रास्ट्रक्टर बनाना अगली पीढ़ी के लिए पेड़ लगाने जैसा है
हाल ही में मैंने एक कार्टून देखा जिसने मेरा दिल छू लिया। यह ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर सड़क पर चलते एक परेशान रिश्तेदार के बारे में था, जिसे नहीं पता था कि वह अब क्या करे। उसने निराशा से सड़क किनारे लगे मजबूत, लंबे, पुराने, शानदार पेड़ की ओर देखा। उसे अकेला देख पेड़ बोला, ‘माफ करना, मैं तुम्हें इस सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं दे सकता।’ यह कार्टून सो रहे लोगों को वास्तविकता दिखाता है कि क्यों इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) जरूरी है।
जबकि कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन सप्लाई बेहतर हुई है, अब भी कई अस्पतालों को इसकी कमी से पूरी राहत नहीं मिली है। निराशा और दु:ख के बीच नि:स्वार्थता, उदारता और साहस की कहानियां भी आ रही हैं, जिससे इंसानियत पर भरोसा कायम रहता है और बेहतर कल की उम्मीद जिंदा रहती हैं।
अगर बात जरूरतमंद की मदद की हो, तो एक कोविड-19 वालंटियर समूह का उदाहरण देखें जिसने गोवा के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करवाने के लिए क्राउडफंडिंग की मदद ली। समूह ने 90 हजार से 1.2 लाख रुपए प्रति यूनिट कीमत के 7 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए नागरिकों द्वारा संचालित पहल covidcaregoa.in के जरिए 11 लाख रुपए जुटाए। अब इजरायल से सात यूनिट की पहली खेप जल्द आएगी, जिसे मुफ्त दिया जाएगा। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मेडीकल डिवाइस हैं, जो आस-पास की उस हवा से ऑक्सीजन अलग कर सप्लाई करते हैं, जिसमें 78% नाइट्रोजन और 21% ऑक्सीजन होती है। यह नाइट्रोजन को अलग कर ऑक्सीजन कंप्रेस करता है, जो 90% से 95% शुद्ध होती है।
हालांकि ऐसे त्वरित समाधान इंसानियत को उम्मीद देते हैं, खासतौर पर बड़े संकट को देखते हुए, लेकिन मुझे यह भी लगता है कि हमें ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम करना चाहिए जो हमारी पीढ़ी के तुरंत काम न आए लेकिन आने वाली कई पीढ़ियों के लिए मददगार हो। जैसे हमारे परदादा का लगाया हुआ पेड़ आज भी हमारी सेवा करता है।
यहां अंग्रेजों और निजाम द्वारा 143 वर्ष पहले बनाए गए सैन्य व रक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण देख सकते हैं, जिसने दूसरे विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब भी सिकंदराबाद और हैदराबाद के जुड़वा शहरों में समय पर ऑक्सीजन टैंकर पहुंचाकर हजारों कोविड-19 मरीजों की जान बचा रहा है।
सिकंदराबाद कैटोनमेंट में ब्रिटिश सैनिकों के लिए यह पुराना रेलवे इंफ्रास्ट्रक्टर निजाम्स गारंटीड स्टेट रेलवे (एनजीएसआर) द्वारा बनवाया गया था। इसने 1918 और 1957 में इन्फ्लूएंजा महामारी के वक्त भी हेल्थकेयर उपकरण, दवाओं और मेडीकल स्टाफ के परिवहन में मदद कर कई जानें बचाई थीं। इसने पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में भी सेवाएं दीं। वर्ष 1878 में बनी इस मिलिट्री रेलवे पटरी ने हैदराबाद से ओडिशा के अंगुल के बीच ऑक्सीजन टैंकर लाने, ले जाने में मदद की थी। कई दशकों बाद भी ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं हमेशा आपात परिस्थितियों में काम आती हैं, जैसे कोविड और ऑक्सीजन की कमी की मौजूदा स्थिति में। यह हमारा पुरातन रेलवे सिस्टम ही है जो विभिन्न जगहों पर ऑक्सीजन पहुंचा रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना फल के पेड़ लगाने जैसा ही है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी काम आते हैं। संकट में त्वरित मदद करना और कई वर्ष चलने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
फंडा यह है कि हमें पूर्वजों से जो दुनिया मिली है, उससे बेहतर दुनिया अपने बच्चों के लिए छोड़ना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

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