दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
इस रक्षा बंधन की थीम ‘रक्षा का वादा’ होना चाहिए
Aug 22, 2021
इस रक्षा बंधन की थीम ‘रक्षा का वादा’ होना चाहिए
हम सभी हर साल ‘रक्षा बंधन’ पर बहन का भाई की कलाई पर बांधे पवित्र धागे की महान कहानी और उसके गहरे अर्थ को सुनते हुए बड़े हुए हैं, लेकिन इस साल इसने एक नया रूप लिया है।
पोलैंड की भालाफेंक मारिया आंद्रेजेक का मामला लें। हर खिलाड़ी की तरह मारिया का भी ओलिंपिक में मैडल जीतना जिंदगी भर का सपना था और ये उनकी कड़ी मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति की बदौलत पिछले महीने रजत पदक से साकार हो सका। 25 वर्षीय ओलंपियन 64.61 मीटर दूर भाला भेंककर सिर्फ चीन की लियू शियिंग से पीछे थी, जिसने 66.34 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था।
हालांकि ये ओलिंपिक मैडलिस्ट कुछ अकल्पनीय करके इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत रही हैं, उन्होंने एक अच्छे काम के लिए अपना मैडल नीलाम कर दिया, वो भी किसी अनजान को बचाने के लिए। वह आठ महीने के लड़के मिलोजे माल्यसा की हार्ट सर्जरी के लिए फंडिंग करना चाहती थीं। उसे दिल की गंभीर बीमारी थी और सर्जरी की जरूरत थी। अपने मैडल की नीलामी करने के निर्णय पर उस पॉलिश स्टार ने कहा, मुझे यह फैसला करने में अधिक समय नहीं लगा क्योंकि अपनी बेशकीमती दौलत की नीलामी करके मैं उसकी मदद करना चाहती थी। उन्होंने 11 अगस्त को अपनी फेसबुक वॉल पर मातृभाषा में लिखा- ‘यह पहला फंडरेजिंग कैम्पेन है, जिससे मैं जुड़ी हूं और मुझे पता है कि यह सही है।’
उसके इस अच्छे काम के दो नतीजे निकले। पहला, उस बच्चे के लिए समय रहते इंतजाम नहीं हो पाया लेकिन उसके माता-पिता ने जमा किया फंड आगे देने का फैसला किया है। ये जानकारी मारिया ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर दी। दूसरा ये कि मारिया का सिल्वर मैडल पोलैंड की सुपरमार्केट चेन जाब्का पोल्स्का ने करीब 92 लाख रुपए में खरीदा। रजत पदक की बोली जीतने के बाद जाब्का ने मारिया को अपना मैडल अपने पास ही रखने को कहा है।
आप और मैं मारिया की तरह कोई सितारा खिलाड़ी नहीं हैं। पर हम कुछ बच्चों से प्रेरित हो सकते हैं, जो इस हफ्ते मुंबई के पास थाणे में एक दुर्लभ 100 साल पुराने उर्वशी के पेड़ (स्वर्ग का वृक्ष) को राखी बांधने के लिए इकट्ठा हुए। इसलिए नहीं कि इसे काटा जा रहा है बल्कि इसलिए कि ये बेपरवाह नागरिकों और नगर निगम की अनदेखी से मलबे के ढेर के नीचे दब गया है और उसके तने में कई कीलें ठोक दी गईं हैं। बच्चों ने इस पेड़ को मलबे से मुक्त कराया और सबसे पहले कीलें निकालीं फिर इसके चारों ओर राखी बांधी। इसके बाद उन्होंने इसे बचाने के लिए एक कार्ययोजना बनाई और आगामी कार्रवाई के लिए स्थानीय नगर निगम से संपर्क किया।
व्यक्तिगत तौर पर मुझे मेरी बहन से राखी के इस त्योहार पर एक अनोखा तोहफा मिला- विशेष रूप से मेरे लिए सिले आधा दर्जन मास्क। पैकेट पर एक लाइन लिखी हुई थी- बहन भाई की मास्क के जरिए रक्षा कर रही है! ये तोहफा कितना सही और खूबसूरत है, खासतौर पर 2021 में, जहां मास्क कम से कम 2022 तक चेहरों से नहीं हटने वाला। याद रखें कि डेल्टा वैरिएंट बढ़ने के साथ ही हर्ड इम्यूनिटी के बारे में पिछला सकारात्मक अनुमान और सामान्य जीवन की वापसी का दावा खारिज हो गया है, कई विशेषज्ञों का माननाहै कि कोरोना की गंभीर लहर से बचने के लिए आने वाले महीनों में भी मास्क पहनना जरूरी होगा। इस पर सहमति है कि केवल टीके ही काफी नहीं हैं और हमें बाकी दूसरे उपायों के साथ-साथ मास्क पहनना भी जरूरी है।
फंडा यह है कि जब वायरस बढ़ रहा है, ऐसे समय में एहतियातों का कोई अंत नहीं है और यही कारण है कि इस 2021 में रक्षा बंधन की थीम हमारे आसपास के हर जीवन की ‘रक्षा का वादा’ होनी चाहिए।