top of page

   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

उन लोगों के प्रति अच्छे बन जाएं, जो हमारे प्रति अच्छे नहीं हैं

उन लोगों के प्रति अच्छे बन जाएं, जो हमारे प्रति अच्छे नहीं हैं
Bhaskar.png

April 4, 2021

उन लोगों के प्रति अच्छे बन जाएं, जो हमारे प्रति अच्छे नहीं हैं!


इन दिनों मैंने ‘दूधवाला’ फ्लाइट लेनी बंद कर दी है, जो अलसुबह दूध बांटने वालों के समय रवाना होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुबह एयरपोर्ट पर भारी भीड़ होती है और सोशल डिस्टेन्सिंग नामुमकिन हो जाती है। इसकी जगह खासतौर पर कोविड के बाद से मैंने ‘बूथवाला’ फ्लाइट लेनी शुरू कर दी है, जो कि मुझे गंतव्य पर लगभग आधी रात को ले आती है। घर जाने वालों को छोड़कर बिजनेस यात्री ऐसी फ्लाइट नहीं लेते क्योंकि उन्हें उस शहर में एक रात होटल में गुजारने के लिए अतिरिक्त पैसा चुकाने पड़ते।


2 अप्रैल की रात ऐसी ही एक ‘बूथवाला’ फ्लाइट पकड़ने मैं मुंबई एयरपोर्ट पहुंचा। चूंकि कोविड तांडव मचा रहा है, ऐसे में एयरलाइन व एयरपोर्ट कर्मचारी न सिर्फ सतर्क थे बल्कि यात्रियों को मास्क पहनने व प्लास्टिक की थैलियों में दी गई शील्ड पहनने के लिए सख्ती कर रहे थे, साथ ही थैली में उड़ान के दौरान इस्तेमाल के लिए सैनिटाइजर्स के 5-6 पाउच भी दिए गए थे। कोविड काल के नियमों के मुताबिक बीच वाली सीट पर बैठने वाले सभी यात्रियों को पूरी बॉडी किट पहनना और खिड़की एवं गलियारे की सीट वालों को मास्क लगाना जरूरी है।


विमान के लिए प्रस्थान करने वाला मैं आखिर यात्री था। 200 फुट के पूरे एयरोब्रिज पर मुझसे पहले गए यात्रियों के फेंके खाली प्लास्टिक बैग देखकर मैं चकित था। अगर यह दृश्य किसी भी कैमरे में कैद हुआ, तो ये पलभर में देश की छवि धूमिल कर सकता है, क्योंकि पहली बात तो उन सुंदर गलीचों पर कोई भी ऐसा कूड़ा नहीं फेंकता है, वो भी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर। इस दृश्य के बावजूद मैं खुश था कि चलो कम से कम यात्री मास्क पहने हैं, जो कि अनिवार्य था। पर मैं गलत था। जब मैं विमान के अंदर पहुंचा, सात यात्री इस पर तर्क रहे थे कि तीनों सीटों पर एक ही परिवार के लोग हैं, इसलिए बीच वाली सीट पर बैठने वाले को बॉडी किट की जरूरत नहीं है। और एक परिवार ने तो गुस्से में तर्क करना शुरू कर दिया कि वे चूंकि एक ही घर से आए हैं, अपने घर पर कभी मास्क नहीं पहना, इसलिए उन्हें यहां भी मास्क नहीं पहनना। जब उन्हें मनाने के प्रयास विफल हो गए, तब वरिष्ठ परिचालक दल (क्रू) ने उन्हें कहा कि वे उन्हें ‘नियम न मानने वाले यात्री’ घोषित कर रहे हैं और उन्हें तुरंत विमान से उतरना होगा। तब जाकर उस परिवार ने किट पहनी, जिसकी थैली वे पहले ही फेंक चुके थे।


क्रू की यात्रियों से कम से कम बातचीत के नियम के बावजूद ये खिन्न परिवार बार-बार घंटी बजाकर क्रू को कभी पानी तो कभी कुछ और मंगाने के लिए बुला रहा था। क्रू वाकई परेशान हो रहा था। मैं देख रहा था कि उनकी पूर्ति करने के बाद हर बार उनकी देहभाषा गुस्से से भरती जा रही थी। उन्होंने यात्रियों को कोविड के नए नियमों से भी डराया, जिनका वे पालन नहीं कर रहे थे। तब मुझे अहसास हुआ कि गुस्से की प्रतिक्रिया में दिखाया गुस्सा और क्रोध बढ़ाता है। बुरे के बदले बुरा सिर्फ और बुरा ही होता है। जिंदगी में दो नकारात्मक एक सकारात्मक नहीं बनाते।


तब जाकर मैंने हताश क्रू में से एक को कहा कि ‘दुर्योधन से मुकाबला करने के लिए हमें दुर्योधन बनने की जरूरत नहीं। बल्कि अर्जुन बनकर आप दुर्योधन से जीत सकते हैं। मायने ये नहीं रखता कि दूसरे हमारी अच्छाई के लायक हैं या नहीं, बल्कि अहम ये है कि अपने दिल में हम कुछ बुरा नहीं चाहते।’ क्रू अपनी बात पर टिका रहा, पर उड़ान का अनुभव सुखद बनाते हुए हल्का महसूस कर रहा था।


फंडा यह है कि उन लोगों के प्रति अच्छे बन जाएं, जो हमारे प्रति अच्छे नहीं हैं। हमें परेशान करने वालों की तरह बनने के बजाय अगर हम अपनी अच्छाई पर कायम रहें, तो अपने लिए शांति बनी रहेगी।

1_edited_edited.jpg

Be the Best Student

Build rock solid attitude with other life skills.

05/09/21 - 11/09/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)

Duration - 14hrs (120m per day)

Investment -  Rs. 2500/-

DSC_5320_edited.jpg

MBA

( Maximize Business Achievement )

in 5 Days

30/08/21 - 03/09/21

Free Introductory briefing session

Batch 1 - For all adults

Duration - 7.5hrs (90m per day)

Investment - Rs. 7500/-

041_edited.jpg

Goal Setting

A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.

01/10/21 - 04/10/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)

Duration - 10hrs (60m per day)

Investment - Rs. 1300/-

bottom of page