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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

कमाई बढ़ाने के लिए तेजी से बदलें

कमाई बढ़ाने के लिए तेजी से बदलें
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July 14, 21

कमाई बढ़ाने के लिए तेजी से बदलें


अगर आप किसी स्थानीय बिजनेस को फिर फलते-फूलते देख रहे हैं तो यह न सोचें कि सबकुछ महामारी के पहले जैसा हो गया है। सभी ने काम का तरीका बदल लिया है। चायवाले का उदाहरण देखें। मेरे कॉलेज के दिनों में आईआईटी बॉम्बे के सामने एक चायवाला था, जहां मैंने क्लास के बाद कई शामें बिताईं। वह 24x7 ग्राहकों के लिए उपलब्ध होता था। हमारे जैसे छात्रों से लेकर सिक्योरिटी गार्ड और कामगार तक, सुकून से चाय पीने आते थे। उसकी दुकान पर लगातार चाय बनती थी। वह दिन में 5-6 हजार रुपए कमा लेता था। लेकिन ऐसा महामारी के पहले था।


हाल ही में दोबारा खुली उसकी दुकान अब सरकार द्वारा तय घंटों में चलती है। उसने वहां सैनिटाइजर रखे लेकिन उनकी गंध का चाय पर असर होने लगा। अब वह हल्दी, नींबू और नमक के साथ पानी देता है। यह जुगाड़ उसने खुद बनाई है। आज वह महज 1000 रुपए कमा रहा है क्योंकि सिर्फ 25% पुराने ग्राहक आ रहे हैं। नए ग्राहक पाने के लिए उसने इलाके के सभी कुंवारों में अपना मोबाइल नंबर बांट दिया है। उसने थरमस खरीदे हैं और घर चाय पहुंचाने के लिए नौकर रखे हैं।


जोधपुर के पास ढोला गांव की कालबेलिया डांसर सुआ देवी (46) पहले कभी बिजली जाने पर बेटे को कमरे के बाहर मोटरसाइकिल घुमाने के लिए नहीं कहती थीं। लेकिन आज बिजली जाने पर उनका बेटा मोटरसाइकिल शुरू कर हेडलाइट से उनपर रोशनी डालता है क्योंकि वे चमचमाते जेवर पहनकर स्मार्टफोन के सामने नृत्य कर दुनियाभर के छात्रों को डांस सिखाती हैं। यानी इस महामारी में उन्होंने ट्राइपॉड, स्मार्टफोन पर खर्च कर ऑनलाइन क्लास चलाना सीखा क्योंकि उनपर दर्जनभर लोग आश्रित हैं।


असम के गोलाघाट जिले में काजीरंगा नेशनल पार्क के पास बोसागांव गांव की रूपज्योति सइकिया द्वारा शुरू किया गया उपक्रम ‘‌विलेज वीव्स’ महिलाओं की मदद कर रहा है। यहां महिलाएं प्लास्टिक पैकेट से घर की सजावट और उपयोग की चीजें बनाती हैं, जैसे टेबल मैट, दरी और चटाइयां आदि। वहां की लैंडफिल में ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक आने से रूपज्योति न सिर्फ मिट्‌टी के प्रभावित होने को लेकर, बल्कि जानवरों के चारे तक में प्लास्टिक पहुंचने को लेकर चिंतित थीं। चूंकि असम में बुनाई काफी होती है और ज्यादातर महिलाओं के पास हथकरघा होते हैं, इसलिए रूपज्योति को प्लास्टिक को रिसायकल करने का विचार आया, जिससे अतिरिक्त आय भी हो सकती है। शुरुआत के लिए वे कुछ वर्कशॉप में शामिल हुईं और प्लास्टिक को धागे से बुनने की प्रक्रिया सीखी। फिर इस विचार को आसपास के गांवों की महिलाओं तक ले गईं।


हाल ही में केरल कि डेलिशा डेविस (23) हिंदुस्तान पेट्रोलियम के एलपीजी प्लांट से पेट्रोल पंप तक टैंकर चलाने को लेकर सुर्खियों में रहीं। हालांकि उसने तीन साल पहले ही लॉरी चलाने का लाइसेंस ले लिया था। लेकिन लॉकडाउन के बाद ही वह ट्रिप पर गई क्योंकि रात में उसकी ऑनलाइन क्लास थीं। कॉमर्स में पोस्टग्रैजुएशन की छात्रा डेलिशा हर ट्रिप में 300 किमी चलती हैं। इस उम्र में वह गति नियंत्रण, पहाड़ी इलाकों में मोड़ पर नियंत्रण और ओवरटेक आदि सावधानी से कर लेती है। यह सावधानी जरूरी है क्योंकि गाड़ी में पेट्रोल और डीजल के कुल 12,000 लीटर की क्षमता वाले दो कपार्टमेंट हैं और जरा-सी लापरवाही पूरा इलाका उड़ा सकती है।


फंडा यह है कि महामारी ने हमें जिंदगी के सभी काम करने के तरीके बदलना सिखाया है। इसलिए अगर कमाई बढ़ाना चाहते हैं तो तेजी से बदलें।

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