दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
कुछ दिया नहीं तो फिर क्या जिया


Sep 15, 2021
कुछ दिया नहीं तो फिर क्या जिया?
वे 2001 में नागपुर से बतौर लोको इंस्पेक्टर रिटायर हुए। मध्य रेलवे के लोकोमोटिव सेक्शन में कई पदों पर रहने के बाद शशिकांत के. भालेराव (79) और उनकी पत्नी शुभदा (69) नासिक में रहने लगे क्योंकि दोनों बेटे वहीं नौकरी करते थे। उन्होंने रिटायर्ड जीवन बच्चों के साथ बिताने का सोचा था, लेकिन उन्हें अलग होना पड़ा। कुछ वर्षों में उनके बच्चे अलग-अलग जगह चले गए। बड़ा बेटा कनाडा के वैंकूवर गया, वहीं छोटा नागुपर की एमएनसी में काम करने लगा।
एक दिन 2010 में दंपति के जीवन में एक माली के रूप में एक आदिवासी कांतिलाल देवम् खुम्भारे आया, जो नासिक से 50 किमी दूर अम्बरदहद का था। उसके बागवानी कौशल से प्रभावित होकर शुभदा ने उसके बारे में पूछा। उन्हें पता चला कि वह दसवीं तक पढ़ा है और एथलेटिक्स में रुचि है। वे जानकर हैरान रह गईं कि उसने दो दिन से कुछ नहीं खाया था। भरपेट भोजन उन्हें नजदीक लाया। दंपति ने लड़के को बेटे का कमरा दे दिया जो वर्षों से खाली पड़ा था।
कांतिलाल के जूनियर कॉलेज और ग्रेजुएशन के अगले पांच साल भोसले मिलिट्री कॉलेज में बीते जो दंपति के घर से 10 मिनट दूर था। इस बीच कांतिलाल ने मराठा विद्या प्रसारक समाज, नासिक द्वारा आयोजित मैराथन में पहला पुरुस्कार जीतकर 5000 रुपए नकद पाए। इससे उसे एथलेटिक्स पर ध्यान देने की प्रेरणा मिली। कॉलेज के सरकारी कोच विजयेंद्र सिंह ने न सिर्फ उसकी साई एथलेटिक एसोसिएशन से जुड़ने में मदद की, बल्कि महिंद्रा एंड महिंद्रा की स्पॉन्सरशिप भी दिलाई, ताकि वह डाइट समेत तमाम खर्च उठा सके।
उसने दंपति का घर विभिन्न राष्ट्रीय और विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में जीते 50 से ज्यादा मेडलों से भर दिया, लेकिन इस महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार ने हमेशा कांतिलाल को स्थायी सरकारी नौकरी पाने प्रेरित किया। 2020 में कांतिलाल (29) की दिल्ली में आयकर विभाग में बतौर टैक्स असिस्टेंट नौकरी लग गई। किस्मत ने उसका साथ दिया और आईटी विभाग ने उसे आगामी 15 अक्टूबर को नेहरु स्टेडियम दिल्ली में आयोजित विभागीय खेल प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण लेने वापस नासिक भेज दिया। भालेराव दंपति के लिए कांतिलाल तीसरे बेटे की तरह है।
मुझे लगता है कि कोई भी ‘गो-गिवर’ हो सकता है यानी आपके पास जो ज्यादा है, उसे दे दें। दंपति के दिल और घर में जगह थी, जो उन्होंने कांतिलाल को दी। जो कहते हैं कि सभी के पास पैसे नहीं होते, उन्हें मेरी सलाह है कि वे सुनीता भार्गव की कहानी जानें, जो राजस्थान के चित्तौरगढ़ के मंडिफिया में गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल में प्राचार्य थीं और बीती 31 अगस्त को रिटायर हुईं।
कुछ महीने पहले उनके पति का हृदयाघात से देहांत हो गया। बीती 18 अगस्त को जयपुर के महावीर कैंसर हॉस्पिटल में उनकी यूटरेस कैंसर की सर्जरी थी। चूंकि उनकी पेंशन उदयपुर जोन से आती है और उनके पास कागजी प्रकिया पूरी करने कोई नहीं था, इसलिए वे सोच रही थीं कि वे दोहरी जंग कैसे लड़ेंगी, एक तरफ पति के जाने का दर्द, दूसरी तरफ घातक बीमारी।
उन्हें उदयपुर के पेंशन विभाग की एडीशनल डायरेक्टर भारती राज का मोबाइल नंबर मिला। सुनीता ने केवल तीन लाइन में परिस्थिति बताते हुए मदद मांगी। वे हैरान रह गईं जब बीस दिन के अंदर ही पूरा पेपरवर्क घर भेज दिया गया। मेरे लिए भारती राज ‘गो-गिवर’ हैं, जिन्होंने सुनीता की मदद के लिए अपनी शक्ति इस्तेमाल की, जिन्हें वे सिर्फ वॉट्सएप पर जानती थीं।
फंडा यह है कि इंसानी जीवन उदार ‘गो-गिवर’ बनने के लिए ही है, फिर वह इंसान के लिए हो, जानवर या पारिस्थितिकी के लिए। दिए बिना जीना भी कोई जीना है?

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-