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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

कोविड 2.0 में शिक्षा भी 2.0 बने

कोविड 2.0 में शिक्षा भी 2.0 बने
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June 2, 2021

कोविड 2.0 में शिक्षा भी 2.0 बने


हैलो शिक्षकों, आपको याद है महामारी से पहले कैसे ऊर्जा से भरे कई होशियार बच्चे आपकी क्लास में आते थे? याद है आप कितनी बार शोर-शराबे के बीच चीखते थे, ‘बैठ जाओ, शांत रहो’? अब यही बच्चे आपकी ऑनलाइन क्लास में हैं, घर के आराम में होने के बावजूद पूरी तरह शांत, निरुत्साह हैं और वे शायद ही कभी कैमरे पर होमवर्क दिखाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ महीनों में परिवारों में वित्तीय असुरक्षा, लंबा एकांत, संक्रमित होने और मौत का सामना करने के डर ने उन्हें गहरा तनाव दिया है।


मुझसे सहमत होते हुए आप सोच रहे होंगे कि महामारी के बाद कैसे इन बच्चों की मदद करें? हां, महामारी ने पिछले कुछ महीनों में आप जैसे शिक्षकों को छात्रों के लिए सुरक्षित और विकास के लिए जरूरी माहौल देने के लिए बेहतर प्रशिक्षित होने पर जोर दिया है। इसमें तनाव के समय भावनाओं पर काम करना भी शामिल है, जिससे बच्चों को चिंता और डर की भावनाएं व्यक्त करने का मौका मिले। और इसके लिए छात्रों की ऑनलाइन क्लास में ज्यादा से ज्यादा रुचि जगाना जरूरी है। जैसे पुणे के 13 तालुकाओं के जिला परिषद स्कूलों ने किया है। उन्होंने हजारों छोटे छात्रों का ध्यान आकर्षित करने और उनकी बेहतर सक्रियता के लिए पूरी प्रक्रिया में थोड़ी तड़क-भड़क लाने की योजना बनाई है।


नई पहल के तहत वे पाठ्यक्रम के सभी अध्यायों का नाट्य रूपांतरण कर ऑनलाइन क्लास में फिर सुना रहे हैं। उन्होंने ऐसा तब किया जब उन्हें अहसास हुआ कि बच्चों की कल्पनाशीलता बढ़ाकर उनकी देखकर समझने की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।


पहली लहर के दौरान भी इन शिक्षकों ने तस्वीरों और ऑडियो वाले साधारण वीडियो बनाए थे। लेकिन दूसरी लहर में इन्हीं शिक्षकों ने वीडियोज में आवाज के उतार-चढ़ाव, नाटकीयता और हर वीडियो ज्यादा आकर्षक बनाने के तरीके जोड़े। जिला परिषद ने हाल ही में कई शिक्षकों को चुना और उन्हें प्रशिक्षण देकर बेहतर नाट्य रूपांतरण आदि सिखाया। इसमें छात्रों को भी आनंद मिल रहा है क्योंकि वे शिक्षक से बेहतर ढंग से जुड़ पा रहे हैं और उनकी रुचि बनी रहती है। वीडियो बनाने के लिए कुछ शिक्षकों ने अपने या पड़ोस के बच्चों के सामने अभ्यास किया, जिन्होंने पसंद-नापसंद पर फीडबैक दिया।

पाठों के नाट्य रूपांतरण में कविताओं को धुन देना शामिल है, ताकि छात्रों की श्रवण क्षमता सक्रिय हो, जिससे परोक्ष रूप से बच्चों का ध्यान बढ़ता है। ‘पेपा पिग’ जैसे कार्टून उन्हें आकर्षित करने में सफल रहे हैं। यह पहल वास्तव में ऑनलाइन लर्निंग अनुभव बेहतर बना रही है, खासतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए, जिन्होंने विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म ज्यादा नहीं देखे हैं। नाट्य रूपांतरण में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान और मराठी शामिल हैं। सभी वीडियो छात्रों के लिए ऐप या यूट्यूब पर क्रमवार अपलोड किए जाते हैं और बच्चे उन्हें उत्साह से फॉलो कर रहे हैं। इस तरह कुछ शिक्षकों को अच्छा लग रहा है कि छात्र उन्हें ऐसी जगहों से फॉलो कर रहे हैं, जहां वे कभी नहीं गए।


दिलचस्प है कि कैलिफोर्निया के महंगे स्कूलों के शिक्षकों का भी 20 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम था लेकिन संकट और मानसिक स्वास्थ्य व्यवहार पर। ये क्लाउड पर अपलोड किए गए थे और कोई भी शिक्षक इसे दिए गए पासवर्ड से अपने मुताबिक देख सकता है।


फंडा यह है कि न्यू नॉर्मल में रचनात्मक शिक्षक नाट्य रूपांतरण का तड़का लगाकर और पाठों को नए तरह से सुनाकर छात्रों की रुचि जगा सकते हैं।

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