दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
क्या आपका बच्चा ‘इलेक्ट्रॉनिक ड्रग्स’ ले रहा है


Aug. 7, 2021
क्या आपका बच्चा ‘इलेक्ट्रॉनिक ड्रग्स’ ले रहा है?
गुरुवार देर शाम इंदौर से भोपाल जाते हुए मैं ‘सोल रिट्रीट’ होटल पर रुका। जब मैं उसके जनरल स्टोर पर कुछ बिस्किट खरीदने पहुंचा, तो उसके मालिक, जो एक युवक था, को पता भी नहीं चला कि मैं दुकान से सामान उठा रहा हूं। वह मोबाइल में डूबा था, कानों में हेडफोन लगे थे और उसके होंठ कह रहे थे, ‘मार, छोड़ मत, मार, जल्दी मार’। अगर मैं सामान उठाकर चला भी जाता तो वह मुझे पकड़ नहीं पाता। सामान बेचने को लेकर इस युवक के ऐसे निरुत्साह के बारे में मैंने होटल मैनेजर से पूछा। मुझे बताया गया कि युवक को मोबाइल गेम की लत थी और इसलिए उसका ‘आई करेक्शन ट्रीटमेंट’ चल रहा है। परिवार ने कई बार समझाया, पर फायदा नहीं हुआ। मुझे पैसे लेने के लिए युवक के कंधे छूकर उसे हिलाना पड़ा। आस-पास क्या हो रहा है, इससे वह पूरी तरह अनजान था। वह ‘इलेक्ट्रॉनिक ड्रग्स’ का शिकार था।
चीनी मीडिया ने इस हफ्ते इसी शब्द का इस्तेमाल किया। उसने युवाओं में बढ़ती ऑनलाइन गेमिंग के लिए दो नए शब्द दिए, ‘स्प्रिचुअल ओपियम’ (आध्यात्मिक अफीम) और ‘इलेक्ट्रॉनिक ड्रग्स’।
मीडिया ने गेमिंग इंडस्ट्री को ‘स्प्रिचुअल अफीम बेचने वाला’ कहा था, जिसके बाद चीनी टेक्नोलॉजी दिग्गज ‘टेंसेंट होल्डिंग्स लिमिटेड’ ने इस हफ्ते घोषणा की कि वह उसके फ्लैगशिप कम्प्यूटर गेम्स पर खर्च हो रहे बच्चों के समय को कम करेगा। एक सोशल मीडिया पोस्ट में टेंसेंट ने नए उपायों की घोषणा की। उसके मुताबिक ‘संबंधित प्राधिकरणों’ ने गेमिंग में बच्चों को ज्यादा सुरक्षा देने और कंपनियों से ‘सामाजिक जिम्मेदारी’ निभाने का निवेदन किया है। यह अलग बात है कि कंपनी के शेयर इस मंगलवार 11% गिर गए, जो 60 अरब डॉलर के बराबर हैं। निवेशकों को डर था कि चीन की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी पर नियामक कार्रवाई का सबसे बड़ा निशाना गेमिंग बनेगी।
चीन की सबसे बड़ी सरकारी न्यूज एजेंसी झिनहुआ से संबंद्ध इकोनॉमिक इंफॉर्मेशन डेली में प्रकाशित लेख ने डिजिटल गेम्स की तुलना ‘इलेक्ट्रॉनिक ड्रग्स’ से की थी और बच्चों में ‘व्यापक’ लत रोकने के लिए इंडस्ट्री पर अधिक प्रतिबंधों की मांग की थी। आर्टिकल के मुताबिक, ‘किसी भी उद्योग या खेल को इस तरह विकसित नहीं होने दे सकते कि वह एक पीढ़ी को बर्बाद कर दे।’
दिलचस्प है कि इस सख्त लेख को बिना स्पष्टीकरण साइट से हटा लिया गया और कुछ घंटों बाद इसी विषय पर पर नया लेख आया, पर नर्म लहजे में। इसमें स्कूलों, गेम डेवलपर्स, पैरेंट्स और अन्य साझेदारों से ‘मिलकर काम करने’ का निवेदन किया गया। यहां जानना जरूरी है कि चीन में करीब 74 करोड़ गेमर्स हैं, जो चीन के घरेलू गेमिंग बाजार में 45 अरब डॉलर का योगदान देते हैं।
मुझे खुशी है कि अंतत: मानव जाति के किसी सदस्य ने ऑनलाइन गेम के नुकसान को पहचाना और इसे ‘दिमाग के लिए अफीम’ शब्द दिया। मैं खुद ऐसे बच्चों को जानता हूं जो कपड़े खरीदने पैसे लेते हैं और गेम्स खरीद लेते हैं। निवेशकों, कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के बीच जो भी समस्या हो, यह कुछ प्रतिबंध लगाने का समय है। या तो 12 वर्ष से कम बच्चों को वीडियो गेम न खेलने दिए जाएं या एजेंसियों के जरिए गेम्स के कंटेंट की निगरानी हो।
फंडा यह है कि जब तक कुछ नियम नहीं बनते, हम माता-पिता को ऑनलाइन क्लास के बाद मोबाइल पर बीतने वाले बच्चे के समय की निगरानी करनी होगी क्योंकि मोबाइल ‘ड्रग्स’ की तरह हैं (इसलिए इलेक्ट्रॉनिक ड्रग्स कहा गया)। पढ़ाई में गिरते प्रतिशत इस बात को साबित करते हैं।

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