दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
खाद्य और खेती के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार हो जाइए
June 18, 2021
खाद्य और खेती के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार हो जाइए
लगातार दूसरी साल अपने बगीचेे के अधिकांश आम, केले और कटहल समेत कई फल लोकल में मेरे मित्रों को बांटने पड़े। ऐसा इसलिए क्योंकि मेरे रिश्तेदार व बड़े-बूढ़े जहां रहते हैं, वहां अक्सर आने-जाने वाले ज्यादा लोग मुझे नहीं मिलते। और कुरिअर से उन्हें ये सब भेजने का समय व ऊर्जा मुझमें नहीं है। वो भी ऐसे वक्त में जहां अनलॉक के नियमों के बीच खराब होने वाली चीजों के परिवहन को लेकर नियम स्पष्ट नहीं हैं। मैं असल में ये चाहता था कि जब तक ये फल खाने लायक हैं, कोई न कोई उन्हें इस्तेमाल कर ले।
अकेला मैं ही नहीं बल्कि खाद्य आयात करने वाले देश भी चिंतित हैं कि अगर एक और ऐसी विपदा आ गई, भले ही उसका प्रकोप उनके देश में ना हो, लेकिन अगर उसने खाद्य निर्यात करने वाले देश को प्रभावित किया, तो उनका क्या होगा।
64 देशों से आयात करने वाले यूएई का उदाहरण लें, जो चिंतित है कि उन देशों में किसी आपदा से उसकी आपूर्ति पर असर पड़ेगा। खाद्य की लगातार व सुरक्षित आपूर्ति के लिए स्थानीय उपज बढ़ाने और युवाओं को खेती में हुनरमंद बनाने की जरूरत है ताकि वे अत्याधुनिक कृषि तंत्र का प्रबंधन कर सकें। संपन्न देशों के लिए महामारी सीखने का अनुभव रही है, जो कृषि पर निर्भर देशों की सर्वश्रेष्ठ उपज आयात कर लेते हैं, जिसमें भारत भी एक है।
यही कारण है कि अब यूएई खाद्य सुरक्षा स्टेशन बना रहा है और स्थानीय युवाओं को कृषि में कॅरिअर बनाने और हाईटेक खेत विकसित करने के लिए प्रेरित कर रहा है। भले ही अभी ये स्थानीय युवाओं के लिए अवसर हो, पर ये भारी खपत वाले देश की हर मांग पूरी नहीं कर सकते। मतलब ये पड़ोसी देशों के उन युवाओं के लिए भी अवसर है, जो फसलों, पशुधन, मधुमक्खी पालन और जलीय कृषि के विशेषज्ञ बन सकते हैं। ये अंततः उनकी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में योगदान देगा। याद रखें खेती सिर्फ इन चार कार्यक्षेत्रों में ही खत्म नहीं हो जाती। वे अब युवाओं को कृषि व्यवसाय के बड़े हिस्से जैसे उच्च तकनीक, नेटवर्किंग, मार्केटिंग, सुरक्षा, प्रसंस्करण जैसे क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की योजना बना रहे हैं। ग्रीन हाउस, कुक्कुट, मधुमक्खी, इन्क्यूबेटर्स में प्रयोग, एक्वापोनिक्स सिस्टम, कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, जलीय कृषि के विकास के लिए तालाब, ऑर्गेनिक खेती और हाइड्रोपॉनिक्स सिस्टम जैसे क्षेत्र भी हैं। फिर से खाद्य सुरक्षा यहीं खत्म नहीं होती। उपज के बाद की प्रक्रिया, भंडारण, शीतलन, वर्टिकल फार्मिंग पैकिंग व ढुलाई में समय प्रबंधन का ख्याल रखने वाले देश ही खाद्य सुरक्षित रहेंगे।
किसानों को खेती के टिकाऊ तरीके अपनाने की दिशा में प्रोत्साहन के लिए यूएई उन्नत कृषि मार्गदर्शन प्रणाली अपनाने जा रहा है। इससे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद मिलेगी और नवीनतम तकनीक का अधिकतम लाभ उठा सकेंगे।
ये साफ दर्शाता है कि यूएई जैसे देश स्थानीय खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं और कृषि में युवाओं को जोड़ रहे हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों से टक्कर लेने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय युवाओं से बेहतर कौन हो सकता है? अगर आप उनमें से हैं, जो पहले से ही कृषि क्षेत्र में हैं तो इस खाली अंतर को भरने के लिए ऊपर जिक्र किए कुछेक क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करें। एक बार जब ढांचा तैयार हो जाएगा, तो उसे चलाने व बनाए रखने के लिए उन्हें लोगों की जरूरत होगी। निकट भविष्य में अधिकांश खाद्य आयातक देशों का लक्ष्य खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल करना होगा। जैसे हमारे कारीगरों, इलेक्ट्रिशियन और ठेकेदारों ने यूएई की ऊंची इमारतें बनाईं, वैसे ही कृषि में विशेषज्ञता के साथ अगली पीढ़ी वहां खाद्य सुरक्षा हासिल करने में मदद करेगी। ना सिर्फ भारत में बल्कि यूएई जैसे धनी देशों में भी अगली बड़ी हरित क्रांति के लिए तैैयार हो जाइए।
फंडा यह है कि अगर आप अन्य देशों में खाद्य और खेतों को आकार दे सकते हैं, तो आपको कभी भी नौकरी खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि जब तक आप खुद रिटायर होने का फैसला नहीं लेंगे तब तक वे आपका पीछा करते रहेंगे।