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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

दुनिया अशांत होने पर क्या करती है?

दुनिया अशांत होने पर क्या करती है?
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March 16, 2021

दुनिया अशांत होने पर क्या करती है?


हमारा बाहरी समस्याओं पर नियंत्रण नहीं होता। हालांकि, ज्यादातर पढ़े-लिखे लोगों को भविष्य की दुनिया में बदलावों की उम्मीद है और वे खुद को इसके लिए तैयार कर रहे हैं। लेकिन यह विकास संबंधी बदलावों तक ज्यादा सीमित है और महामारी जैसे विनाशकारी बदलावों पर नहीं, जिसमें दुनिया 2020 में फंसी।


कुछ इससे पार पा गए, जबकि कुछ भटक गए। जैसे हैदराबाद का डांस शिक्षक शिवशंकर इसमपल्ली (27), जिसकी महामारी के दौरान नौकरी चली गई, तो वह ड्रग्स बेचने लगा। उसे शनिवार को कार में 14 लाख रुपए कीमत का, 91 किलोग्राम गांजा रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।


लेकिन कोलकाता का शुभांकर कोले (25) अलग था। उसकी भी महामारी में नौकरी गई, लेकिन वह एक वन्यजीव एनजीओ के फोरम से बतौर वॉलंटियर जुड़ गया और खुद को व्यस्त रखा। उसने शनिवार को ही गिलहरियों और सिवेट कैट के शिकारियों के गैंग को पकड़ने में वन अधिकारियों की मदद की। दरअसल, अधिकारियों ने इस साल ऐसे 300 शिकारी समूह देखे, हालांकि इस बढ़ोतरी के लिए महामारी दोषी नहीं है।

कई लोग कोविड से हुए तनाव को इंसानी व्यवहार में अचानक आए इस बदलाव का कारण मान रहे हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं और कुछ मामलों में लोग शिवशंकर जैसा गलत रास्ता चुन रहे हैं। इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री ने महामारी के असर को समझने के लिए ऑनलाइन सर्वे किया, जिसमें करीब 40% उत्तरदाताओं ने चिंता या अवसाद के लक्षण होने की बात कही। बाकी ने हल्का तनाव बताया।


नतीजतन, ज्यादातर लोग वेलनेस संबंधी समाधान तलाश रहे हैं। इसमें आश्चर्य नहीं कि जनवरी 2020 की तुलना में अप्रैल 2020 में वेलनेस ऐप 20 लाख बार ज्यादा डाउनलोड हुए। ‘काम’ और ‘हेडस्पेस’ जैसे अंतरराष्ट्रीय ऐप का ऑनलाइन मेडिटेशन में दबदबा रहा। हालांकि कई भारतीय ऐप्स भी हैं, जो समाधान देने में आगे रहे।

तनाव किसी भी परिस्थिति में सेहत पर बुरा असर डालता है। लगभग आठ राज्यों में बढ़ते कोविड मामलों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए युवाओं में एक नई घबराहट है। माना जाता है कि बेरोजगारी, अवसाद, नशा और हिंसा का जोखिम बढ़ाती है। इसीलिए अपना और अपनी मानसिक सेहत का ध्यान रखना कमजोरी की निशानी नहीं है, बल्कि जरूरी है। विशेषज्ञ कुछ सुझाव देते हैं:


1. खुद का ख्याल रखें: अगर चाहते हैं कि दिमाग अच्छे से काम करे, तो शरीर का ख्याल रखें। इसमें अच्छी नींद और हेल्दी डाइट जरूरी है।

2. सामाजिक मेलजोल बनाए रखें: सकारात्मक सामाजिक मेलजोल मानसिक सेहत को बेहतर बनाता है। संपर्क में बने रहें लेकिन गप्पों और नकारात्मक बातों से दूर रहें।

3. दिनचर्या तय करें: शेड्यूल बनाए रखने से बेहतर महसूस होता है। इसमें नौकरी के मुद्दों, फुरसत और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने वाली चीजों के लिए समय तय करें।

4. शारीरिक सक्रियता: अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक व्यायाम जरूरी है। जिम न सही, अपने घर में ऐप या वीडियो की मदद से व्यायाम करें।

5. तनाव सहने के सेहतमंद तरीके अपनाएं: डायरी लिखना, ध्यान, गहरी सांस लेना और योग, ये तनाव कम करने के कुछ स्वस्थ तरीके हैं। सुनिश्चित करें कि आपको तनाव झेलने के पर्याप्त सेहतमंद तरीकों की जानकारी हो, ताकि तनाव बढ़ने पर उनका इस्तेमाल कर सकें।


फंडा यह है कि न सिर्फ भारतीय बल्कि ज्यादातर वैश्विक आबादी भी 2019 और 2020 की तुलना में, अब कहीं ज्यादा ऐप के जरिए ध्यान कर रही है। जब व्यक्ति ऐसे कारकों से अशांत होता है, जिसपर उसका नियंत्रण न हो, तो ध्यान सर्वश्रेष्ठ समाधान है।

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