दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
नए मॉडल की शिक्षा का फायदा उठाइए
नए मॉडल की शिक्षा का फायदा उठाइए
गुजरात सरकार की घोषणा के अनुसार इस सोमवार से सरकारी व निजी दोनों दफ्तर अपने 100 फीसदी स्टाफ के साथ काम कर सकते हैं। उसी सरकार ने ऐसे छात्रों के लिए टीके के दोनों डोज़ में अंतर को कम करके 28 दिन कर दिया है, जो विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने जा रहे हैं और जहां नामांकन में संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। अगर आप सोचते हैं कि सरकारी दफ्तरों की तरह कक्षाएं भी ऐसे स्वरूप में वापस लौटेंगी, तो मैं बता दूं कि महामारी ने शिक्षा व्यवस्था के भविष्य को बदल दिया है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित राष्ट्र समेत दुनियाभर में पढ़ाई के ऑनलाइन विकल्प मौजूद रहने वाले हैं। वे ‘हाइब्रिड मॉडल’ (मिश्रित) पेश करेंगे जहां नए अकादमिक सत्र में दोनों ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाएं नए मानक बन जाएंगी।
दुनिया में कई शैक्षणिक परिसरों ने पाया कि इन 15 महीनों में वर्चुअल पढ़ाई के अच्छे पहलू भी सामने आए हैं। रहने के खर्च में कमी के अलावा ये कई युवाओं को कॉलेज व कामकाजी जिंदगी में संतुलन का मौका देती है। उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहरों या देशों में बसने जा रहे छात्रों को आमतौर पर महंगे घर और कैंपस से आने-जाने में ट्राफिक जाम आदि से जूझना पड़ता है, वहीं कुछ लोगों को नौकरी में तालमेल बैठाना पड़ता है। सभी पृष्ठभूमि के छात्रों, खासतौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े और उनके अपने देश में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले छात्रों तक पहुंच बढ़ाने के लिए, यहां तक कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने भी तय किया है वे जितनी सुविधाएं महामारी से पहले देते थे, उससे ज्यादा वर्चुअल सुविधाएं महामारी के बाद देंगे। मूल रूप से ऐसा इसलिए है क्योंकि छात्रों को लगता है कि विश्वविद्यालय अगर उन्हें हाइब्रिड कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति देते हैं, तो उनका जिंदगी पर ज्यादा नियंत्रण होगा। हालांकि 60% छात्र पूरी तरह कैंपस में लौटने और हॉस्टल या निजी आवास में रहने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें अच्छी खासी संख्या के पास इंटरनेट और कंप्यूटर तक समान रूप से पहुंच नहीं है। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटीज़ ने कैमरा चालू रखना अनिवार्य कर दिया है, ऐसे में अच्छा इंटरनेट एक और मुद्दा बन गया है।
जहां एक ओर पारिवारिक जिम्मेदारियों से दूर छात्रों के लिए ऐसे हालात रहते हैं, इस ‘हाइब्रिड मॉडल’ ने पूरी तरह से अलग क्षेत्र के नए अवसर खोल दिए हैं, जिसमें छोटे बच्चों के साथ घर मैनेज करने वाले दंपति भी शामिल हैं ; कामकाजी व नौकरी के कारण दूसरे शहर नहीं जा सकने वाले लोग ; ऐसे युवा जो पारिवारिक बिजनेस को अगले पायदान पर ले जाना चाहते हैं और जिन्हें बस ज्ञान की जरूरत है और सबसे आखिर में ऐसे अभिभावक जो यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके बच्चे पूरी तरह से महामारी खत्म होने तक उनकी आंखों के सामने रहें।
कोई आश्चर्य नहीं कि शिक्षा के बाजार में उभर रहे ऐसे नए क्षेत्रों के कारण ही कैलिफोर्निया की कई यूनिवर्सिटीज़ में कुछ ऑनलाइन कोर्स ऑफलाइन की तुलना में तेजी से भर गए। ये कहना कठिन है कि ऑनलाइन के लिए किसी को कौन-सी चीज़ प्रेरित कर रही है, भले ही हम महामारी के बीच में हैं, फिर भी कह सकते हैं कि ये लोगों की स्वास्थ्य व सुरक्षा की चिंता ही है।
इसलिए कई विवि ये योजना बना रहे हैं कि पाठ्यक्रम के कौन-से हिस्से में आमने-सामने चर्चा जरूरी है और कौन-सा स्क्रीन पर पूरा किया जा सकता है। आमतौर पर विधिक पाठ्यक्रमों में प्रोफेसर्स क्रिमिनल जस्टिस जैसा विषय कक्षा में ही पढ़ाना पसंद करते हैं, जहां असली जिंदगी के उदाहरणों के साथ छात्रों के चेहरे के हावभाव देखकर विषय में और गहराई से उतरने का मौका मिलता है। ऐसे मामलों में मुमकिन है कि प्रोफेसर को पता ही न चले और कुछ छात्र काली स्क्रीन के पीछे डरे हुए हों, जो अंततः विषय पर चर्चा को कम प्रभावी बना देगा।
फंडा यह है कि बाजार में शिक्षा का सुविधानजक मॉडल उभर रहा है। अपने सपने पूरा करने के लिए इसका लाभ उठाइए।