दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
पर्यावरण को बचाना भी देश भक्ति है


Aug. 12, 2021
पर्यावरण को बचाना भी देश भक्ति है
पहले ही ग्लोबल वार्मिंग की शिकार दुनिया पर और भी विनाशकारी असर का मूल्यांकन और आने वाले समय के भयानक अनुमान बताने वाली संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की सोमवार को आई नई जलवायु रिपोर्ट डरावनी और निराशाजनक है। पहले ही बदलते मानूसन, समुद्रों के बढ़ते जलस्तर, तेज तूफानों, जानलेवा गर्म हवाएं और ग्लेशियरों के पिघलने से बाढ़ के प्रमाण मौजूद हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो दुनिया समेत भारत पर व्यापक आर्थिक असर होगा और अर्थव्यस्था की रीढ़, कृषि और उद्योग कमजोर हो जाएंगे। बढ़ते तापमानों ने हमारी कृषि में संसाधन की भूख बढ़ाई है। आज ज्यादा वाष्पीकरण के कारण कृषि में पहले की तुलना में 30% ज्यादा पानी लगने लगा है। यह महज शुरुआत है। हमारे पास चीजों को ठीक करने के लिए किसी कार्यकारी समूह की बैठक बुलाने का समय नहीं है। अब स्थानीय या व्यक्तिगत स्तर पर अधिकतम प्रयास जरूरी हैं।
बतौर मानव जाति हम समस्या और समाधान, दोनों जानते हैं। यह चेतावनी को कार्यों में बदलने का वक्त है। हमारे तटीय शहर खतरनाक स्थिति में हैं। इसका कारण कोई दुश्मन नहीं, बल्कि सुमुद्र स्तर बढ़ना है, जिसके सदी के मध्य तक एक फुट बढ़ने की आशंका है। याद रखें, हमारी सेना दुश्मन से हमारी सीमाएं बचाने में सक्षम है। अब समय है कि हम सीमा के अंदर धरती मां की रक्षा करें। अगर देर की तो गर्मी कई सेल्सियस बढ़ेगी, जिससे मानव सभ्यता का अंत हो सकता है। कुछ भी करें, अगले 20 वर्षों में धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तो बढ़ेगा ही। दुनिया का तापमान पहले ही 1.1 डिग्री बढ़ चुका है। इसलिए हमें तुरंत कुछ कदम उठाने होंगे। ये रहे कुछ जलवायु समाधान:
1. अपने समुदाय में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा करें। इससे जागरूकता बढ़ेगी और धरती मां को नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति में लोग सजग रहेंगे।
2. कम या समझदारी से यात्रा करें। यानी पैदल, साइकिल या सार्वजनिक परिवहन से चलें। गाड़ी खरीद रहे हैं तो इलेक्ट्रिक को प्राथमिकता दें।
3. शॉपिंग के वक्त प्लास्टिक बैग न मांगें। इससे बिजनेस भी इनका इस्तेमाल बंद करने के लिए प्रेरित होंगे। कचरे में फेंके जाने वाले प्लास्टिक बैगों की संख्या वाकई डरावनी है।
4. किराने की दुकान और रेस्त्रां में संवहनीय भोजन विकल्प (जो पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं) चुनें।
5. मांस और डेयरी उत्पादों का सेवन कम करें, जिनसे पशुओं से काफी मात्रा में उत्सर्जन होता है।
6. स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल और समर्थन करें। उसी में निवेश करें। पवन और सौर ऊर्जा उभरता हुआ नया उद्योग है। इससे जलवायु परिवर्तन रोकने में मदद मिलेगी।
7. किसानों को मिट्टी और जमीन के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रेरित करें ताकि वे कार्बनडायऑक्साइड नियंत्रित कर जमीन का संवहनीय इस्तेमाल कर सकें।
8. अपने निर्वाचित नेता को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आधुनिक नीतियां बनाने कहें। अगर वे स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाकर लागू करने का समर्थन करेंगे तो देश को ग्रीनहाउस गैस कम करने में मदद मिलेगी।
इस सबके साथ यूएन की रिपोर्ट में दिए गए उन अपरिहार्य असरों के लिए तैयारी करें, जो नीति निर्माताओं के किसी भी प्रयास के वावजूद होंगे ही, जिनमें सूखा और बाढ़ जैसी स्थितियां शामिल हैं।
फंडा यह है कि इनमें से कुछ भी रॉकेट साइंस नहीं है क्योंकि पर्यावरण को बचाना केवल हमारी धरती मां का सम्मान नहीं है, बल्कि यह हमारी ‘देश भक्ति’ को अगले स्तर पर ले जाएगा।