दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
प्रयोग आपको ‘रानी से महारानी’ बना सकते हैं


प्रयोग आपको ‘रानी से महारानी’ बना सकते हैं
मैं आलुओं को दो बार पकाता हूं। मैं फ्रेंच फ्राइज की बात नहीं कर रहा हूं, हालांकि दो बार तलना शानदार तरीका है। मैं उन्हें मुलायम होने तक उबालने या भाप में पकाने की बात कर रहा हूं, फिर उन्हें चपटा कर तलता या रोस्ट करता हूं। अगर आपने ऐसा किया है तो इसका मजा जानते होंगे। इससे अंदर और बाहर, दो टेक्सचर बनते हैं, जो एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। यह वैसा ही है, जैसे ‘फ्राइड आइस-क्रीम’ होती है, जो मैंने पहली बार सूरत में चखी थी। यह बाहर से गर्म होती है क्योंकि शेफ इसे आपके सामने तलकर आपसे चखने कहते हैं और अचानक आप उससे पिघलती आइसक्रीम निकलते देखते हैं।
कुकिंग मेरे पसंदीदा पासटाइम में शामिल है। मेरे बड़े सर्कल में मैं सात प्रकार के दही चावल बनाने के लिए मशहूर हूं। मुझे फुरसत में खाने पर प्रयोग करना पसंद हैं और मैंने ऐसी विधियां कुछ दशक पहले सीखना शुरू कीं, जब मैं अपने मित्र, सेलिब्रिटी शेफ संजीव कपूर के साथ जर्मनी के कोलोन शहर में ‘अनुगा’ नाम की भोजन पर दुनिया की सबसे बड़ी प्रदर्शनी में गया था और हमने वहां ‘कॉफी फ्लेवर वाली चाय’ पी थी। चाय पैक करने वाले चाय पत्ती पर तरल कॉफी डालते हैं और तय तापमान पर सूखने देते हैं। इसलिए चाय उबलती है तो कॉफी की खुशबू आती है। कुछ लोगों को कॉफी पसंद है, लेकिन ज्यादा कैफीन से डरते हैं, इसलिए वे यह खरीदते हैं।
इसी तरह मैंने एक अन्य मित्र शत्बि बसु से बार-टेंडरिंग की कला सीखी, जो उन दिनों भारत में बारटेंडर का काम करने वाली पहली महिला थीं। वे अब लिकर पर लिखती हैं। उनसे सीखने के बाद मैंने एक प्रयोग कर ‘रम विद रसम’ ड्रिंक बनाया। यह पढ़कर आप कहेंगे, ‘क्या?’ लेकिन यकीन मानिए अभिनेता नाना पाटेकर समेत रम पसंद करने वाले मेरे सभी करीबी दोस्तों ने यह चखी है और उन्हें पसंद आई।
प्रयोग केवल आलुओं, आइस-क्रीम, कॉफी और रसम पर ही नहीं होते। कॅरिअर में भी यह हो सकता है, जैसा 10 एपिसोड वाली वेब-सीरीज ‘महारानी’ में हुआ, जो मैंने हाल ही में देखी। और इसमें अनपढ़ गृहणी की भूमिका निभाने वाली मुख्य अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने क्या गजब तरीके से पहले दृश्य से ही मेरा ध्यान आकर्षित किया, जो आखिरी एपिसोड तक बना रहा, जब वे जेल में बंद पति से मिलने के बाद बतौर मुख्यमंत्री जाती हैं। यह देखने लायक है कि कैसे वे पहले एपिसोड में जमीन पर बैठकर फुकनी से चूल्हे को हवा देती हैं और आखिरी दृश्य में मुख्यमंत्री की कार में बिना दरवाजे को छुए बैठती हैं। चलने का तरीका, हाथों के संकेत और हाव-भाव, उन्होंने हर मायने में दोनों भूमिकाएं पूरे आत्मविश्वास से निभाईं। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि हॉलीवुड में वैश्विक दर्शकों के लिए काम कर चुकीं हुमा ने इस वेब सीरीज में प्रयोग का फैसला लिया, जहां उनका कॅरिअर अनपढ़ गृहणी से शुरू होता और कहानी धीरे-धीरे मुख्यमंत्री के पद तक ले जाती है। इसीलिए सीरीज में उनके पति का एक शक्तिशाली संवाद है, ‘एक साधारण रानी (किरदार का वास्तविक नाम), अब महारानी (मुख्यमंत्री) बन गई।’ सफल लोग हमेशा प्रयोग करते रहते हैं, जैसे संजीव, शत्बि और हुमा।
फंडा यह है कि जीवन में कभी प्रयोग बंद न करें, फिर वह कितना ही छोटा हो, क्योंकि हम नहीं जानते कि कौन-सा प्रयोग काम आ जाए और कौन-सा नहीं। हो सकता है कुछ ऐसा हो कि अचानक साधारण रानी असली महारानी बन जाए।