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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

फूड साइंस जानने के लिए साइंस ग्रैजुएट होना जरूरी नहीं

फूड साइंस जानने के लिए साइंस ग्रैजुएट होना जरूरी नहीं
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July 1, 2021

फूड साइंस जानने के लिए साइंस ग्रैजुएट होना जरूरी नहीं!


मैं दर्जनभर लोगों को जानता हूं जिन्होंने इम्यूनिटी बनाने के लिए उचित डाइट अपनाई है। ऑनलाइन या ऑफलाइन मीटिंग में ये खाने की ही बात करते हैं। यहां मैंने फूड साइंस के बारे में सीखा।


इंफ्लेमेशन (सूजन या जलन) सामान्य जैविक प्रतिक्रिया है, जो चोटिल होने पर इम्यून सिस्टम देता है। उंगली कटने पर सूज जाती है। इससे उसे ठीक होने में मदद मिलती है और ठीक होने पर सूजन चली जाती है। लेकिन एक इंफ्लेमेशन ऐसी भी होती है, जो हमें नहीं दिखती। उदाहरण के लिए खाने के बाद हमें थोड़ी जलन महसूस होती है, और यह भोजन के पाचन, अवशोषण और मेटाबोलाइज होने से होती है। कुछ व्यंजन इंफ्लेमेशन बढ़ाते हैं, कुछ घटाते हैं।


अमेरिकल जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित पेपर ने बताया कि विभिन्न लोगों में भोजन से इंफ्लेमेशन की प्रतिक्रिया विविध हो सकती है। किंग्स कॉलेज, लंदन की टीम ने मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के सहयोग से 1000 स्वस्थ प्रतिभागियों को रिसर्च क्लिनिक में दो स्टैंडर्ड मील दिए, जिसमें फैट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर उचित मात्रा में थे। इसमें नाश्ते में मफिन और मिल्कशेक था और चार घंटे बाद लंच के साथ भी मफिन दिया। दिनभर लिए गए ब्लड सैंपल बताते हैं कि एक मील के बाद छह घंटों में डाइट संबंधी इंफ्लेमेशन दोगुनी हो गई, लेकिन महिलाओं, उम्रदराज, युवा तथा मोटे लोगों की तुलना में यह पुरुषों में ज्यादा देखी गई। इससे शोध सही साबित हुआ कि वजन कम करने से क्रोनिक (दीर्घकालिक) इंफ्लेमेशन की समस्या कम होती है। शोध बताता है कि प्रत्येक भोजन पर हम सभी समान प्रतिक्रिया नहीं देते।


क्रोनिक इंफ्लेमेशन त्वचा, दिमाग से लेकर लीवर तथा किडनी तक का काम प्रभावित कर बुढ़ापा आने की गति बढ़ाता है। इसलिए शक्कर, नमक और तले पकौड़ों से जितना बचें, उतना अच्छा। भोजन के बाद शरीर की सुनें और उन चीजों को हटाएं जो अंदर से परेशान करें। शरीर भोजन के बाद कई संकेत देता है।


ऐसा भोजन चुनें जो इंफ्लेमेशन कम करे। ये कुछ उदाहरण हैं, जिन्हें हम रोजाना भोजन में शामिल करते हैं।

1. बूटियां और मसाले: इनके 6 ग्राम मिश्रण, जिसमें तुलसी, तेज पत्ता, काली मिर्च, ओरेगानो, अदरक, हल्दी, अजवायन, मेंहदी और अजमोद शामिल हो, को भोजन में डालने से इंफ्लेमेशन कम होता है।

2. पालक और गोभी: हरी पत्तेदार सब्जियों में फाइबर होता है, जो पेट के अच्छे बैक्टीरिया की खुराक बनता है और इंफ्लेमेशन कम करने में मदद मिलती है।

3. कॉटेज चीज़ और दही: दही चावल सिर्फ ‘मद्रासी’ व्यंजन नहीं है। योगर्ट और कॉटन चीज़ के जीवित बैक्टीरिया पेट के बैक्टीरिया जैसे बनकर उसमें विविधता ला सकते हैं। अगर कॉटन चीज़ पसंद न हो तो योगर्ट चुनें। इसमें मौजूद लैक्टोबैसिलस इंफ्लेमेशन को रोकता है।

4. अखरोट: अमेरिकन कॉलेज और कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में 60 और 70 से अधिक उम्र के 600 वयस्कों में कुछ को दो साल तक, हर दिन 30-60 ग्राम अखरोट खाने कहा गया। अखरोट न खाने वालों की तुलना में, खाने वालों में इंफ्लेमेटरी बायोमार्कर्स का स्तर 11.5% तक कम पाया गया।

5. सेब, ब्लैकबेरी, स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी: इन फलों का एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पड़ता है। खासतौर पर बेरी से भोजन संबंधी इंफ्लेमेशन कम होती है। ज्यादातर फलों में यह गुण होता है। आप जेब के मुताबिक फल चुनें।


फंडा यह है कि खाने से संबंधित इंफ्लेमेशन घटाने के लिए जरूरी नहीं कि आप विज्ञान के महारथी हों। बस शरीर की सुनिए और सावधानी से खाना चुनिए।

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