दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
बच्चे के व्यवहार में छोटे से बदलाव पर भी नजर रखें


April 9, 2021
बच्चे के व्यवहार में छोटे से बदलाव पर भी नजर रखें
आपने कितनी बार अपने बच्चे के व्यवहार पर ध्यान दिया है, जब वह आपके मोबाइल पर वीडियो गेम खेलता है? अगर नहीं, तो आज से ही ऐसा करें। सोमवार को कर्नाटक में हुई घटना, जिसमें नौवीं का छात्र शामिल था, बताती है कि यह कितना जरूरी है। इस मामले में तो उसके माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे भी नहीं हैं।
दिहाड़ी कमाने वाले इन माता-पिता ने देखा कि उनके बेटे ने सिर के अगले हिस्से का मुंडन करा लिया है। पूछने पर उसने बताया कि ऐसा करना एक गेम के टास्क का हिस्सा है। उन्होंने गेम समझने की कोशिश की, पर समझ नहीं पाए। लेकिन वे यह जरूर समझ गए कि कुछ गलत हुआ है। जिस बेटे को सालों से लंबे बालों का शौक था, वह इस तरह अजीब मुंडन नहीं करा सकता। इसीलिए मंगलवार सुबह माता-पिता बेटे को पुलिस स्टेशन ले गए।
उप्पीननगडी पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर कुमार सीके को लड़के से बात कर पता चला कि एक प्राइवेट स्कूल के हाईस्कूल के छात्रों को फ्री फायर गेम की लत है। उसने बताया कि बाकी सहपाठियों की तरह उसे भी गेमिंग का शौक था। जब वह गेम के एक लेवल पर पहुंचकर हार गया तो प्रतिभागियों ने उसे ये अजीब हेयरकट दिखाने को कहा। पुलिस ने फिर दूसरे लड़कों से बात की और उन्हें गेमिंग के दुष्प्रभावों के बारे में समझाया और गेम अनइंस्टॉल करने के लिए मनाया। ज्यादातर छात्रों को लॉकडाउन के दौरान और कक्षाएं ऑनलाइन लगने के बाद से गेमिंग का शौक लगा। उनके माता-पिता ने उन्हें ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन दिए थे। उन्हें सजग करने के लिए पैरेंट-टीचर मीटिंग भी हुई थी।
फ्री फायर एक अल्टीमेट सर्वाइवल शूटर मोबाइल गेम है। हर दस मिनट में गेम आपको दूरदराज के किसी द्वीप पर भेज देता है, जहां आपको जिंदा रहने के लिए 49 अन्य खिलाड़ियों से भिड़ना पड़ेगा। खिलाड़ी अपने पैराशूट की मदद से पसंदीदा शुरुआती पॉइंट चुनते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय तक सेफ जोन में रहने की कोशिश करते हैं। वे मैप के मुताबिक गाड़ी चलाते हैं, जंगल में छिपते हैं। यह गेम घात लगाकर हमला करने और बचने के बारे में है।
मुझे याद है कि मेरे स्कूल के दिनों में मुझे एक तय दिन सुबह आठ बजे, एक तय सैलून पर पहुंचना होता था, ताकि मैं समय पर घर पहुंचकर, नहाकर स्कूल जा सकूं। मेरे पिता काम से लौटकर पूछते थे कि मैं वहां कब गया था और हमेशा पूछा जाता था कि क्या मुझे देर हुई थी। इसके अलावा राजेश खन्ना या अमिताभ बच्चन की हेयर स्टाइल अपनाने की अनुमति नहीं थी। स्टाइल साधारण मिलिट्री कट ही होती थी, जिसका मतलब था एक तय माप तक एक-एक बाल काट देना। सैलून मालिक मेरे कहने पर भी एक सेंटीमीटर भी ज्यादा नहीं छोड़ता था। वह कहता, ‘बेटा पापा डाटेंगे’ और मुझे समझाने की कोशिश करता कि यह हेयरस्टाइल मुझपर जंचता है। मेरे पिता ऑफिस से लौटकर हेयरकट जांचते थे। दसवीं कक्षा तक मेरे ही हेयरकट में मेरी बात नहीं सुनी जाती थी।
कई माता-पिता अपने बच्चों को ड्रग्स और शराब के खतरों के बारे में चेतावनी देते हैं। हालांकि कुछ माता-पिता जानते हैं कि उन्हें बच्चों को तथाकथित सैकडों ‘गेम’ के बारे में भी चेताना चाहिए, जो जोखिम भरे हो सकते हैं और चोट पहुंचाने से लेकर जान तक ले सकते हैं। हम पहले ही पबजी के नुकसान देख चुके हैं, जिस पर सरकार ने पिछले साल प्रतिबंध लगाया।
फंडा यह है कि बच्चों के व्यवहार में आने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर भी नजर रखना बहुत जरूरी है, खासतौर पर उन दिनों में, जब हमारा बाहरी बदलावों पर कोई नियंत्रण नहीं है।