दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
बच्चों के लिए आपका त्याग दुनिया को बेहतर बनाएगा
May 3, 2021
बच्चों के लिए आपका त्याग दुनिया को बेहतर बनाएगा
किस-किस की बात करूं। सूची अनंत है। कर्नाटक के बेलागावी की एक मिल के साधारण साड़ी बुनकर के नौ वर्षीय बेटे ने टीवी की दुनिया में तहलका मचा दिया है। छोटे से शहर होशंगाबाद (मप्र) की नीरजा तिवारी ने दर्शकों को हैरान कर दिया है। जालंधर के मध्यमवर्गीय परिवार का बच्चा संचित चन्ना जब नाचता है, तो सभी की आंखों में आंसू ला देता है। शायद मैं पहली बार इस कॉलम में किसी टीवी शो की समीक्षा कर रहा हूं। सुपर डांसर 4 के सभी 13 प्रतिभागियों की अपनी-अपनी कहानियां हैं, जो एक-दूसरे से बहुत अलग हैं और सोचने पर मजबूर करती हैं।
लेकिन एक समानता है। इन उभरते सितारों के माता-पिता ने बच्चों के सपने पूरे करने के लिए बड़े त्याग किए हैं। कुछ ने समाज के तानों को नजरअंदाज किया, कुछ ने खुद के लिए चप्पलें तक नहीं खरीदीं और बच्चे के जुनून के लिए पाई-पाई जोड़ी। मेरी आंखों में आंसू आ गए, जब 9 वर्षीय पृथ्वीराज ने कहा कि वह पिता के लिए जूते खरीदना चाहता है। और जब संचित को स्टैंडिंग ओवेशन मिला तो उसने पिता को आभार भरी नजरों से देखते हुए कहा, ‘पिता जी, यह आपके और आपके त्यागों की वजह से है।’ वह खुद को शब्दों में बयां नहीं कर पा रहा था लेकिन उसकी आंखों ने डांस से कहीं बेहतर ढंग से यह किया।
इस शो से मुझे याद आया कि मैंने पढ़ा था, पुलेला गोपीचंद की मां बस की जगह पैदल आती-जाती थीं ताकि वे बेटे के लिए शटलकॉक खरीद सकें। आज गोपीचंद हैदराबाद की सबसे मशहूर बैडमिंटन एकेडमी चलाते हैं और उन्होंने साइना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसे सितारे दिए हैं।
ये कहानियां अब भी बताती हैं कि माता-पिता अपनी अगली पीढ़ी के हित के लिए अपने कई आरामों का त्याग करते हैं। यह त्याग बर्बाद नहीं होगा क्योंकि उनके पास प्रेम, देखभाल, समानुभूति, दया और बहुत कुछ ऐसा है जो मानवता को समृद्ध करते हैं। और वे इस दुनिया को भी यही देंगे, जब वे बड़े हो जाएंगे।
वरना आप बेंगलुरु के 120 साइकिलिस्ट के इस काम के बारे में क्या कहेंगे, जिन्होंने ‘रिलीफ राइडर्स’ नाम का समूह बनाया है, जो बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, कैंसर मरीजों और कोविड मरीजों तक जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं? वे सुबह 6 से 10 बजे तक ऐसा करते हैं और फिर ऑफिस का काम करते हैं। और ये सभी सेवाएं साइकिल पर देते हैं। वे ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर जान बचाने वाली रेमडेसिवीर जैसी दवाएं तक पहुंचा रहे हैं।
उनकी उदारता से प्रेरित होकर, इस कॉन्टैक्टलेस डिलीवरी मॉडल को हैदराबाद की साइकिलिस्ट कम्युनिटी ने भी अपनाया है, जो समान लोगों के लिए समान उद्देश्य के तहत काम कर रहे हैं। अभी 60 वॉलंटियर्स का समूह कहीं आने-जाने में असमर्थ बुजुर्गों की जरूरत का सामान पहुंचाने का काम कर रहा है। वॉलंटियर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अगर आप अपने बच्चों को हर वीकेंड पर छुट्टी मनाने, फिल्म देखने या रेस्त्रां लेकर जाते रहे हैं, तो आप गलत नहीं हैं। आप उन्हें सर्वश्रेष्ठ भौतिक सुख देना चाहते हैं, जो शायद आपको नहीं मिले। लेकिन त्योहारों, पारिवारिक आयोजनों और अपने माता-पिता की कहानियां सुनाना न भूलें। संभव हो तो अपनी तरफ से त्याग का कोई कार्य करें। ये सब बच्चों की यादों में चस्पा हो जाएंगे और वे इन्हें अगली पीढ़ी तक ले जाएंगे।
फंडा यह है कि अगर आप यह सुनिश्चित करने के लिए त्याग करेंगे कि बच्चों और उनके जुनून के बीच खाई न आए, तो आप दुनिया को सुरक्षित हाथों में छोड़कर जाएंगे।