दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने ‘हेलीकॉप्टरिंग’ बंद करें
April 29, 2021
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने ‘हेलीकॉप्टरिंग’ बंद करें
नासिक में बुधवार की सुबह मैंने जो दृश्य देखा, वह असामान्य नहीं था। उन अस्थायी झोपड़ियों में रहने वालों पर किसका ध्यान जाता है, जो सड़क किनारे पड़ी मिट्टी ले जाते हैं, जिसे सड़क ठेकेदार ड्रेनेज पाइप बिछाते समय छोड़ देते हैं? ठेकेदार भी चाहता है कि मिट्टी साफ हो जाए और उसे ट्रक इस्तेमाल न करने पड़ें। उधर झोपड़ी वाले बारिश से बचने के लिए इलाके को मिट्टी से समतल करना चाहते हैं। यह सभी के लिए फायदेमंद स्थिति है।
लेकिन उस दृश्य के बीच, करीब तीन साल का छोटा बच्चा, लाल रंग के खिलौने ट्रक में मिट्टी भरकर रस्सी से खींच रहा था और माता-पिता की मदद कर रहा था। वह रोड पर ट्रक लाता, अपनी छोटी, खूबसूरत हथेलियों से मिट्टी भरता और धीरे-धीरे खींचकर झोपड़ी तक ले जाता। रास्ते में एक हादसा हो गया। उसका ट्रक पलट गया। उसे नहीं पता था कि वह क्या करे। वह रोने लगा। वहीं मिट्टी ले जा रहा उसका बड़ा भाई (करीब 7 वर्षीय) रुका और बोला, ‘रो क्यों रहे हो? एक्सीडेंट हो जाते हैं। ट्रक फिर सीधा करो, मिट्टी भरकर घर ले जाओ।’ बच्चे ने यही किया। उसके ट्रक का दो बार और एक्सीडेंट हुआ, लेकिन वह परेशान नहीं हुआ। उसने वही किया, जो सीखा था।
इससे मुझे मुंबई में लॉकडाउन से पहले का एक दृश्य याद आया, जिसमें एक पांच वर्षीय बच्चा मां से पूछ रहा था कि वह खुद से दोस्तों के साथ म्युनिसिपल पार्क में क्यों नहीं घूम सकता, जबकि मां कहती है कि अपने बचपन में वह ऐसा करती थी। मां के पास बस किसी दार्शनिक जैसा जवाब था, ‘आजकल जमाना खराब है।’ बच्चे को कुछ समझ नहीं आया।
मेरा दिमाग तुलना और सवाल करने लगा कि क्या इसका संबंध गरीब और अमीर के पैरेंटिंग के तरीके से है? या यह सिर्फ शहर और गांव का अंतर है?
पिछले हफ्ते जारी हुए ब्रिटिश ‘प्ले सर्वे’ ने भी ऐसा ही कुछ कहा कि अमीर इलाकों के बच्चों को अकेले बाहर खेलने नहीं मिलता, जबकि एक पीढ़ी पहले उनके माता-पिता ऐसा करते थे। पिछली पीढ़ी के कई अनाम खेल गायब हो गए हैं, जैसे पेड़ों पर चढ़ना और गिनना की कौन सबसे ज्यादा शाखाओं पर चढ़ा। सर्वे में पाया गया कि हालांकि सड़क के खतरे और सुरक्षा की चिंता बच्चों को अकेले खेलने न जाने देने के पीछे मुख्य कारण थे। लेकिन एक जरूरी कारण यह भी था कि माता-पिता को डर है कि बच्चों के खेलने के तरीके से उनकी पैरेंटिंग पर राय बनाई जाएगी।
शायद इसीलिए नाओमी फिशर जैसे लोगों ने यूके में अपनी तरह का पहला, ‘रोम’ (घूमना) नामक चैरिटी कार्यक्रम शुरू किया, जहां बच्चे बिना देखरेख के खेलते हैं। उनके सेशन में जब वयस्क हट जाते हैं, तो बड़े बच्चा ज्यादा जिम्मेदारी लेते हैं, जिससे उन्हें अलग-अलग उम्र के बच्चों की बीच मजबूत जुड़ाव बनाने में मदद मिलती है। संक्षेप में बड़े बच्चे संरक्षक की भूमिका अपनाते हैं और छोटे उनसे स्वाभाविक तरीके से सीखते हैं।
याद रखें कि इसमें उनके लिए बिजनेस आइडिया छिपा है, जो प्री-नर्सरी स्कूल चलाते हैं। अगर आपके पास बगीचा है तो उसे ‘रोम’ जैसी किसी जगह में बदल सकते हैं।
फंडा यह है कि माता-पिता ‘हेलीकॉप्टरिंग’ (हमेशा अपने बच्चों के आस-पास रहना) बंद करें। बच्चे गिरेंगे, चोट लगेगी और रोएंगे। आप नजरअंदाज करें। हमारे रक्षा करते हुए उन्हें सिखाने से कहीं बेहतर ढंग से उनके बड़े भाई-बहन सीखने में मदद कर सकते हैं।