दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
बागवानी से आपका मन और शरीर खिल उठेगा


April 28, 2021
बागवानी से आपका मन और शरीर खिल उठेगा
पिछले 15 दिनों से, जबसे महाराष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा हुई है, मैं ज्यादातर समय पेड़-पौधों के बीच बिता रहा हूं। मुझे वहां बैठना या उन्हें पानी देना, छाया देने के लिए एक से दूसरी जगह रखना या बस कांट-छांट करने में खुशी मिलती है। बीज बोकर, मिट्टी से फूटती कोंपलों का चमत्कार किसे पसंद नहीं है? मैं भी अपवाद नहीं हूं। वास्तव में मुझे अपनी सुबह या शाम की एक्सरसाइज की याद नहीं आ रही। कई बार बागवानी मुझे ध्यान की स्थिति में पहुंचा देती है। दूसरे लॉकडाउन में मेरे ज्यादातर दिन बागवानी और ऑनलाइन पढ़ने में बीत रहे हैं। इसी दौरान मुझे यूके की रॉयल हॉर्टिकल्चर सोसायटी द्वारा पिछले हफ्ते किया गया शोध पता चला।
आप इस दूसरी लहर और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जा रहे लॉकडाउन की वजह से एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे हैं? चिंता न करें। इस शोध के मुताबिक बागवानी का सेहत पर नियमित साइकिलिंग और रनिंग जैसा ही बड़ा असर होता है, जिससे ऊर्जा महसूस होती है और तनाव तथा अवसाद कम होता है। उनका कहना है कि पथरीली मिट्टी पर कुदाल-फावड़ा चलाना, जिम की एक्सरसाइज से बेहतर हो सकता है क्योंकि बाहर के दृश्य और आवाजें आपका ध्यान निजी चिंताओं से हटाते हैं, जिससे लगातार काम आसान होता है। संक्षेप में यह न सिर्फ शरीर के लिए वरदान है, बल्कि आत्मा के लिए मरहम है।
हमें समझना होगा कि सिर्फ चिकित्सा ही सेहत की निर्धारक नहीं है। ये हमारे माहौल में भी हैं। ‘सिटीज़’ नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में 6000 संवादों का सर्वे है जो इससे संबंधित थे कि खुदाई, बुवाई या छंटाई के दौरान हमारा दिमाग कैसे रोजमर्रा की परेशानियों से हटता है और हमारा ध्यान आस-पास के माहौल पर जाता है। याद रखें कि इंसानों की नस्ल को स्वाभाविक रूप से प्रकृति से लगाव रखने के लिए बनाया गया है और जब हम प्रकृति से घिरे होते हैं, हमारा ध्यान मौजूदा पल का आनंद लेने पर होता है और खुद से व समस्याओं से ध्यान हटता है।
बागवानी केवल रिटायर्ड लोगों के लिए नहीं, बल्कि युवाओं, खासतौर पर बच्चों के लिए भी है, जिन्हें एक हफ्ते में ही मेहनत का फल दिखेगा, जब वे बीज को कोपल बनता देखेंगे। शायद इसीलिए बतौर इंसान हम बहुत से वीकेंड पर कंक्रीट के जंगल को छोड़ असली हरे-भरे जंगल की ओर भागते हैं।
कोरोना महामारी ने बागवानी की प्रसिद्धि बढ़ाई है। कई बीज और बागवानी उपकरण विक्रेताओं ने मार्च 2020 में बिक्री बढ़ने की बात कही। कुछ लोगों ने महसूस किया है कि वे जितनी ज्यादा बागवानी करते हैं, उनका तनाव उतना कम होता है और सेहत बेहतर लगती है। हर शहर के योजनाकारों को किसी निर्माण कार्य की अनुमति देने से पहले इस अध्ययन को गंभीरता से लेना चाहिए।
जीवन सामान्य होने में शायद कुछ और समय लगेगा, शायद उम्मीद से ज्यादा। लेकिन कुदाल-खुरपी-फावड़े को आंगन में रखने का कोई कारण नहीं है। आप छत पर बगीचा, किचन गार्डन बना सकते हैं या बालकनी में कुछ पौधे लगा सकते हैं। अगर आप समस्याओं से, जो ज्यादातर वाट्सएप यूनिवर्सिटी से आती हैं, खुद को दूर रखना चाहते हैं, तो अपनी उंगलियों को हरियाली रचने का मौका दें, उससे शायद चेहरे पर चिंता की लकीरें मिट जाएं।
फंडा यह है कि अगर बागवानी का यह शौक महामारी के बाद भी बना रहा, तो देश ज्यादा खुश और सेहतमंद बनेगा।

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