दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
बुजुर्गों की देखभाल में मदद भी, कमाई भी


May 12, 2021
बुजुर्गों की देखभाल में मदद भी, कमाई भी
दो हफ्ते पहले सालिगाओ के एश्ले डेलाने, ससुर की देखभाल के लिए गोवा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल आए थे। उन्होंने वहां देखा कि कई लोगों की देखभाल के लिए कोई नहीं है क्योंकि वे इस सेवा के लिए 3000 रुपए या इससे ज्यादा प्रतिदिन खर्च नहीं कर सकते। चूंकि ससुर की हालत सुधरने पर एश्ले की सेवाओं की जरूरत नहीं थी और उनकी ई-वेस्ट कम्प्यूटर सर्विस भी लॉकडाउन में बंद थी, इसलिए एश्ले ने दूसरों को समय देना शुरू किया, जो धीरे-धीरे रोजाना रात ढाई बजे तक पहुंच गया। उनके ससुर के डिस्चार्ज होने के बावजूद एश्ले ने बिना केयरटेकर वाले बुजुर्गों की देखभाल के लिए अस्पताल में 18 घंटे बिताना जारी रखा।
लेकिन एश्ले इससे अनभिज्ञ थे कि अस्पताल और गोवा से बाहर भी 75-80 वर्ष के ऐसे सैकड़ों बुजुर्ग हैं, जो संक्रमित नहीं हैं, लेकिन अपार्टमेंट में अकेले हैं। उनके बच्चे विदेश में हैं और वे ड्राइव नहीं कर सकते इसलिए रोजमर्रा के कार्यों में उन्हें परेशानी होती है।
उनमें से कुछ की जिद है कि बेटी से देखभाल नहीं करवाएंगे। उनका वही पुराना डायलॉग है, ‘‘हम बेटी के घर का पानी भी नहीं पीते’। संक्रमण जहां वृद्धाश्रमों को भी प्रभावित कर रहा है और उनमें से कई के बच्चे अभी भारत नहीं आ सकते है, ऐसे में वृद्धाश्रम भी व्यावहारिक विकल्प नहीं है। संक्रमण रोकने के लिए ज्यादातर ने बाहरियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है।
मैं तीन ऐसे परिवारों को जानता हूं जो नियुक्ति एजेंसियों और मेरे जैसे दोस्तों से संपर्क कर ऐसा सहृदय व्यक्ति तलाश रहे हैं जो उनके माता-पिता या सिंगल पैरेंट के साथ रहकर सुबह से शाम तक देखभाल कर सके। विदेश में रह रहे अच्छा वेतन पाने वाले बच्चे गंभीरता से माता-पिता या रिश्तेदारों की देखभाल के अगले चरण के लिए लोगों को खोज रहे हैं। हालांकि घर में देखभाल महंगी है, लेकिन उन्हें मन की शांति के लिए फीस देने में एतराज नहीं है।
जहां संपन्न परिवार बुजुर्गों की देखभाल के विकल्पों पर पुनर्विचार कर रहे हैं, आप खुद या सही लोगों को नियुक्त कर अपने निरीक्षण में बुजुर्गों की देखभाल का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। ध्यान रहे, यह ड्राइवर या घरेलू नौकर देने जैसा नहीं है, जो घर आएं और काम कर चले जाएं। आपके द्वारा नियुक्त विश्वासपात्र लोगों का परवाह करने का स्वभाव हो। वे आपात स्थिति में काम कर सकें। अगर कहानियां सुना सकें या हंसा सकें तो और अच्छी बात है। वे अखबार पढ़ सकें, मौजूदा स्थिति पर चर्चा कर सकें तो यह अतिरिक्त खूबी होगी। अगर वे बीपी, शुगर आदि जांचने के लिए बेसिक मेडिकल उपकरण चला सकें और बुजुर्गों के बच्चों को वॉट्सएप पर अपडेट दे सकें, तो आप ऐसे सुयोग्य व्यक्ति के लिए अतिरिक्त शुल्क भी ले सकते हैं।
मेरे दृष्टिकोण से मैं इन चीजों को कुछ अलग ढंग से देखता हूं। घरेलू नौकर, जो ज्यादा विश्वासपात्र होते हैं, उन्हें खुद को तुरंत अपग्रेड कर होम केयरगिवर बनना चाहिए। कई घरों में जाकर टुकड़ों-टुकड़ों में पैसा कमाने की बजाय वे पूरा दिन एक अच्छे परिवार के साथ रहें और शायद ज्यादा पैसा कमाएं। यकीन मानिए, अगर आप बुजुर्गों को 100% सुरक्षा और खुशी की गारंटी दे सकते हैं तो पैसा मुद्दा नहीं रह जाएगा।
फंडा यह है कि बुजुर्गों की देखभाल कोमल हृदय वालों के लिए नया बिजनेस बन सकता है, वहीं घरेलू नौकरों के लिए यह अपग्रेड करने का मौका है, साथ ही नया बिजनेस शुरू करने का अवसर भी