दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
भविष्य में चरित्र ही सबसे बड़ी डिग्री होगा
March 17, 2021
भविष्य में चरित्र ही सबसे बड़ी डिग्री होगा
आपको रामायण के बालि की कहानी याद है, जिसमें एक बार उसने रावण को भी हरा दिया और ज्यादा बेइज्जती से बचने के लिए रावण ने बालि की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। इस तरह, अगर भगवान राम बालि से दोस्ती करते तो वह एक दिन में ही सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाकर श्रीराम को दे सकता था।
फिर भी श्रीराम ने बालि से नहीं, सुग्रीव से दोस्ती की और बदले में श्रीराम और सुग्रीव, दोनों ने एक-दूसरे की मदद का वादा किया। लेकिन क्या खर-दूषण की 14,000 राक्षसों की सेना को खत्म करने वाले, ताड़का, मारीच और सुबाहू को बिना डरे मारने वाले और इंद्र के बेटे तक को सबक सिखाने वाले श्रीराम जैसी शख्सियत को उस सुग्रीव की जरूरत थी, जो खुद बालि के डर में जी रहा था? जवाब न ही होगा।
अपने-अपने तरीकों से रामायण की व्याख्या करने वाले कई विशेषज्ञ सहमत हैं कि श्रीराम दुनिया के लिए नैतिकता की मिसाल पेश करना चाहते थे। उन्होंने तीर से घायल पड़े बालि से कहा था, ‘जिस जंग के लिए मैं जा रहा हूं, उसके लिए बलवानों की नहीं, सदाचारियों की जरूरत है, जो तुम नहीं हो..’
महान ग्रंथ का छोटा-सा यह हिस्सा मेरे दिमाग में पिछले कुछ दिनों से चल रहा है, जबसे मैंने असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे के गिरफ्तारी और निलंबन के बारे में सुना, जो उद्योगपति मुकेश अंबानी को जान से मारने की धमकी के हाई-प्रोफाइल मामले से जुड़ा था। जांच एजेंसियां अब नए सवाल की जांच कर रही हैं: क्या अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो वास्तव में चुराई गई थी या कुछ दिनों से वाझे के पास ही थी? इस शक के पीछे कारण यह है कि वाझे ने अंबानी धमकी मामले में अपने ही हाउसिंग कॉम्प्लेक्स का डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर निकाल लिया था। मंगलवार को एनआईए ने वाझे के ऑफिस से उसका लैपटॉप, आईपैड और मोबाइल फोन भी अपने कब्जे में ले लिया।
कानूनी समुदाय में चर्चा है कि वाझे के अन्य मामलों में क्या होगा? क्या ऐसे अधिकारी द्वारा इकट्ठा किए गए सबूतों पर भरोसा कर सकते हैं, जो खुद ही अन्य अपराध में आरोपी हो? कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि वाझे द्वारा अन्य मामलों में इकट्ठा किए गए सबूतों को चुनौती दी जा सकती है। कम से कम डिफेंस, प्रॉसीक्यूशन के केस को कमजोर करने के लिए ऐसा कर सकता है, हालांकि सबूतों की गुणवत्ता पर अंतिम फैसला अदालत लेगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 53 आरोपी के सबूतों से संबंधित है, जांच अधिकारी से नहीं। केस पर फैसले में ध्यान रखा जा सकता है कि अधिकारी विश्वासपात्र नहीं है। इसलिए कई लोग मानते हैं कि वाझे की पृष्ठभूमि का उन सबूतों पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जो उसने अपने कॅरिअर के दौरान इकट्ठे किए।
विवादास्पद और दागदार पुलिस अधिकारी वाझे ने 16 साल के निलंबन के बाद नौ महीने पहले ही फिर नौकरी शुरू की थी। शनिवार को गिरफ्तारी के बाद वह सोमवार को फिर निलंबित हो गया। उसका पहला निलंबन 2004 में बॉम्ब ब्लास्ट के आरोपी ख्वाजा यूनुस की कस्टडी में मौत के मामले में हुआ था। यह कई लोगों को वाझे के चरित्र पर चर्चा के लिए मजबूर करता है।
फंडा यह है कि आने वाले दिनों में इंसानों की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सबकुछ तेजी और असरदार ढंग से करेगी। इसलिए याद रखें कि सदाचारी लोगों का सबसे मजबूत हथियार चरित्र ही होगा।