दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
भारतीय कृषि को मैनेजमेंट विशेषज्ञता की जरूरत है


May 15, 2021
भारतीय कृषि को मैनेजमेंट विशेषज्ञता की जरूरत है
कल मैंने अपने आंगन में लगे पेड़ से सारे दशहरी आम तोड़ लिए। सही तापमान और तूफान न आने से उन्हें फलने-फूलने में मदद मिली लेकिन नासिक में पांच दिन लगातार हुई छुट-पुट बारिश के कारण इन्हें समय से पहले तोड़ना पड़ा। आमतौर पर मैं इन्हें मई अंत तक तोड़ता हूं। मैंने इन्हें नासिक में ही बांट दिया क्योंकि कोरोना कर्फ्यू के कारण इन्हें मेरे घर मुंबई और अन्य रिश्तेदारों को भेजना असंभव है। चूंकि लंबे समय तक रखने पर दशहरी का स्वाद और खुशबू खराब हो जाती है।
इससे मैं सोचने लगा कि उप्र के मलिहाबाद की आम पट्टी वाले किसान इस साल अच्छी फसल के बावजूद, आम तोड़ने वाले मजदूरों और परिवहन की कमी के कारण खरीदारों तक कैसे पहुंच रहे होंगे। वहां कर्फ्यू के कारण मंडियां बंद है और 70% बागान खरीदारों के इंतजार में हैं। मैं जानता हूं कि आम उगाने वाले चिंतित हैं क्योंकि पिछले साल भी प्रतिबंधों के कारण आम की फसल बाजारों तक नहीं पहुंच पाई थी।
इससे मुझे विकसित देशों में कृषि में हो रहा भारी ऑटोमेशन याद आया। पिछले हफ्ते यूके के हैम्पशायर के एक खेत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले रोबोट ने पूरे खेत की सैर की। जैसे आप और मैं घरों में टेनिस रैकेट से मच्छर मारते हैं, वैसे ही रोबोट ने खरपतवार को अपने पेट के अंदर उबालकर खत्म कर दिया। यह चौथी कृषि क्रांति का हिस्सा है, जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करते हुए ऑटोमेशन ला रही है। वैसे ही जैसे मच्छर मारने में टेनिस रैकेट का इस्तेमाल हमें बेडरूम में केमिकल और कॉइल जलाने से रोका।
डिक नाम का किलर-रोबोट दुनिया का पहला ऐसा रोबोट है जो कृषि योग्य फसल में खरपतवार को निशाना बनाता है। बैटरी चलित रोबोट अक्टूबर से खेतों में ट्रायल शुरू करेगा। इससे कीटनाशकों के इस्तेमाल में कमी ला सकेंगे। इस रोबोट को रूटवेव कंपनी ने विकसित किया है और किसानों को इसकी लागत पेस्ट कंट्रोल पर होने वाले खर्च जितनी ही पड़ेगी। कुछ किसान इसे उतना ही बड़ा बदलाव मान रहे हैं, जितना घोड़ों की जगह ट्रैक्टर का इस्तेमाल था।
शुक्रवार को मैंने यह भी पढ़ा कि एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी, आम की लंगड़ा, दशहरी, हिमसागर और जरदालू जैसी पूर्वी भारत की कई किस्मों को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। हम ज्यादातर अल्फांसो और केसर निर्यात करते हैं, लेकिन दुनियाभर में अन्य किस्मों की भी मांग है। स्वाभाविक है कि दुनिया में आमों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत निर्यात को विस्तार देना चाहता है।
लेकिन मेरा सबसे बड़ा डर है कि क्या हम उन्हें आकर्षक ढंग से पैक कर पाएंगे। जब मैं विदेश में ग्रॉसरी स्टोर पर जाता हूं तो प्याज जैसे सस्ते उत्पाद को भी आकर्षक पैकिंग में देखता हूं। किसी भी नजदीकी खाड़ी देश में चले जाएं। आपको तेहरान, पाकिस्तान और ईरान की प्याज बेहतर ढंग से सजी दिख जाएंगी। उन्हें उनके मूल स्थान पर हाथों से चुना जाता है, इसलिए वे समान रंग और आकार की दिखती हैं। उन्हें वैसे ही जमाया जाता है, जैसे हम अल्फांसो जमाते हैं। इसलिए वे ऊंचे दाम पर बिकती हैं। हम भी चमक सकते हैं, अगर हम अपने कृषि उत्पादों का सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन करें।
फंडा यह है कि चूंकि हम कृषि पर निर्भर देश हैं, इसलिए हमारे उत्पादों की ओर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए कृषि में मैनेजमेंट के तमाम तरीकों को तुरंत लागू करने की जरूरत है।

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-