दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
यह रेस्त्रां उद्योग के आत्मनिर्भर बनने का समय है


May 11, 2021
यह रेस्त्रां उद्योग के आत्मनिर्भर बनने का समय है
करीब पांच साल से मैंने किसी रेस्त्रां मालिक को कैश काउंटर पर बैठकर शेफ से यह कहते नहीं सुना कि एक्स्ट्रा घी के साथ सांभर-चावल बना दो क्योंकि किसी खास ग्राहक का होम डिलीवरी का ऑर्डर आया है, जिसे मसाले पसंद नहीं हैं। पुराने दिनों में रेस्त्रां मालिक अक्सर आने वाले ग्राहकों का स्वाद जानते थे। पिछले पांच सालों में ग्राहकों ने सीधे रेस्त्रां से ऑर्डर करना बंद कर दिया है, जबसे स्विगी या जोमैटो जैसे एग्रीगेटर वही ऑर्डर 10-20% डिस्काउंट पर लेने लगे हैं। इसमें रेस्त्रां मालिक को अंदाजा भी नहीं होता कि उनके ग्राहक को क्या पसंद है, क्या नहीं।
मुझे इस गायब होते व्यवहार और ग्राहक से निजी संबंधों की याद तब आई जब मुझे सोमवार को पता चला कि कैसे देशभर के रेस्त्रां सीधे ग्राहक तक ऑर्डर डिलीवर करने और जोमैटो तथा स्विगी जैसी फूड डिलीवरी कंपनियों को कमीशन देने से बचने का प्रयास कर रहे हैं। यह कदम वे तब उठा रहे हैं जब दूसरी लहर के कारण उनकी शटर बंद हैं और वे खाली बैठे कर्मचारियों को काम पर लगाकर बिक्री बढ़ाने के तरीके तलाश रहे हैं।
उन्हें यह बहुत पहले करना चाहिए था। मैं इस उद्योग को बहुत पहले से चेतावनी दे रहा हूं कि बतौर उत्पाद भोजन का संबंध आंखों के देखने से भी है। हमारे पूर्वज गलत नहीं थे, जब वे कहते थे कि ‘किसी के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है।’ याद है, उन दिनों जब पिता चाव से खाना खाते थे, तब मां वहीं कोने में खड़ी होकर खुद के अच्छा कुक होने पर नाज़ करती थीं। साथ ही कैसे पिता, पत्नी यानी हमारी मां की सराहना में कंजूसी दिखाते थे। हम और हमारे पिता का भोजन करते समय व्यवहार देखकर मां समझ जाती थी कि भोजन कितना स्वादिष्ट बना है। उन दिनों डाइनिंग टेबल नहीं होती थीं। पर उन्हें आपकी खाने की आदतों की ज्यादा जानकारी होती थी। वे वहां खड़े होकर हर निवाले के बाद आपके चेहरे पर आने वाली चमक देख पाती थीं।
इसी तरह रेस्त्रां मालिक या शेफ भी किचन के पारदर्शी कांच से ग्राहकों को देखकर गर्व महसूस करते हैं, जब ग्राहक चाव से खाते हैं और उनके चेहरे पर वह संतोष दिखता है, जो तब नहीं देख सकते, जब फूड डिलीवरी कंपनी दरवाजे पर खाना दे जाए और आप टीवी देखते हुए खाएं।
कुछ ही वर्षों में इसने रेस्त्रां मालिकों को उदासीन और आलसी बना दिया है क्योंकि एग्रीगेटर ज्यादा ग्राहकों से जुड़ रहे थे। रेस्त्रां में नए ग्राहकों को लाने और उन्हें बनाए रखने की भूख ही खत्म हो गई। यही कारण है कि एग्रीगेटर डिलीवरी सेवा और टेक सपोर्ट के लिए रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा लेने लगे। व्यंजन की कुल कीमत का 40% तक ये एग्रीगेटर ले जाते हैं। क्योंकि यह बड़ा हिस्सा है, मुझे शंका है कि इससे व्यजंन की गुणवत्ता प्रभावित होती होगी।
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया 11 से 13 मई तक प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहा है, जिसमें डिजिटल मार्केटिंग सहित ग्राहकों के साथ सीधी मार्केटिंग और ‘सीधे ऑर्डर’ लेने संबंधी विभिन्न पहलू शामिल होंगे। इससे रेस्त्रां मालिकों को एग्रीगेटर पर ज्यादा निर्भरता खत्म करने के साथ ग्राहक से सीधे संपर्क का पुराना रास्ता अपनाने में मदद मिलेगी।
फंडा यह है कि यह रेस्त्रां उद्योग के लिए आत्मनिर्भर बनने का सही समय है क्योंकि भोजन हर ग्राहक की निजी पसंद होता है। आप उन्हें जितना जानोगे, उतना कमाओगे।

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-