दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
लंबी उम्र के लिए दिमाग को हमेशा सक्रिय रखें


July 5, 2021
लंबी उम्र के लिए दिमाग को हमेशा सक्रिय रखें
आपमें से कितने लोग ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने सोचा था कि वह आज तक जिंदा रहेगा, भले ही वह पहले विश्व युद्ध से पहले पैदा हुए था? कितने लोग ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित था, फिर भी डॉक्टर की गणना से कहीं ज्यादा जिया? और क्या ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जो रिटायर हो चुके बेटे की मदद करना चाहता है और जिसने 100 साल से भी ज्यादा की उम्र में सफलतापूर्वक क्राउडफंडिंग प्रोग्राम चलाया? क्या आपके मन में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की फिल्म ‘102 नॉट आउट’ आई? लेकिन वह रील लाइफ थी।
इस शुक्रवार 108 साल की हुईं जूलियट बर्न्सटीन रियल लाइफ में हैं। एक शिक्षिका और नागरिक कार्यकर्ता, जो सोचती थीं कि क्राउडफंडिंग वे करते हैं जिनका बच्चा बीमार हो। लेकिन उन्होंने खुद के लिए यह की ताकि वे अपने घर में रह सकें और नर्सिंग होम न जाना पड़े। इसीलिए उन्हें घर में ही नहाने, तैयार होने और बाथरूम इस्तेमाल से जुड़े स्वास्थ्य उपकरणों की जरूरत है। वे खाना नहीं पका सकतीं, बिना दर्द चल नहीं सकती इसलिए उन्हें अमेरिका के केप कॉड के अपने घर में 24/7 मदद की जरूरत है।
उनके बच्चों की उम्र 66 से 80 वर्ष के बीच है, जो उनकी मदद करते रहे हैं लेकिन जूलियट उनपर दबाव नहीं डाल सकतीं क्योंकि बच्चों को भी रिटायरमेंट की योजना बनानी है। साथ ही वे बीमा के जरिए घर पर स्वास्थ्य देखभाल के लिए योग्य नहीं हैं। सौ साल पहले किसी ने नहीं सोचा था कि वे 108 साल तक जिएंगे। उस पीढ़ी के लोग सोचते थे कि अमेरिकी सरकार द्वारा दिए सोशल सिक्योरिटी के पैसे और पेंशन के साथ वे जी लेंगे। लेकिन अब जूलियट का सोशल सिक्योरिटी का पैसा और छोटी-सी पेंशन 2021 की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं था। साल 2010 में जूलियट को कैंसर निकला और डॉक्टरों ने कहा कि वे 10 साल और जिएंगी। लेकिन वे इसके भी पार गईं। इन वर्षों में उन्होंने अपने दोस्तों को सरकार द्वारा प्रायोजित नर्सिंग होम में भर्ती होकर धीरे-धीरे मरते देखा। वे चाहती थीं कि उनका अंतिम समय उनके मुताबिक हो और पिछले पांच दशकों से वे घर नहीं छोड़ना चाहतीं।
ब्रुकलिन और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से डबल ग्रैजुएट जूलियट बतौर शिक्षिका हमेशा सभी की बेहतर स्थिति का समर्थन करने वाली कार्यकर्ता रहीं। वे हर मानवाधिकार जानती हैं, शायद इसलिए क्योंकि उनकी राजनीतिक शिक्षा तभी शुरू हो गई थी, जब वे मां के साथ 1920 में वोट डालने गई थीं। तब अमेरिका में पहली बार महिलाओं को वोटिंग अधिकार मिला था। 1971 में अपने रिटायरमेंट के बाद वे लीग ऑफ विमन्स वोटर ऑफ लोअर केप कॉड की अध्यक्ष बनीं और महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के लिए लड़ीं। उन्होंने अपने इलाके को न्यूक्लियर फ्री जोन घोषित करने के प्रस्ताव की अगुवाई की और तीन दशक पहले टाउन बैंड में महिलाओं को शामिल होने की अनुमति पर जोर देकर राष्ट्रीय सुर्खियों में भी रहीं। 100 वर्ष की उम्र तक वे पहले विश्व युद्ध के दौरान बने अंतरराष्ट्रीय पीस ग्रुप के लिए न्यूज लेटर लिखती रहीं।
शायद इसीलिए वे 108 वर्ष की उम्र में मानसिक रूप से सक्रिय हैं। आज भी उनका दिमाग तेजी से एक विषय से दूसरे पर जाता है और वे पिछले 100 वर्षों की घटनाएं अच्छे से याद कर पाती हैं। इश शुक्रवार तक उन्होंने क्राउडफंडिंग से करीब 1000 डोनेशन के जरिए 72 हजार डॉलर जुटा लिए थे।
फंडा यह है कि लंबे जीवन का मंत्र आसान है। अपने दिमाग को ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रखें।

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