top of page

   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

समस्याओं के बीच इंसान आगे बढ़ रहा है

समस्याओं के बीच इंसान आगे बढ़ रहा है
Bhaskar.png

May 17, 2021

समस्याओं के बीच इंसान आगे बढ़ रहा है


सभी जानते हैं कि जब 1985 में स्वर्गीय स्टीफन विलियम हॉकिंग बोलने की क्षमता खो बैठे थे, तब कैम्ब्रिज ने सॉफ्टवेयर के साथ बोलने वाला डिवाइस बनाया था, जिसने उन्हें इलेक्ट्रॉनिक आवाज दी। इससे वे गाल की मांसपेशियों की मदद से शब्द चुन पाते थे। वे कम्प्यूटर स्क्रीन इस्तेमाल करते थे, जिसपर एक कर्सर अल्फाबेट पर घूमता था। अल्फाबेट को चुनने के लिए वे गाल सिकोड़ते थे और इस तरह अल्फाबेट से मिलाकर शब्द बनाते थे।


अब मानव जाति ने एक लंबी छलांग लगाई है। जिनका शरीर गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त है, वे ऐसे कम्प्यूटर सिस्टम से वाक्य लिख सकते हैं, जो कल्पित हैंडराइटिंग को शब्दों में बदलता है। नया सॉफ्टवेयर मांसपेशियों की जगह सीधे ब्रेन का इस्तेमाल करता है।

जी हां, पहली बार वैज्ञानिकों ने दिमागी गतिविधि से वाक्य बनाए हैं, जिससे लकवाग्रस्त लोग तेजी और स्पष्टता से बात कर सकें। करीब 60 वर्षीय व्यक्ति टी5 (नाम गुप्त रखा गया है) 2007 में स्पाइनल कॉर्ड में लगी चोट के कारण गर्दन के नीचे कोई मूवमेंट नहीं कर पाते हैं। टी5 पिछले हफ्ते एक मिनट में 18 शब्द लिखने में सफल रहे। चूंकि ये दिमाग में लिखे इसलिए इसे हैंडराइटिंग नहीं, ‘माइंड-राइटिंग’ कहते हैं।


यह कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की परियोजना है। टी5 ने ब्रेन-कम्प्यूटर इंटफेस की सुरक्षा की जांच के लिए ब्रेनगेट2 नामक क्लिनिकल ट्रायल में एनरोल किया था। यह शरीर में लगाने योग्य छोटी एस्प्रिन बराबर कम्प्यूटर चिप हैं, जो दिमाग की इलेक्ट्रिकल गतिविधि पढ़ती हैं। ये उनके दिमाग की बायीं तरफ लगाई गईं, जहां न्यूरॉन्स दायें हाथ को नियंत्रित करने के लिए सिग्नल भेजते हैं।


शोधकर्ताओं ने टी5 से कहा कि वे कल्पना करें कि हाथ में पेन पकड़कर कागज पर अल्फाबेट लिख रहे हैं, भले ही अपनी बांह नहीं हिला सकते। ऐसा करने पर चिप ने ब्रेन एक्टिविटी रिकॉर्ड की, जो सामान्य परिस्थिति में उनके मूवमेंट नियंत्रित करती। उनकी माइंड-राइटिंग 94% सही थी और जब वैज्ञानिकों ने इसमें ऑटोकरेक्ट टेक्नोलॉजी जोड़ी तो एक्यूरेसी 99% हो गई। माइंड-राइटिंग में एल्गोरिद्म में अक्षर पहचानने की जगह शब्दांश और ध्वनिग्राम पहचानेगी, जो बोलने की आधारभूत इकाई है। सेशन के दौरान टी5 को लगता था कि उनके हाथ में काल्पनिक पेन है और हाथ पेज पर चल रहा है। साथ ही जब वे कैपिटल की जगह स्मॉल लेटर इस्तेमाल करते हैं तो तेजी से लिखते हैं।


‘जर्नल नेचर’ में प्रकाशित लेख के मुताबिक वैज्ञानिकों ने माना है कि कुछ अक्षर, जैसे ‘r’, ‘h’ और ‘n’ में अंतर करना मुश्किल है क्योंकि इन्हें लिखने में समान मूवमेंट होते हैं और इसलिए समान ब्रेन एक्टिविटी होती है। शोधकर्ता लंबे समय से ऐसे तकनीकों के ख्वाब देख रहे हैं जो सीधे दिमाग से जुड़ सकें। इसलिए यह अध्ययन ब्रेन-कम्प्यूटर इंटरफेस में उल्लेखनीय प्रगति है। न्यूरल इंजीनियरिंग में काम कर रहे लोग उत्साहित हैं क्योंकि इस शोध ने कल्पित हरकतों को डिकोड करने के रास्ते खोले हैं। स्वाभाविक है कि रोजमर्रा में दिव्यांगों के इस्तेमाल के लिए इस सिस्टम को आने में समय लगेगा। लेकिन कम से कम अब हम जानते हैं कि ऐसे लोगों के लिए उम्मीद है। हालांकि वैज्ञानिक अभी नहीं जानते कि एल्गोरिद्म रोमन अल्फाबेट इस्तेमाल न करने वाली अन्य भाषाओं में कितनी कारगर है।


फंडा यह है कि बेशक हम महामारी के बीच में हैं लेकिन यह इंसानों को कष्ट देने वाली अन्य परिस्थितियों का समाधान खोजने से हमें नहीं रोक सकती। ऐसी खोजों की सराहना करें क्योंकि यह कुछ लोगों की जिंदगी को कहीं ज्यादा आरामदायक बना सकती हैं।

1_edited_edited.jpg

Be the Best Student

Build rock solid attitude with other life skills.

05/09/21 - 11/09/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)

Duration - 14hrs (120m per day)

Investment -  Rs. 2500/-

DSC_5320_edited.jpg

MBA

( Maximize Business Achievement )

in 5 Days

30/08/21 - 03/09/21

Free Introductory briefing session

Batch 1 - For all adults

Duration - 7.5hrs (90m per day)

Investment - Rs. 7500/-

041_edited.jpg

Goal Setting

A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.

01/10/21 - 04/10/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)

Duration - 10hrs (60m per day)

Investment - Rs. 1300/-

bottom of page