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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

सिर्फ आसमान छूना ही सफलता नहीं है

सिर्फ आसमान छूना ही सफलता नहीं है
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Aug 25, 2021

सिर्फ आसमान छूना ही सफलता नहीं है


वे ठीक 7 बजे काम पर आ जाते हैं। इतने बजे तो शायद इंडस्ट्री में कोई उठकर ब्रश भी नहीं कर पाता। मैं अक्षय कुमार की बात नहीं कर रहा, जिन्हें सुबह 4 बजे उठना पसंद है और जो पूरे फिल्म सेट को रातभर जगाए रखते हैं, जिसमें उस रियलिटी शो के दर्शक भी शामिल हैं, जिसे उन्होंने कपिल शर्मा के साथ शूट किया। मैं जिसकी बात कर रहा हूं वे अक्षय से भी कहीं ज्यादा उम्र के हैं। जी हां, वे 1969 से काम कर रहे हैं। उन दिनों उनके साथ के कलाकार 12-18 घंटे देर से आते थे। उन्हें यह पसंद नहीं था, पर कभी विरोध नहीं किया। उन्होंने अपनी आदत नहीं बदली। मुंबई में जब उनकी कार फिल्म सिटी में आती थी जो लोग उनके आने के समय से अपनी घड़ी मिला लेते थे। पांच दशकों से वे इतने पर्फेक्ट हैं।


मुझे गर्व है कि उनमें और मुझमें कुछ समानताएं हैं। दोनों के लिए कोई भी दो दिन समान नहीं होते, हर दिन पिछले से पूरी तरह अलग होता है। हम रोज विभिन्न लोगों से मिलते हैं। दोनों उन लोगों के नाम, पेशे आदि के बारे में घंटों पढ़ते हैं। मैं कुछ नामों को लिखने से पहले वर्तनी पूछता हूं, जबकि वे उनके बारे में बोलने से पहले नाम का उच्चारण और उसका अर्थ पूछते हैं। वे अपने सहकर्मियों की उपलब्धियों, काम, शौक और माहौल, शहर आदि के बारे में पढ़ते हैं। मिलने से पहले इन पर बनीं फिल्में और क्लिपिंग देखते हैं। उनके बारे में अच्छी चीजें याद रखते हैं और मिलने पर उनका जिक्र कर व्यक्ति को चौंकाते हैं। चाहे पुलिस अधिकारी हो या शिक्षक या सफाईकर्मी, वे न सिर्फ उनके काम की सराहना करते हैं, बल्कि व्यक्ति की प्रशंसा भी करते हैं। उनसे हुई मेरी कई मुलाकातों में कभी ऐसा नहीं हुआ कि सराहना न मिली हो।


वे भी दूसरों की तरह रियलिटी शो करते हैं। लेकिन सप्ताहांत में सिर्फ दो दिन नहीं, बल्कि पूरे हफ्ते। दूसरों की तरह उन्हें भी शो की शूटिंग में रीटेक नहीं मिलते। इस शूट में हर चीज वक्त पर होती है। उनके आस-पास होने पर कोई गलती नहीं कर सकता क्योंकि वे खुद तो पर्फेक्ट हैं ही, आस-पास भी पर्फेक्शन का वायरस फैला देते हैं। लेकिन एक चीज है, जिसे वे भी नियंत्रित नहीं कर सकते। यह है कम्प्यूटर सिस्टम, जो अचानक हैंग हो जाता है और सबकुछ रुक जाता है। और ये व्यक्ति मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘कम्प्यूटरजी लटक गए।’ और सीट छोड़कर मुस्कुराते हुए यहां-वहां देखने लगते हैं।


जी हां, आप सही समझे, मैं किसके बारे में बात कर रहा हूं। ये हैं अमिताभ बच्चन, जिन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का 13वां सीजन सोमवार से शुरू किया। मैंने उनसे सीखा है कि सच्चा सफल व्यक्ति दूसरों की सराहना में, उनकी सफलता की प्रशंसा में हमेशा उदारता दिखाता है।


नागपुर के मेरे एक मित्र डॉ संजय राघाताते अक्सर अपने भाषण में कहते हैं कि ज्यादातर लोग रोटी, कपड़ा और मकान के बाद पहचान चाहते हैं। मुझे लगता है कि इसके लिए हम अक्सर ऐसी छवि दिखाते रहते हैं जो क्षणिक, उथली, नीरस और बेमज़ा होती है। जमीन से जुड़े रहना जरूरी है।


फंडा यह है कि सफलता की सच्ची कहानी तब बनेगी, जब हम आसमान तो छुएं, पर हमारे पैर जमीन को न छोड़ें। सिर्फ आसमान छूना ही सफलता नहीं है।

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