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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

स्टाफ की कमी पूरी करने अपना तरीका ईजाद करें

स्टाफ की कमी पूरी करने अपना तरीका ईजाद करें
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May 20, 2021

स्टाफ की कमी पूरी करने अपना तरीका ईजाद करें


डॉक्टर के साथ अपने पिछले अपॉइंटमेंट के बारे सोचिए। फ्रंट डेस्क पर जाने के बाद हो सकता है कि आपको सबसे पहले नर्स मिले। आपकी स्वास्थ्य जांच करते हुए वह शायद कुछ बात करे। वह छोटी-मोटी बातचीत सिर्फ माहौल ठीक करने या चुप्पी तोड़ने के लिए नहीं होती, बल्कि कुशल नर्स जानती हैं कि मरीज को जानने में समय देने पर उसके स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी जानकारी निकाल सकते हैं, जो शायद मरीज छिपाना चाहता हो। जब डॉक्टर आपको देख लेते हैं, नर्स फिर दवाएं समझाती है और पूछती है कि आपके कोई सवाल हैं। नर्स मरीज पर जो समय खर्च करती है, वह हॉस्पिटल में किसी भी हेल्थकेयर पेशेवर से ज्यादा होता है।


मैं उनका बड़ा योगदान मानता हूं, खासतौर पर महामारी के इन दिनों में। लेकिन मुझे दु:ख हुआ जब पता चला कि गुजरात के सिविल हॉस्पिटल में मंगलवार को नर्सों ने अधूरी मांगों को लेकर अचानक ड्यूटी पर आने से इनकार कर दिया। फिर ट्‌यूटर, डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर और अन्य स्टाफ ने वार्ड संभाले।


मुझे हमेशा लगता है कि कुछ कर्मचारी उनके पेशे के लिए ऑक्सीजन जैसे होते हैं। बेशक नर्स उनमें से एक हैं, जबकि डॉक्टर हेल्थ केयर उद्योग की लाइफलाइन हैं। शायद यही कारण है कि इसी मंगलवार इजरायली राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन ने केरल की सौम्या संतोष के परिवार को फोन किया, जो एक हफ्ते पहले पति को वीडियो कॉल करने के दौरान, अश्केलॉन में रॉकेट हमले में मारी गई थी। राष्ट्रपति ने परिवार की हर संभव मदद का आश्वासन दिया। राष्ट्रपति से बात करते हुए सौम्या के पति संतोष ने कहा कि वे उस जगह को देखना चाहते हैं, जहां उनकी पत्नी मारी गई। राष्ट्रपति ने कहा है कि वे उनके और बेटे के लिए उस जगह पहुंचने के जरूरी इंतजाम कर उन्हें जानकारी देंगे। साथ ही आश्वस्त किया कि संतोष के इजरायल आने पर वे मिलेंगे भी।

सौम्या की कहानी बताने का कारण है कि मैं खुद कई व्यक्तिगत अनुभवों से जानता हूं कि इजरायल ऐसा देश है, जो हेल्थ केयर पेशेवरों को बहुत महत्व देता है। ऐसा शायद इसलिए क्योंकि इजरायल लगातार पड़ोसियों से संघर्षरत रहता है और आपातस्थिति में इन पेशेवरों की जरूरत होती है।


इससे मुझे बेंगलुरु के डॉ गुणशेखर वुप्पालापति याद आए, जो पिछले साल कोविड के हमले के बाद से नर्सों की गंभीर कमी का प्रबंधन कर रहे हैं। उन्होंने पहली लहर में अपने प्लास्टिक सर्जरी हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल में बदल दिया था। उपकरणों में भारी निवेश के बावजूद उनके पास आईसीयू के लिए अनुभवी नर्सों और हाऊसकीपिंग स्टाफ की कमी थी। ऐसा सिर्फ बेड की संख्या बढ़ने से बढ़ी जरूरत के कारण नहीं हुआ, बल्कि कुछ कर्मचारी खुद कोविड मरीजों से बीमार हो रहे थे। पड़ोसी राज्यों में विज्ञापन देने के बाद उनके पास सैकड़ों आवदेन आए। उन्होंने उन नर्सों को भी लिया जो अस्थायी रूप से बेरोजगार थीं या जो विदेश में नौकरी करती थीं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बंद होने से भारत में फंस गई थीं। वे हमारे हेल्थकेयर कर्मियों को संकट पर नियंत्रण हेतु वापस बुलाने के लिए ‘इंडिया कॉलिंग कैंपेन’ में विश्वास करते हैं। कुछ सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों को हॉस्पिटल चलाने के लिए नियुक्त कर रहे हैं और सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं देने का प्रयास कर रहे हैं।


फंडा यह है कि स्टाफ की कमी संभालने के लिए हमें इजरायल की तरह अपनी उदारता व्यक्त करने या कमी पूरा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में देखने की जरूरत है।

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