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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

‘उड़ते’ समय पतंग की ये पांच कहानियां याद रखें

‘उड़ते’ समय पतंग की ये पांच कहानियां याद रखें
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Aug 13, 2021

‘उड़ते’ समय पतंग की ये पांच कहानियां याद रखें


वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीतकर टोक्यो ओलिंपिक्स में भारत को पहला मेडल दिलाया था। न सिर्फ मेरे लिए, बल्कि उद्योगपति आनंद महिंद्रा के लिए उन्होंने गोल्ड हासिल किया। चौंक गए? आगे पढ़िए।


चानू ने हाल ही में ट्रक ड्राइवरों और उनके हेल्परों के लिए एक आयोजन किया और ओलिंपिक पोडियम तक पहुंचने की यात्रा में सहयोग करने के लिए उनका सम्मान किया। उन्होंने ऐसा क्या किया था? दरअसल चानू ट्रेनिंग सेंटर पहुंचने के लिए रोजाना रेत ढोने वाले ट्रकों में मुफ्त लिफ्ट लेती थीं क्योंकि मणिपुर की राजधानी इम्फाल स्थित स्पोर्ट्स एकेडमी उनके गांव नॉन्गपोक काकचिंग से 25 किमी दूर थी। आभार जताने के लिए 26 वर्षीय चानू ने हाल में 150 ट्रक ड्राइवरों और उनके हेल्परों को लंच पर बुलाया और सभी को शर्ट व मणिपुरी स्कार्फ उपहार में दिया। ट्रक ड्राइवरों संग उनकी कई तस्वीरें वायरल हैं।


इसलिए महिंद्रा ने ट्वीट किया, ‘मुझे लगता है कि मीराबाई का यह कार्य उन्हें गोल्ड मेडलिस्ट बनाता है। उन्हें ट्रक ड्राइवरों के पैर छूते देख मेरी आंखें नम हैं। हमारे देश के सबसे खूबसूरत भावों में से एक…’


इससे मुझे पतंगों से जुड़ी पांच कहानियां याद आईं।


विनम्रता और गर्व: पतंग उड़ाना ऐसा खेल है, जिसमें पैर हमेशा जमीन पर रहते हैं, लेकिन सिर हमेशा ऊंचा रहता है। बड़ा सोचें, बड़ा लक्ष्य रखें और उसमें जुट जाएं, लेकिन कभी सफलता से विचलित न हों। जीवन के अंतिम दिन, माहौल में हमारी सफलता नहीं, बल्कि यह शब्द गूंजें, ‘हमने अच्छा इंसान खो दिया।’


आप के साथ वह: बिना आपके पतंग महज कागज और लकड़ी है। जिस पल वह मालिक के नियंत्रण से छूटती है, गिरने लगती है। वहीं सक्षम व्यक्ति के हाथ में आकाश उसकी सीमा है। जीवन ‘आप’ और ‘वह’ का मेल है। ईश्वर को हर चीज में साझेदार बनाएं. उनके साधन बन जाएं… फिर इसकी कोई सीमा नहीं होगी कि आप क्या बनना चाहते हैं। जरा सोचें, हमारे साथ ईश्वर हो, तो हमारे खिलाफ कौन होगा?


हर बाधा से ऊपर उठें: पतंग हवा के साथ नहीं उठती, बल्कि हवा के खिलाफ उड़ती है। कभी दाएं, कभी बाएं, ऊपर-नीचे और कभी-कभी गिरकर उठती है, लेकिन अंतत: आसमान छूती है। जीवन में बाधाएं और चुनौतियां आएंगी ही। फिर भी, जब हम अपनी क्षमता के अनुसार जीते हैं, तो सभी बाधाओं को पार करते हैं। सौ मीटर सामान्य दौड़ की तुलना में सौ मीटर बाधा दौड़ में थोड़ा ज्यादा समय और प्रयास लगेंगे, फिर भी हम फिनिशिंग लाइन पार करेंगे।


डिटैच्ड अटैचमेंट: पतंग उड़ाना मजेदार और उत्साहजनक है। इसमें संपूर्ण भावनात्मक भागीदारी जरूरी है। जब पतंग धागे से टूटती है तो आप बस मूक दर्शक बनकर रह जाते हैं। समझदारी इसमें है कि ढील कब देनी है। पतंग उड़ाने से बेहतर कोई यह सबक नहीं सिखाता। इसलिए पतंग उड़ाते समय उससे लगाव (अटैच्ड) रखें, लेकिन दूर जाते ही भावनात्मक लगाव खत्म (डिटैच्ड) कर लें। खुद को नतीजों से अलग रखें, लेकिन प्रक्रिया से पूरी तरह जुड़े रहें।


स्वतंत्रता और अनुशासन: पतंग की आजादी का पूरा महत्व दूसरे छोर पर डोर पकड़कर उसे अनुशासित करने वाले अंगूठे और उंगलियों से आता है। अगर उसे संभालने वाला डोर छोड़ दे तो पतंग दिशाहीन होकर गिर जाएगी। अनुशासन के बिना आजादी के कोई मायने नहीं। बिना अनुशासन के आजादी स्वेच्छाचारिता है।

ये सारी खूबियां चानू की जिंदगी में दिखती हैं।


फंडा यह है कि सफल अच्छे इंसान हमेशा पतंग उड़ाने की ये पांच कहानियां याद रखते हैं क्योंकि इनसे उन्हें जमीन से जुड़े रहने में मदद मिलती है।

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