Sep 23, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, आपने अक्सर देखा होगा कि लोग किसी भी कार्य में मनमाफ़िक परिणाम ना मिलने पर इतने दुखी हो जाते हैं कि वे एक असफलता या अपेक्षा के विपरीत मिले परिणाम को अंतिम हार या परिणाम मान कर इस तरह दुखी रहना शुरू कर देते हैं, मानो अब इन्हें कभी जीवन में ख़ुशी या सफलता मिलेगी ही नहीं। मेरी नज़र में तो हार, नुक़सान या असफलता से ज़्यादा हानिकारक जीवन में बाउंस बैक करने की आशा खो देना है।
जी हाँ दोस्तों, कोई एक असफलता आप का भाग्य कैसे तय कर सकती है? अपनी बात को मैं हाल ही के एक घटनाक्रम से समझाने का प्रयास करता हूँ। मेरे एक परिचित अपनी डॉक्टर बिटिया के साथ मुझसे मिलने आए, शुरुआती बातचीत के दौरान मैंने महसूस किया कि बिटिया, जो सामान्यतः मुझसे बहुत अच्छे से, खुलकर बात किया करती थी, आज एकदम गुमसुम बैठी हुई है। बातों ही बातों में मैंने उससे बातचीत शुरू करी तो मुझे पता चला उसका पी॰जी॰ के लिए चयन नहीं हो पाया है। जब मैंने उसे समझाने का प्रयास करा तो उसका कहना था, ‘आप के लिए कहना बहुत आसान है। मैं पिछले 2 वर्षों से दिन-रात इस परीक्षा की तैयारी कर रही थी। मेरा तो पूरा कैरियर चौपट हो गया है।’
मैं उसकी बात से कुछ हद तक तो सहमत था कि वाक़ई, समझाने वाले के लिए कहना बहुत आसान होता है। लेकिन कैरियर के विषय में कही गई उसकी बात और उसके पीछे के तर्क से मैं पूर्णतः असहमत था। मेरे मन में उस पल तीन विचार आए। पहला, उसने कैरियर बनाने के लिए अभी तो कार्य करना शुरू भी नहीं किया है, तो कैरियर ख़त्म कैसे हो गया? दूसरा, एक असफलता की वजह से आप जीवन में पूर्व में मिली कामयाबी, जो किसी समय आपका एकमात्र लक्ष्य था, को भुला तो नहीं सकते हो। तीसरा, अभी जीवन ख़त्म थोड़ी हो गया है जो हम एक बार फिर प्रयास नहीं कर सकते हैं।
मेरी नज़र में तो दोस्तों, असफलता को गले लगाना, उसे खुले दिल से स्वीकारना एक कला है, जो हम आजकल के बच्चों को नहीं सिखा पा रहे हैं और शायद हमारी इसी असफलता के परिणाम स्वरूप आज बच्चों में डिप्रेशन, तनाव या जीवन को ख़त्म करने जैसे ख़तरनाक लक्षण दिखाई दे रहे हैं। मेरा मानना है उन्हें बचपन से ही कक्षा या प्रतियोगिता में प्रथम लाने के फेर में पड़ने के स्थान पर हमें प्रयास की क़ीमत और उसके लाभ सिखाने, समझाने पर ज़ोर देना चाहिए। हमें उन्हें बताना चाहिए कि सफलता या असफलता हमारे द्वारा किए गए प्रयास का परिणाम भर है। अगर हम सफल होते हैं तो हमें हमारा लक्ष्य मिलता है और अगर हम असफल रहते हैं तो हमें खुद को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक सीख और साथ ही जीवन को बेहतर बनाने का एक और मौक़ा मिलता है।
जी हाँ दोस्तों, अगर वे ‘हमें फ़लानी चीज़ मिली तो हम सुखी या खुश और अगर नहीं मिली तो हम दुखी!’ के फेर में उलझे रहेंगे तो वे हमेशा सुख और दुःख के बीच में झूला झूलते रहेंगे और इस जीवन के मूल्य को कभी समझ ही नहीं पाएँगे। याद रखिएगा, जो कुछ भी हमने खो दिया वह या उसमें जीवन नहीं है, अपितु आने वाले समय में हम क्या पा सकते हैं और इस पल में हमारे पास क्या है, उसकी कद्र करने में जीवन या ज़िंदगी का असली मज़ा छुपा हुआ है। दूसरे शब्दों में कहूँ दोस्तों, तो इस पल में जो हमारे पास है, उसकी कद्र करना, उसका पूरा मज़ा लेना, उसके लिए आभारी रहना और साथ ही जो हम पा सकते है के लिए प्रयासरत रहना, सुखद भविष्य के लिए आशावान रहने में ही सुखी जीवन का सार छुपा हुआ है। इसी लिए तो भगवान कृष्ण ने गीता के उपदेश में कहा है, ‘जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, जो हो रहा है, अच्छे के लिए हो रहा है और साथ ही जो होगा, वह भी अच्छे के लिए ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो, भविष्य की चिन्ता न करो और जो वर्तमान चल रहा है, सिर्फ़ उसमें अपनी पूरी क्षमता के साथ सर्वश्रेष्ठ कर्म करो।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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