top of page
  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

अनावश्यक बोझा उतार फेंके और चैन से जिएँ…

Mar 4, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज हम अपने इस कॉलम ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है…’ की शुरुआत एक प्यारी सी कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक महात्मा ने अपने प्रवचन के दौरान अपने शिष्यों या सत्संगियों से एक प्रश्न पूछा, ‘बताओ इस धरती पर सबसे ज़्यादा बोझा कौन सा जीव उठाकर घूमता है?’ प्रश्न सुनते ही एक शिष्य ने कहा, ‘महात्मा जी, गधा सबसे ज़्यादा बोझा उठा कर घूमता है।’ यह जवाब सुनते ही दूसरा शिष्य बोला, ‘नहीं-नहीं महात्मा जी, मुझे तो लगता है खच्चर सबसे ज़्यादा बोझा उठाता है।’ तभी एक अन्य शिष्य खड़ा हुआ और बोला, ‘मेरी नज़र में तो हाथी वो जानवर है। जितना बोझ गधा या खच्चर उठाता है, उससे कई गुना ज़्यादा तो हाथी का खुद का वजन होता है। इसलिए वही सबसे ज़्यादा बोझ उठा कर घूमता है।’


बात यहीं नहीं रुकी, कोई शिष्य बैल को, तो कोई ऊँट को सबसे ज़्यादा बोझा उठाने वाला प्राणी बाता रहा था। दूसरी और महात्मा जी अपने शिष्यों के जवाब सुन मुस्कुरा रहे थे। अंत में एक शिष्य महात्मा जी की ओर देखते हुए बोला, ‘महात्मन, आपकी मुस्कुराहट को देखकर लगता है कि हमारे सभी के उत्तर ग़लत हैं। कृपया सही उत्तर बताकर मार्गदर्शित करें।’


शिष्य की बात सुनते ही महात्मा जी एकदम गम्भीर हो गए और बोले, ‘वत्स, गधा, बैल, हाथी, खच्चर या कोई भी अन्य जानवर इंसानों से ज़्यादा बोझा उठाकर नहीं घूमता है।’ महात्मा का जवाब सुनते ही शिष्यों के चेहरे प्रश्नवाचक मुद्रा में आ गए। वे सभी लगभग एक साथ बोले, ‘हम समझ नहीं पाए महात्मा जी। कृपया विस्तार से बताएँ।’ शिष्यों की बात सुन महात्मा जी मुस्कुराए और बोले, ‘देखो वत्स, उपरोक्त में से कोई भी जानवर हो, वह एक स्थान से बोझा उठाकर दूसरे स्थान पर रख देता है। लेकिन इंसान एकमात्र ऐसा जीव है जो नकारात्मक भावों के बोझ को जीवन भर साथ लिए घूमता रहता है। जैसे, किसी की कही बातों का बोझ, अनिश्चितता का बोझ, ग़लतियों और पश्चाताप का बोझ आदि।’


बात तो महात्मा जी की एकदम सही है दोस्तों। सामान का बोझ या वजन तो तय रहता है। जिसे कोई भी इंसान या जानवर निश्चित समय या दूरी के लिए ही उठाता है। लेकिन विचारों और भावों का बोझ अनंत होता है, जिसे जीवन भर उठाए घूमना आपकी शांति, ख़ुशी, वर्तमान में जीने की कला, सुख, चैन आदि सब छीन लेता है।


दोस्तों, इस जीवन में जब हम नकारात्मक बातों, ग़लत क़यासों, अपने मतलब के अनुसार कही गई बातों, दूसरों के साथ या अपने साथ हुए ग़लत बर्ताव या कार्य की वजह से उपजे ग्लानि या दुःख के भावो आदि के नकारात्मक बोझ को हमेशा अपने ऊपर लेकर जीना छोड़ नहीं देते हैं, तब तक हम सही मायने में जीवन जी नहीं सकते हैं। तो आइए दोस्तों, आज नहीं अभी से इन सभी तरह के बोझों को उतार, वर्तमान में नई आशाओं और सकारात्मक सोच के साथ जीना शुरू करते हैं क्योंकि हमें इस जीवन को ढोना नहीं, जीना है। शायद इसीलिए तो कहा गया है, ‘निराशावादी इंसान अच्छाई में भी बुराई और परेशानी खोज लेता है और एक आशावादी, सकारात्मक सोच वाला इंसान सभी बुराइयों और परेशानियों के बीच भी जीवन जीने की कम से कम एक वजह खोज लेता है।’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

17 views0 comments
bottom of page