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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

इस दुनिया में कोई भी ‘सेल्फ़मेड़ मैन’ नहीं है…

Mar 3, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

‘आपने मेरे लिए आज तक किया ही क्या है? एक अच्छे स्कूल में पढ़ाई के लिए भी तो नहीं भेज पाए आप। जिस चीज़ के लिए बोलो तो हाथ खड़े कर देते हो आप। अब जब मैं अपने पैरों पर खड़ा हो गया हूँ तब तो कम से कम चैन से ज़िंदगी जी लेने दो।’ बच्चे के मुँह से यह शब्द सुन, आँखों में आंसू लिए पिता कमरे से बाहर निकल ही रहे थे कि मेरा वहाँ पहुँचना हुआ।


मुझे अपने सामने देख पिता-पुत्र दोनों ही सकपका गए। मैंने पिता को नज़रंदाज़ करते हुए बेटे की आँखों में आँखें डालते हुए कहा, ‘उन्होंने तुम्हें जन्म दिया, यही उनका तुम्हारे ऊपर सबसे बड़ा उपकार है। अन्यथा तुम इस दुनिया को कभी देख भी नहीं पाते।’ लड़का कुछ बोलता उसके पूर्व उसके पिता मेरी ओर देखते हुए बोले, ‘छोड़िए साहेब, गलती मेरी ही है, जब कान पकड़ संस्कार सिखाने थे तब अति में किए गए लाड़-प्यार ने इसे बिगाड़ दिया है। आज जब मुझसे ज़्यादा कमाने लगा है तो मेरा ही बाप बनने की चेष्टा कर रहा है।’


हालाँकि, दोनों में से कौन सही था और कौन ग़लत इसका निर्णय करना ना तो मेरा कार्य था और ना ही मैं इसमें सक्षम था। लेकिन बेटे को सही स्थिति का एहसास करवाने का निश्चय मैंने कर लिया था। कुछ देर पश्चात स्थिति थोड़ी सामान्य होने पर मैंने बेटे से बात शुरू करते हुए कहा, ‘मैंने सुना है, आजकल तुम अपना जिम चला रहे हो।’ बेटे ने तुरंत हाँ में सर हिला दिया। सहमति मिलते ही मैंने बेटे से अगला प्रश्न करते हुए कहा, फिर तो तुम मशहूर बॉडी बिल्डर, एक्टर, महान व्यक्तित्व और एक बेहद ही अच्छे इंसान अर्नोल्ड श्वार्जनेगर के बारे में भी जानते होगे।’ मेरी बात पूरी होने के पहले ही वह बोला, ‘उनको कौन नहीं जानता। मेरे जिम में तो उनका फ़ोटो भी लगा हुआ है।’


अपना तुक्का सही स्थान पर पड़ता देख मैं मुस्कुराया और बोला, ‘आओ तुम्हें उनके जीवन का ही एक बेहतरीन क़िस्सा सुनाता हूँ। एक बार अर्नोल्ड ने किसी के द्वारा ‘सेल्फ़मेड़ पर्सन’ कहे जाने पर अपना विरोध जताते हुए कहा था, ‘आप मुझे किसी भी नाम से पुकार लें। आप चाहें तो मुझे बॉडी बिल्डर, एक्टर, अर्नोल्ड या श्वार्जनेगर आदि कुछ भी कह लें, लेकिन ‘सेल्फ़मेड़ पर्सन’ या अपने दम पर अपना जीवन बनाने वाला ना बोलें। क्योंकि सारा श्रेय खुद लेने का अर्थ उन लोगों को भूल जाना है जिन्होंने जाने-अनजाने में आपका साथ दिया था। कई लोगों ने मुझे सलाह दी थी, कुछ ने मेरा हौंसला बढ़ाया था, कुछ ने प्रोत्साहन भी दिया था, कुछ लोगों ने मुझे नई चीज़ें सिखाई थी। कुल मिलाकर कहा जाए तो आज मैं जहाँ भी हूँ कई लोगों की मदद की वजह से हूँ। इसलिए मेरे विचार से ‘सेल्फ़मेड़ पर्सन’ का विचार ही ग़लत और भ्रम पैदा करने वाला है।’


अपनी उपरोक्त बात कहते समय मेरा पूरा ध्यान पिता को उल्टा जवाब देने वाले बच्चे की ओर ही था। अपना तीर निशाने पर लगता देख मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘हो सकता है तुम्हें लग रहा होगा कि मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूँ जिन्होंने अपना जीवन खुद बनाया है, हो सकता है तुमने उनके विषय में बहुत कुछ पढ़ा भी हो, कुछ लोगों से तुम मिले भी हो, या कुछ के विषय में तो तुमने किताबों में या आत्मकथाओं में भी पढ़ा हो। लेकिन मेरी नज़र में वह कहानी या उनके जीवन का सिर्फ़ एक हिस्सा भर है। असल में ज़िंदगी कोई पिक्चर नहीं है जिसमें सीन बदलते ही सब कुछ बदल जाता है। वह आज जैसी भी है कई लोगों की मिली मदद की वजह से है। जैसे तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें जन्म देने के बाद प्यार दिया, बोलना, चलना, खाना आदि जैसी कई चीजें सिखाई, तुम्हारा ध्यान रखा, शिक्षा दिलाई, साथ ही और भी कई तरीक़े से तुम्हारी मदद करी। जिनके बिना तुम्हारा ज़िंदा रहना भी सम्भव नहीं था। इतना ही नहीं उन्होंने तुम्हें कई बार विपरीत परिस्थितियों या विपत्तियों से भी बचाया है। पिता ने तुम्हें अनुशासित जीवन जीने के लिए तैयार किया है, तो माँ ने समय पर तुम्हें सही भोजन उपलब्ध करवाकर स्वस्थ रहने में मदद करी है और फिर तुम अपने कोच को कैसे भूल सकते हो? अगर वे ना होते तो क्या तुम आज जिम चलाने लायक़ बन पाते? शायद नहीं।


इतना कहकर मैं वहाँ से निकल गया। लेकिन सोच कर देखिएगा दोस्तों, क्या वाक़ई ‘सेल्फ़मेड़ मैन’ जैसा कोई विचार सम्भव हो सकता है? मेरी नज़र में तो बिलकुल भी नहीं। इस दुनिया में पहले भी लोगों ने एक दूसरे से मिली मदद से ही सब-कुछ पाया है। हाँ यह सम्भव है कि आपके पास जुनून, जज़्बा, सपने, ऊर्जा सब कुछ होगा, लेकिन उसके बाद भी बिना मदद के कुछ भी मुमकिन नहीं। जब आप यह समझ जाएंगे कि आप लोगों से मिली मदद से ही ऊपर पहुंचे हैं, तो आप दूसरों की मदद करना शुरू कर देंगे। सिर्फ अपने बारे में ही मत सोचिए, दूसरों की मदद भी करिए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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