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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

एक स्वतंत्र विचार जो आपके जीवन को नई दिशा दे सकता है...

Feb 23, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, स्वतंत्रता एक ऐसा विचार है जो आपके जीवन को एक ओर जहाँ नई दिशा दे सकता है वहीं दूसरी ओर यह आपके जीवन को जटिल और उलझन भरा बना सकता है। इसकी मुख्य वजह स्वतंत्रता का सही अर्थ ना समझ पाना है। अपनी बात को मैं आपको हाल ही में काउन्सलिंग के लिए आई कक्षा ग्यारहवीं की एक बच्ची की कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ, जो एक दिन कोचिंग के बाद बिना किसी को कुछ बताए घर से कहीं चली गई थी।


कोचिंग ख़त्म होने के काफ़ी देर बाद भी जब वह घर नहीं पहुँची, तो पूरा परिवार चिंतित हो गया और उसे ढूँढने के लिए निकल गया। तीन से चार घंटे तक किए गए अथक प्रयासों के बाद वह बच्ची रात्रि लगभग ८ बजे अपनी एक फ्रेंड के घर मिली। जब इस विषय में उससे बाद में बात करी तो पता चला कि वह माता-पिता और परिवार के बड़ों की रोका-टोकी अर्थात् बार-बार रोकने और टोकने से परेशान हो गई थी और स्वतंत्र जीवन जीने की चाह में घर छोड़ कर निकल गई थी। जब मैंने इस विषय में माता-पिता से अलग से चर्चा करी तो पता चला कि वे बच्ची को सिर्फ़ बचकाने निर्णय और अनावश्यक परेशानियों से बचाना चाहते थे। अर्थात् वे सुरक्षा की दृष्टि से बच्ची को रोका-टोका करते थे।


दोस्तों, मेरी नज़र में इस घटना में जितनी गलती उस नादान बच्ची की थी, उससे ज़्यादा ग़लत माता-पिता थे। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि वे बच्ची को रोकने और टोकने की वजह नहीं समझा पाये थे। चलिए अपनी इस बात को मैं आपको थोड़ा विस्तार से समझाने का प्रयास करता हूँ। लेकिन उससे पहले आप मेरे तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

पहला प्रश्न - क्या माता-पिता बच्चों को अपना दुश्मन मानते हैं?

दूसरा प्रश्न - क्या माता-पिता बच्चों को जीवन में सफल होता हुआ नहीं देखना चाहते हैं?

तीसरा प्रश्न - क्या वे अपने बच्चों से प्यार नहीं करते हैं?


निश्चित तौर पर आपका जवाब ‘ना’ या ‘नहीं’ ही होगा। हर माता पिता अपने बच्चों से प्यार करते हैं, वे उसे सफल होता हुआ देखना चाहते हैं। इतना ही नहीं दोस्तों, जब पूरी दुनिया साथ छोड़ देती है तब भी यही माता-पिता बिना फ़ायदा नुक़सान देखे तन, मन और धन से साथ खड़े नज़र आते हैं।


ऐसी स्थिति में सोचने वाली बात यह है कि यह बात हर किसी को समझ आती है; हर कोई इससे सहमत है, फिर आख़िर बच्चे इतनी सी बात को क्यों समझ नहीं पाते हैं? और हाँ कृपा करके इस बात को ‘जनरेशन गैप’ कहकर ख़त्म मत कीजिएगा। मेरी नज़र में इस समस्या के तीन मुख्य कारण है-


पहला - बच्चों के नज़रिए से स्थिति को ना देख पाना

बच्चों को अक्सर लगता है कि आप उनकी बात समझ नहीं पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण अपने नज़रिए और अनुभव से बदले हुए जमाने को देखना है। उदाहरण के लिए अगर कोई बच्चा आकर कहे कि मैं वर्चुअल हॉस्पिटल मैनेजर बनना चाहता हूँ तो हम में से ज़्यादातर लोग उसे ऐसा करने से रोक देंगे। वह भी यह जाने बग़ैर कि ‘वर्चुअल हॉस्पिटल मैनेजर’ होता कौन है और आने वाले समय में इसका भविष्य क्या है?, बच्चों की बातों को बिना जाने, बिना परखे नकारना; इस दूरी को बढ़ाता है।


दूसरा - बच्चों को रोकने और टोकने की सही वजह ना समझा पाना

बच्चों को बात-बात पर यह कहना कि ‘मैं तो तुम्हारे भले के लिए बोल रहा हूँ’, के स्थान पर उसे भविष्य की चुनौतियों के विषय में समझाने का प्रयास करें। साथ ही उसे यह भी बतायें कि आपके लिए उसकी सुरक्षा बाक़ी अन्य बातों से ज़्यादा ज़रूरी है और वह अभी तक उन्हें यह विश्वास नहीं दिला पाए है कि वे अपना ध्यान रखने में सक्षम है। अर्थात् उधार के सपनों पर बनाए लक्ष्य, बार-बार बदलती प्राथमिकताएँ, अधूरा ज्ञान आदि जैसी बातों के चलते वे अपने से बड़ों का विश्वास नहीं जीत पाते हैं। इसीलिए अक्सर बड़े-बुजुर्ग लोग उन्हें रिस्क या चुनौती से बचाने के लिए उन्हें रोकना और टोकना शुरू कर देते हैं।


तीसरा - संवाद की कमी

तेज़ी से बदलते इस भौतिक युग में अपने सपनों, अपनी इच्छाओं या अपनी ख्वाइशों को पूरा करने में हम इतने व्यस्त हो गये हैं कि हमें अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ संवाद करने का समय ही नहीं मिलता है। ऐसी ही कुछ स्थिति हमारे बच्चों की भी होती है। आपसी संवाद की यह कमी अक्सर हमसे एक-दूसरे को गहराई से जानने, विचारों में आये परिवर्तन को पहचानने का मौक़ा छीन लेती है। इसलिए हमेशा याद रखें, अच्छे रिश्ते को भौतिक संसाधन नहीं, हमारा समय चाहिए।

आईए दोस्तों, आज से ही उपरोक्त सूत्रों को काम में लेना शुरू करते हैं और बच्चों को समझाने का प्रयास करते हैं कि जिस तरह माँझे से बंधी डोर आकाश में ज़्यादा ऊँचाइयों को छूती है, ठीक उसी तरह मर्यादा में बंधी स्वतंत्रता हमें सफलता की ज़्यादा ऊँचाइयों को छूने का मौक़ा देती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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