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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जियें - जीवन से मिली सीखों के साथ!!!

July 3, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, हम सब अपना जीवन किसी ना किसी नियम के साथ जीते हैं। जैसे, अगर मैं अपनी बात करूँ तो निम्न ऐसे कुछ नियम हैं जिनके साथ जीना मुझे अच्छा लगता है-

1) लोगों को उनकी गलतियों के लिए माफ़ कर जीवन में आगे बढ़ें। इसलिए नहीं कि हम बहुत महान हैं, बल्कि इसलिए कि हम अपने जीवन को शांति के साथ जीना चाहते हैं।

2) नकारात्मक अनुभवों के साथ रहने से बेहतर है, उन्हें भूल कर आगे बढ़ना।

3) जीवन अतीत में नहीं, वर्तमान में है!

4) समय अच्छे-अच्छों को बदल देता है!

5) हर इंसान समय के साथ बदल जाता है! आदि


लेकिन कई बार आप जीवन में ऐसी दुविधा में फँस जाते हैं, जहाँ आपके नियम, जीवन मूल्य, शिक्षा, अनुभव और जीवन से मिली सीख ही आपको अपने ख़िलाफ़ नज़र आने लगती है। ऐसा ही कुछ अनुभव मुझे हाल ही में हुआ। कई वर्ष पश्चात मेरे एक परिचित काफ़ी वर्षों बाद मुझसे मिलने आए। असल में वे मुझसे एक समर्थन चाहते थे। हालाँकि मेरा उनके साथ पूर्व का अनुभव कुछ ज़्यादा अच्छा नहीं था। उन्होंने वर्ष 2000 में मुझे एक बहुत बड़ा झटका (व्यापारिक धोखा) दिया था, जिससे उबरने में मुझे कई वर्ष लग गए थे।


वैसे मैं उन्हें माफ़ कर अपने जीवन में आगे बढ़ गया था, लेकिन अचानक से हुई इस मुलाक़ात ने सारी घटना को एक फ़िल्म की भाँति मेरी आँखों के सामने ला दिया था। ख़ैर मैंने अपनी दुविधा उनके सामने ज़ाहिर करने के स्थान पर बात को आगे बढ़ाना बेहतर समझा और उनकी आशा और अपनी क्षमता के अनुरूप उनकी पूरी मदद करी। इस बार उनका व्यवहार पूरी तरह सामान्य था, जिससे ऐसा महसूस हो रहा था कि वे भी पुरानी बातों को भूल कर अब परिपक्व इंसान के रूप में आगे बढ़ गए हैं। इसके पश्चात संयोग से मेरी कुछ और मुलाक़ातें उन सज्जन से हुई। इन सभी मुलाक़ातों ने मुझे एक बार फिर एहसास करवाया कि वे सज्जन अब बदल चुके हैं। मैंने भी अब उन सज्जन के साथ सामान्य रिश्ता निभाना शुरू कर दिया।


एक दिन आवश्यकता पढ़ने पर मैंने अपने कर्मचारी को भेज कर उनकी दुकान से कुछ सामान ख़रीदा और उनसे उसका बिल माँगा जिससे मैं उसका भुगतान कर सकूँ। इस पर वे सज्जन बोले, ‘अभी थोड़ा व्यस्त हूँ, ख़रीदी देख कर मैं बाद में पैसे ले लूँगा। वैसे भी हम कहाँ भागे जा रहे हैं।’ ख़ैर आपसी व्यवहार मान कर मैंने इसे नज़रंदाज़ कर दिया। लगभग तीन-चार माह बाद उन सज्जन ने मुझसे बड़ी आत्मीयता के साथ पूछा कि क्या मेरे लिए अभी उनका हिसाब चुकता करना सम्भव होगा?, मेरे हाँ करने के कुछ दिन पश्चात उन सज्जन ने एक बिल मेरे पास भेजा। इस बिल को देख मैं एक बार फिर आश्चर्यचकित था क्योंकि इसमें सामान के मूल्य, ली गई संख्या आदि में ग़लतियाँ थी। जब मैंने उनसे इस विषय में बात करी तो वे सभी बातों को सही ठहराने का प्रयास करने लगे। जिसके कारण मुझे लगा कि मैं एक बार फिर उनकी चालाकी का शिकार बन गया हूँ।


ख़ैर हिसाब-किताब हो जाने के बाद जब मैंने एक बार फिर विचार किया तो पहली दृष्टि में मुझे लगा कि कहीं ना कहीं मेरे नियमों या जीवन मूल्यों के कारण मुझे नुक़सान हुआ है। क्योंकि मेरा मानना था कि इंसान समय के साथ बदल जाता है जिसका एहसास उन सज्जन ने मुझे आपसी मुलाक़ातों के दौरान कई बार करवाया था। दूसरी बात मैं उन्हें पहले ही माफ़ कर चुका था इसलिए मुझे उनकी कुटिलता पहले समझ ना आई और मैं अब अपने नियम और जीवन मूल्यों को अपने ख़िलाफ़ मान रहा था।


लेकिन दोस्तों, यक़ीन मानिएगा बीतते समय ने मुझे इस बात का बहुत अच्छे से एहसास करवाया कि इस पूरी घटना में गलती सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी थी। जी हाँ, माफ़ कर जीवन में आगे बढ़ने का अर्थ यह नहीं होता है कि हम उस व्यक्ति या घटना से मिली सीख को भूल जाएँ, जैसा मैंने किया था। दोस्तों, नियम और मूल्यों के साथ जीवन जीना अच्छी बात हैं लेकिन जागरूकता के साथ। उपरोक्त नुक़सान या परेशानी की मुख्य वजह विश्वास करना या नियम और मूल्यों का पालन करना नहीं था, वह तो जीवन से मिली सीखों को भूलना था। आईए दोस्तों, आज से अपने मूल्यों और नियमों को दोष देने के स्थान पर हम जीवन से मिली सीखों के साथ जागरूक रहते हुए जीवन जीना प्रारम्भ करते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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