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जीवन है एक अवसर श्रेष्ठ बनने का…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Jul 5, 2022
  • 2 min read

July 5, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अक्सर आपने देखा होगा कि हाल-चाल पूछने पर लोग ‘कट रही है’ सा बड़ा चलता हुआ सा जवाब देते हैं। ऐसे लोगों पर मुझे तो तरस ही आता है। जीवन साधारण हो सकता है, उसमें कई बार अपेक्षा के विपरीत परिणाम मिल सकते हैं। जीवन में बुराई भी अवश्य हो सकती है लेकिन इसके बाद भी जीवन बुरा नहीं हो सकता।


जीवन की क़ीमत अगर जाननी है तो एक बार उनसे पूछकर देखिए जिन्होंने किसी अपने को खोया है या जिसने कोविद के दौरान मौत को क़रीब से देखा है। जी हाँ, जिस दिन हम जीवन कितना दुर्लभ है, समझ जाएँगे, उस दिन से हम अपने समय या जीवन का दुरुपयोग करना बंद कर देंगे। सही मायने में देखा जाए दोस्तों, तो जीवन एक अवसर है श्रेष्ठ बनने का, श्रेष्ठ करने का, श्रेष्ठ पाने का और अगर आप इसके श्रेष्ठतम उपयोग या उपभोग के बारे में सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले जीवन में घटने वाली घटनाओं के सकारात्मक पक्ष को देखने की आदत विकसित करना होगी। चलिए, इसे मैं आपको एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ-


बात मध्य जून माह की है, मैं एक विद्यालय में ट्रेनिंग देने के लिए संध्या 6 बजे के आस-पास मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से खंडवा जाने के लिए निकला। रास्ते में पड़ने वाले सनावद शहर के बाद मेरा कार से एक ऐक्सिडेंट हो गया। ईश्वर की कृपा से मुझे इस ऐक्सिडेंट से कोई चोट नहीं लगी बस मेरी कार को थोड़ा नुक़सान ज़रूर हुआ। ऐक्सिडेंट के पश्चात मैंने ईश्वर व अपनी कार को धन्यवाद दिया और अपनी पत्नी को फ़ोन कर इस विषय में बताया। ऐक्सिडेंट के बारे में पता चलते ही उसकी पहली प्रतिक्रिया थी, ‘तुमने गाड़ी को थैंक्स किया या नहीं।’, मैं तुरंत मुस्कुराया और बोला, ‘हाँ, तुम्हें फ़ोन करने से पहले मैंने ईश्वर और गाड़ी को मुझे बचाने के लिए थैंक्स कहा था।’


दोस्तों, मैं इस ऐक्सिडेंट को नकारात्मक नज़रिए से देखते हुए तमाम नकारात्मक बातें सोचकर, अपने अंतर्मन में एक नकारात्मक घटना को रजिस्टर कर सकता था। जो मेरे मूड, मेरी लय, मेरे दिन सभी को ख़राब कर सकती थी और अगर मैं यही नज़रिया हमेशा बनाए रखता तो मेरे पूरे जीवन को भी प्रभावित कर सकती थी।


साथियों, हमेशा याद रखिएगा जीवन वह फूल है जिसमें बहुत सारे काँटे हैं लेकिन सौंदर्य और ख़ुशबू की भी कोई कमी नहीं है। अब यह बात आपके हाथ में है कि आप अपना जीवन काँटों को कोसते हुए बिताते हैं या ख़ुशबू व फूल के सौंदर्य का आनंद लेते हुए। जीवन को मूल्यहीन मान उसका तिरस्कार सिर्फ़ वही लोग करते हैं, जो अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ काँटों पर लगाए रहते हैं अर्थात् जीवन में सिर्फ़ बुराइयों को ही देखते रहते हैं।


याद रखिएगा जीवन में सब कुछ पाया जा सकता है, लेकिन सिर्फ़ उसे सकारात्मकता के साथ जीकर, कोस कर नहीं। जीवन का तिरस्कार नहीं अपितु इससे प्यार करो। जीवन को बुरा कहने की अपेक्षा जीवन की बुराई मिटाने का प्रयास करो, यही समझदारी है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

 
 
 

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