बड़प्पन की पहचान - क्षमा
- Nirmal Bhatnagar
- Apr 16
- 3 min read
Apr 16, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई सौ साल पहले की है राजपुर के राजा अपने महल में भोजन कर रहे थे, तभी खाना परोसते वक्त एक सेवक से गलती से थोड़ी सब्जी राजा के कपड़ों पर गिर गई। जिसके कारण राजा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। जिसे देख सेवक तत्काल समझ गया कि अब उसकी खैर नहीं है। ऐसी विपरीत स्थिति में भी उसने राजा द्वारा लिए जाने वाले निर्णय को भांपते हुए एक असाधारण निर्णय लिया और परोसने वाले बर्तन में बची हुई सारी सब्जी को राजा के कपड़ों पर उड़ेल दिया।
इस घटना ने राजा के गुस्से को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था। वे एकदम से क्रोधित स्वर में बोले, “तुमने यह दुस्साहस कैसे किया?" सेवक ने शांत भाव से उत्तर दिया, "महाराज, जब पहली बार सब्जी गिरी तो मुझे लगा कि अब मेरी जान नहीं बचेगी। लेकिन फिर मैंने सोचा कि अगर आप मुझे इस छोटी सी गलती पर कड़ी सजा देंगे, तो लोग आपको क्रूर राजा समझेंगे और आपकी बदनामी होगी। इसलिए मैंने सोचा कि पूरी सब्जी ही गिरा दूँ, ताकि सारा दोष मुझ पर आए और आपकी छवि खराब न हो।”
सेवक की बात सुनकर राजा को गहरा बोध हुआ और उनका गुस्सा एक ही पल में शांत हो गया। उन्हें अहसास हुआ कि एक सच्चा सेवक केवल आज्ञा का पालन ही नहीं करता, बल्कि स्वामी की प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखता है। साथ ही राजा को कभी भी छोटी बातों पर गुस्से में आकर अनावश्यक प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिए। राजा ने सेवक को उसी क्षण क्षमा कर दिया और इस घटना से एक महत्वपूर्ण सीख ली।
दोस्तों, कहानी बड़ी साधारण सी और पहले ही कई बार सुनी हुई है, लेकिन प्रश्न आता है कि क्या हमने इससे मिलने वाली सीख को अपने जीवन में उतारा है? दोस्तों, किसी के प्रति क्रोध या गुस्सा रखना या करना आसान है, लेकिन उसे माफ कर देना और उसे गलती सुधारने का अवसर देना, कठिन। लेकिन जब आप क्रोध या गुस्सा करने के आसान रास्ते को छोड़ कर, क्षमा करने का कठिन रास्ता चुनते हैं, तब आप महान बनते हैं। इसलिए दोस्तों, अपने साथ समर्पण और ईमानदारी से जुड़े लोगों की छोटी-मोटी गलतियों को भूलना और माफ करना सीखिये। अन्यथा प्रेम और समर्पण को नजरअंदाज कर, गुस्सा करने की आपकी यह आदत आपको अपनों जिन्हें हम दोस्त, रिश्तेदार, सेवक, सहकर्मी, या परिवार के सदस्य के रूप पाते हैं, से दूर कर देगी। याद रखिएगा, हम सभी इंसान हैं और हमसे गलतियां हो सकती हैं, अगर हम सबने एक दूसरे की गलतियों को माफ करना बंद कर दिया तो प्रेम और समर्पण पर आधारित आपसी रिश्ते ही ख़त्म हो जाएँगे। इसलिए दोस्तों, अपनों या दूसरों की गलतियों को समझकर क्षमा कर, सच्चे बड़प्पन का परिचय दीजिए और इस जहां में प्रेम फैलाइए।
इसी बात को हमारी पुरातन संस्कृति ने एक दोहे के रूप में समझाते हुए कहा है, “क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात। का हरि को घटि गयो, जौं भृगु मारी लात।।” अर्थात् क्षमा करना बड़ों का गुण होता है। सच्ची महानता उसी में होती है जो सहनशीलता और धैर्य से दूसरों की गलतियों को माफ कर सके। यह गुण न केवल व्यक्ति के चरित्र को ऊँचा उठाता है बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश देता है। इसलिए दोस्तों, राजा और सेवक की इस कहानी से क्रोध को त्यागकर क्षमा का भाव रखने की सीख, को आज ही अपनाइए और अपने संबंधों को सुधारकर, समाज में शांति और प्रेम का संदेश फैलाइए। इसके लिए किसी की भी गलती दिखने पर सबसे पहले उसके पीछे छिपे भाव को पहचानने का प्रयास कीजिए और फिर
सहृदयता के साथ निर्णय लीजिए। यही सच्ची मानवता की पहचान है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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