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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

भगवान तेरा शुक्र है…

Feb 20, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, जीवन में घटने वाली हर घटना को हरि इच्छा मान, ईश्वर या सर्वशक्तिमान याने सुप्रीम पॉवर के प्रति आभारी रहना और समर्पण का भाव रखना, मेरी नज़र में शांतिपूर्ण जीवन जीने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात हज़ारों साल पुरानी है, एक बार पंछियों का एक झुंड भटकते हुए गर्म रेगिस्तान के एक ऐसे रेतीले क्षेत्र में पहुँच गया जहाँ मीलों तक पानी का नामोनिशान नहीं था। असहनीय तापमान और अन्य विपरीत स्थितियों के कारण कई पंछियों के पर जल गये, तो कइयों के तो प्राण भी निकल गये। इन पंछियों में से ही एक दर्द से करहाते बेहाल पंछी पर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की नज़र पड़ गई। वे तुरंत उसके पास पहुँचे और पंछी से उसकी इस स्थिति का कारण पूछा। पंछी ने दिशा भटकने से इस हालत तक पहुँचने की पूरी स्थिति को एक ही साँस में कह सुनाया और अंत में पूछा, ‘हे पक्षी राज गरुड़, तुम तो मेरे आराध्य भगवान के वाहन हो। कृपया मुझ पर दया करो और प्रभु से पूछ कर बताओ कि मुझे इस पीढ़ा से मुक्ति कब और कैसे मिलेगी?’


गरुड़ ने उस पंछी को ढाढ़स बँधाते हुए धैर्य रखने का कहा और साथ ही आश्वस्त किया कि वे भगवान विष्णु से पूछ कर इस प्रश्न का जवाब देंगे। उस पंछी से विदा लेकर कर गरुड़ जी स्वर्गलोक गए और अपने कार्य पूर्ण करने के पश्चात भगवान विष्णु से बोले, ‘प्रभु, यहाँ आते वक़्त मैंने एक पंछी को रास्ते में बहुत दुखी और परेशान अवस्था में देखा था। उसे सभी तकलीफ़ों से कब और कैसे मोक्ष मिलेगा?’ भगवान विष्णु एकदम गंभीर स्वर में बोले, ‘गरुड़, भूलोक पर जन्म लेने के पश्चात हमारे जीवन में जो भी घटता है, वह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का परिणाम होता है। वह पंछी भी पूर्व जन्म में किए गए पापों की सजा भोग रहा है। अभी उसे ७ वर्ष और उसी लोक में रहना है।’


भगवान विष्णु द्वारा इशारों में कही बात गरुड़ जी तुरंत समझ गये। उन्हें उस पंछी पर दया आने लगी और वे उसको थोड़ी राहत दिलाने के उपाय के विषय में सोचने लगे। काफ़ी देर विचार करने के बाद गरुड़ जी को एक उपाय सूझा, वे तुरंत उस पंछी के पास पहुँचे और उसे पूरी बात बताने के पश्चात बोले, ‘हे पंछी, जो ईश्वर चाहते हैं, वही हम इस जीवन में भोगते हैं। ऐसे में हर घटना को प्रभु की इच्छा मान कर स्वीकारना और हर पल उनका शुक्रिया अदा करना ही इस दुख और परेशानी को कम कर सकता है।’ इतना कह कर गरुड़ जी वहाँ से चले गये और पंछी ने काफ़ी विचार कर दिन-रात ‘भगवान तेरा शुक्र है…’ का जाप एक मंत्र के रूप में करना शुरू कर दिया।


लगभग एक सप्ताह बाद किसी कार्य वश गरुड़ जी का एक बार फिर वहाँ से गुजरना हुआ। लेकिन इस बार वे वहाँ का बदला नजारा देख अचंभित रह गये। जो पंछी मरने की हालत में था, अब उसके नए पंख निकल आए थे। वो जहाँ रह रहा था वहाँ अब कुछ नई झाडियाँ उग गई हैं और उसके समीप ही बारिश के पानी का एक छोटा सा तालाब बन गया है। अचंभित सा गरुड़ जब भगवान विष्णु के पास पहुँचा तो अन्य सभी महत्वपूर्ण बातों को भूलकर, एकदम से पूछ बैठा, ‘प्रभु, आप तो कह रहे थे कि उस पंछी को ७ वर्षों तक पीड़ा सहनी पड़ेगी, लेकिन अभी कुछ देर पहले मैंने उसे एकदम स्वस्थ और अच्छी अवस्था में देखा है।

भगवान विष्णु मुस्कुराते हुए बोले, ‘यह तो उस मंत्र का परिणाम है जो तुमने उसे दिया था। अब वह उसे चौबीसों घंटे जपते रहता है। फिर चाहे वह पीड़ा में हो या किसी प्रयास में असफल हो। अर्थात् अब वह उड़ने में असफल रहने, उड़ते समय गिर जाने या फिर भूख लगने पर भी यही मंत्र बोल कर मुझे याद करता रहता है और तुम जानते हो मैं अपने किसी भक्त को पीड़ा में नहीं देख सकता हूँ। इसीलिए उसकी ७ साल की सजा को मैंने ७ दिन की सजा में बदल दिया था।


बात तो दोस्तों, भगवान की एकदम सटीक है। हम सब उस ईश्वर की संतान है और कोई भी अपनी संतान को दुखी नहीं देख सकता है। जब आप ईश्वर को चंद तकलीफ़ों के लिए कोसने के स्थान पर, उनके द्वारा दी गई अनगिनत मूल्यवान चीजों को याद करते हुए, हर पल शुक्रिया अदा करने लगते हैं, तब आप सीधे उससे जुड़ जाते हैं। वैसे इसका एक लाभ और है, आप अपना जीवन सकारात्मक तरीक़े से जीना शुरू कर देते हो। इसलिए दोस्तों, मन का हो तो कहो, ‘भगवान तेरा शुक्र है…’ और मन का ना भी हो तब भी कहो, ‘भगवान तेरा शुक्र है…’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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