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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

लोगों के दिये लेबल को करें नज़रंदाज़…

Apr 15, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, किसी ने बिलकुल सही कहा है, ‘सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग!’ जी हाँ, इस दुनिया में ज़्यादातर लोग ख़ुद से ज़्यादा दूसरों पर ध्यान देते हैं और शायद इसीलिए जीवन में कभी भी अपने क्षेत्र में कुछ विशेष या बड़ा नहीं कर पाते हैं।’ वैसे मैं इसे औसत या उससे नीचे के लोगों द्वारा विशेष लोगों की बराबरी करने का एक असफल प्रयास मानता हूँ। इसीलिए कहा जाता है, ‘मूर्ख व्यक्ति पहले अपनी बातों से आपके स्तर को गिराता है और फिर मूर्खता के अपने अनुभव से आपको हराता है।’ लेकिन जो लोग ऐसे मूर्खों की बातों पर बोलकर प्रतिक्रिया देने के स्थान पर अपने कर्मों से जवाब देते हैं, वे ही सही मायने में जीवन में कुछ बड़ा कर पाते हैं; अपने क्षेत्र में नाम कमा पाते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ-


एक बार विद्यालय में गणित के शिक्षक ने छात्रों से एक प्रश्न पूछा। जिसका जवाब राजू नामक छात्र के अलावा कोई भी छात्र नहीं दे पाया। शिक्षक ने राजू को ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न हल करने का कहा। जैसे ही राजू ब्लैक बोर्ड की ओर जाने के लिए खड़ा हुआ, कक्षा के सभी छात्र उसे देख कर हंसने लगे। शुरू में तो राजू सहित शिक्षक भी इसकी वजह नहीं जान पाए। लेकिन जब राजू बोर्ड पर प्रश्न हल करने लगा तभी शिक्षक का ध्यान राजू की पीठ पर गया, जिसपर एक कागज चिपका हुआ था, जिसपर लिखा था, ‘मैं बेवकूफ हूँ।’


कागज को देखते ही शिक्षक सारा माजरा समझ गए। पीठ पर चिपके कागज और उसपर लिखी बात से अनभिज्ञ राजू ने तुरंत शिक्षक द्वारा पूछे गये प्रश्न को हल कर दिया। शिक्षक ने राजू की पीठ पर लगे कागज को तुरंत हटाया और उससे कहा, ‘राजू, ऐसा लगता है कि तुम्हें अपनी पीठ पर चिपके लेबल के बारे में नहीं पता था, जो तुम्हारे एक सहपाठी ने ही लगाया था, और बाकी ने इसे गुप्त रखा था। असल में यह सभी तुम्हें बेवक़ूफ़ साबित करने का प्रयास कर रहे थे।’ इसके पश्चात शिक्षक ने कक्षा के बचे हुए छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘वैसे तो तुम सब इस हरकत के लिए सजा के हक़दार हो। लेकिन अगर तुम राजू से माफ़ी माँग लो तो मैं तुम्हें माफ़ कर सकता हूँ।’ सभी छात्रों ने तुरंत राजू से माफ़ी माँगी।


इसके पश्चात शिक्षक ने पहले सभी छात्रों से राजू के लिये ताली बजवायी फिर बोले, ‘बच्चों आज की घटना में दो बड़ी महत्वपूर्ण सीख छुपी हुई है। पहली, जिस तरह तुमने राजू को लेबल करने का प्रयास किया था ठीक इसी तरह लोग तुम पर अलग-अलग लेबल लगायेंगे। लेबल लगाने के पीछे उनका उद्देश्य तुम्हें नीचा दिखाना, हराना, तुम्हारी प्रगति को रोकना, आदि कुछ भी हो सकता है। तुम्हें उस लेबल को नज़रंदाज़ कर अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहना होगा, तभी तुम सफल हो सकते हो। सोच कर देखो अगर राजू को इस लेबल के विषय में पता होता तो क्या होता? शायद वह अपने स्थान से खड़ा ही नहीं होता।’

इसके पश्चात शिक्षक एक पल के लिये पूरी तरह शांत हो गए फिर बोले, ‘सफलता के लिए तुम जीवन में सिर्फ़ इतना करो कि लोगों द्वारा लगाये गए लेबल पर ध्यान ना दो; उसे अनदेखा करो और अपनी प्रगति, सीखने और खुद को बेहतर बनाने के हर मौके का उपयोग करो।


दूसरी बात, पूरी घटना से स्पष्ट होता है कि आप सभी के बीच राजू का कोई वफादार दोस्त नहीं है, जो उस लेबल को हटाने के बारे में बताता। इसलिए हमेशा याद रखो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके कितने दोस्त हैं। महत्वपूर्ण तो यह है कि आपके और आपके दोस्तों के बीच वफादारी कितनी है। यदि आपके पास ऐसे मित्र नहीं हैं, जो आपकी पीठ पीछे आपकी रक्षा कर सकें; आपकी देखभाल कर सकें, और जो वास्तव में आपकी परवाह कर सकें तो मेरी नज़र में अकेले रहना ही बेहतर हैं।’


बात तो दोस्तों, शिक्षक की सौ प्रतिशत सही थी। बुराई करने वाले व्यक्ति के शब्द सामने वाले व्यक्ति को जीवन भर के लिए नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए, सिर्फ़ अपने फ़ायदे या मजाक के लिये लोगों पर इस तरह के इल्जाम न लगाएँ जो उन्हें हमेशा के लिए नुकसान पहुँचा दें। वैसे इस तरह की बातों से बचने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा इन बातों को नज़रंदाज़ करना है। शायद इसीलिए हिन्दी पिक्चर अमर-प्रेम में किशोर कुमार जी के गाये गाने के बोल हैं, ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना… छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना…’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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