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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

विरोध नहीं बोध के साथ जिएँ जीवन…

July 1, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नज़र में खुशहाल जीवन की कल्पना रोते, चिढ़ते, परिस्थितियों या क़िस्मत को दोष देते अथवा विरोध करते हुए नहीं की जा सकती है क्योंकि अस्वीकार्यता के कारण उपजे उपरोक्त नकारात्मक भाव आपकी सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। जिस वक्त आप किसी स्थिति, परिस्थिति, परिणाम, घटना, व्यक्ति, कार्य आदि का विरोध करते हैं या उसे अस्वीकार करते हैं, तब आप अपने भीतर अंतरद्वंद पैदा करते हैं, जो अंततः आपकी शांति को प्रभावित कर, ख़ुशियों को छीन लेता है। इसीलिए कहा जाता है, ‘जीवन को बोध में जीना सीखो, विरोध में नहीं।’


हालाँकि मैं आपकी धारणा से पूरी तरह सहमत हूँ कि अनपेक्षित कारण से मिली असफलता आपकी योजना और जीवन की दशा, दोनों को प्रभावित करती है। लेकिन इसका विरोध करने से होगा क्या? अगर आप पूर्ण गम्भीरता के साथ सोचेंगे तो पाएँगे कि विरोध भी परिणाम बदल कर, उपरोक्त नकारात्मक भाव को खत्म नहीं कर सकता है। अर्थात् आशा के विपरीत मिले नकारात्मक परिणाम का विरोध भी अंतिम स्थिति को बदल नहीं पा रहा है। आप ही सोच कर देखिए, ऐसे विरोध का क्या फ़ायदा जो परिणाम ही ना बदल सके?


हो सकता है आप मेरी इस बात से सहमत ना हों और आपका मानना हो कि जब जीवन ही अनिश्चित है, तो उसमें और अनिश्चितता क्यों? आपका तर्क या आपकी कही बात पूर्णतः सही है कि जीवन अनिश्चित है और जीवन की अनिश्चितता का मतलब यह है कि यहाँ कहीं भी, कभी भी और कुछ भी हो सकता है। लेकिन अगर आप गहराई से सोचेंगे तो पाएँगे कि इसी अनिश्चितता में तो जीवन का असली रोमांच छिपा हुआ है। इसमें अगर आप गीता के इस महत्वपूर्ण पाठ को याद रखकर कि ‘तू कर्म किए जा फल की चिंता मत रख!’ उसके साथ स्वीकार्यता का भाव रख आगे बढ़ते हैं तो आप सुख, शांति के साथ चुनौतियों से पार पा जाते हैं।


वैसे भी इसे अगर दूसरे नज़रिए से देखा जाए तो यह पूरी तरह सही है कि जीवन क्षणिक है और पलक झपकते ही यह खत्म हो सकता है और यहाँ आया हर जीव याने यहाँ जन्मा प्रत्येक जीव सिर्फ़ और सिर्फ़ कुछ दिनों का मेहमान है। लेकिन शायद यही वह वजह है जिसके लिए हमें इसे पूर्णता के साथ खुश रहते हुए जीना है। इसीलिए मैं कहता हूँ हर हाल में खुश रहो; ईश्वर प्रदत्त इस अनमोल उपहार ‘जीवन’ को हंसी के साथ जीना है, खुद या अन्य पर की गई हिंसा या अत्याचार के साथ नहीं।


दोस्तों उपरोक्त बातों का अर्थ यह भी नहीं है कि हंसी, ख़ुशी, प्रसन्नता, आनंद आदि को पाने के लिए आप अपने जीवन को मज़ाक़ बना लें। अर्थात् आप हर चीज़ को अपने हिसाब से परिभाषित कर पाने का प्रयास करने लगे, जो आने वाले समय में आपके लिए पछतावे का प्रमुख कारण बन जाए। यह बिलकुल सही है दोस्तों, जीवन आनंद के लिए है, लेकिन हमें इसे मज़ाक़ बनाकर नहीं पाना है। हमें तो इसे मौज में जीकर पाना है। इस लक्ष्य को आप बाँटकर जीना सीखने के साथ पा सकते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, जीवन वीणा की तरह है, ढंग से बजाना आ जाए तो आनंद ही आनंद है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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